भारत में समाचार पत्रों का स्तर इतना क्यों गिर गया है? -thebetterlives

भारत में समाचार पत्रों का स्तर इतना क्यों गिर गया है?

भारत में समाचार पत्रों का स्तर इतना क्यों गिर गया है? -thebetterlives


हैलो दोस्तों कैसे हैं आप! उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।

thebetterlives.com में आपका स्वागत है।
मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।

दोस्तों आजकल समाचार पत्र काफी ज्यादा फर्जी होते जा रहे हैं। आजकल हमें वह गुणवत्ता अखबार पढ़ने में नहीं मिलती जो कि पहले के समय में मिलती थी। यह अपने आप में एक डिबेट का विषय है। दोस्तों न्यूजपेपर हमारे जीवन में आज भी उतना ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं चाहे मुद्दा जनता से जुडा हो या फिर किसी इंडस्ट्री से हर बात की खबर आज भी हमें न्यूज़ पेपर से आसानी से मिल सकती हैं। दोस्तों चलिए बात करते हैं कि हाल ही के कुछ समय में भारत में समाचार पत्रों का स्तर इतना गिर क्यों गया है। चलिए दोस्तों जानते हैं इसके मुख्य कारण के बारे में।

दोस्तों भारत में समाचार पत्रों का सत्र गिरने का मुख्य कारण है प्रॉफिट कमाना और अपना धंधा बड़ा करना:

दोस्तों पुराने समय में भारत के अखबार काफी सच्ची और अच्छी-अच्छी घटनाएं छापते थे जिससे कि लोगों को अखबार से ही बिल्कुल अच्छी खबरें मिलती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत में छठे हुए अखबार सिर्फ मुनाफे की ओर भाग रहे हैं मीडिया के हाउसेस अपने धंधे को बड़े करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी पूरी कोशिश रहती है कि कहां से वह अधिक पैसा कमा सके और वह तरह-तरह के एडवर्टाइजमेंट करने की कोशिश करते हैं और शेयर मार्केट के अधिक उपाय बताना साथ ही ऐसी चीजों को प्रमोट करना जो की समाचार से दूर-दूर तक परे हैं उन चीजों को सिर्फ पैसे के लिए प्रमोट करते हैं।

 दोस्तों हाल ही में आपने देखा होगा की डोली की टपरी चाई वाला और वडा पाव गर्ल के बारे में अखबारों ने बहुत मोटी मोटी खबरें छापी थी साथ ही आजकल करीना कपूर के दूसरा बच्चा हो गया। उसकी खबरें बड़े-बड़े अखबारों ने छापी है किसी अभिनेता अभिनेत्री के बच्चे ने सूसू कर दिया यह बात अखबारों में दिखाई जाती है। जबकि इस बात का खास समाचारों से कोई लेना-देना नहीं है इससे समाचार पत्र की गुणवत्ता कम होती है और रिपोर्टिंग की गहराई का पता लगता है कि आजकल अखबार वाले कितनी मेहनत करके खुश है।

दोस्तों भारत में समाचार पत्रों का सत्र गिरने का दूसरा मुख्य कारण है ऑनलाइन मीडिया होना और नए पढ़ने वाले लोगों का काम होना:

दोस्तों डिजिटल मीडिया आजकल इतनी आ गई है कि जिसे जर्नलिज्म की नौकरियां काफी खतरे में है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं हो रहा यह पूरी दुनिया में हो रहा है। आजकल सोशल मीडिया और मोबाइल में इतनी ज्यादा एप्लीकेशन आ गए हैं कि लोग अब घटनाओं और खबरों को फेसबुक, ट्विटर ,यूट्यूब और अन्य माध्यमों से पढ़ना पसंद करते हैं।

इससे न्यूज़ पेपर पढ़ने की जरूरत नहीं होती और इस लागत को कम करने के लिए अखबारों ने अच्छी गुणवत्ता की रिपोर्टिंग करना बंद कर दी है और उन्होंने ऐसे टॉपिक को ध्यान में रखना शुरू कर दिया है जो कि जल्दी उनके लिए मुनाफा कमा कर लेकर आए। 

दोस्तों आज के दौर में जर्नलिज्म सिर्फ अभिनेता-अभिनेत्री के बारे में बातचीत करना कुछ चौंकाने वाली खबरों को दिखाकर और कुछ ऐसी क्लिक वेट खबरों को दिखाकर जो कि किसी भी व्यक्ति के भविष्य में कोई भी काम नहीं आएगी।उन चीजों के पीछे मीडिया पड़ी हुई है। इसका उदाहरण आप तैमूर , करीना कपूर के बच्चे की सुसु पॉटी से लेकर कपूर खानदान के बच्चों तक आप ले सकते हो।

दोस्तों एक अगला कारण है कि भारतीय समाचार पत्रों का पॉलिटिकल प्रभाव होना और किसी खास राजनीतिक पार्टी के साथ होना:

दोस्तों सच्ची रिपोर्टिंग वह होती है जिसमें किसी भी व्यक्ति या पार्टी के साथ हिट या हित की बात नहीं की जाए बल्कि सही बात को सही बोला जाए और गलत बात को गलत लेकिन आजकल के अखबार यह करना भूल गए हैं। आजकल की राजनीतिक खबरों में पॉलिटिकल पार्टियों का अपना दबदबा होता है और इसे मीडिया की दोगलापन अलग ही दिखता है।कई मीडिया हाउस ऐसे हैं जो कि अमीर लोगों के तलवे चाटते हैं और सच्ची रिपोर्टिंग नहीं करते हैं।

कई मीडिया हाउस ऐसे हैं जो किसी खास लीडर के पीछे ही पागल हो गए हैं और सब खबरें उसी के बारे में एकदम सही बताते हैं चाहे भले ही वह बात सही हो या नहीं हो ऐसे में दोस्तों सच्ची और अच्छी गुणवत्ता वाली रिपोर्टिंग करना मुश्किल हो जाता है। जब आप  किसी एक का पक्ष लेते हो उसी समय आपको सही बात पता लगाने में बहुत मुश्किल होती है।

दोस्तों अगला कारण है की किसी एकदम इमोशनल शॉपिंग या फिर ड्रामे से भरी कहानियों को बेचना:

दोस्तों जैसे ही कोई भी ऐसी खबर मिल जाती है जिससे कि लोग भावुक हो जाते हैं जैसे पुराने समय में आपने देखा होगा सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु हुई थी। उस समय सभी अखबारों ने रोजमर्रा की जिंदगी में सभी प्रकार के कलम लिखे थे जो कि घूम फिर कर वही दो बातें बता रहे थे कि सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु हो गई ऐसा ही आप अन्य जगह भी देख सकते हैं तो यह बात अखबारों ने सिर्फ अपना धंधा बढ़ाने और बढ़ाने के लिए किया। 

दोस्तों भारत की मीडिया जरूरी मुद्दों जैसे पब्लिक पॉलिसी गवर्नेंस वाणिज्य सोशल जस्टिस इन सब चीजों के बारे में बात करने की बजाय सेलिब्रिटी आपस में क्या बात करते हैं। क्राइम की कहानी चोरी और डकैती और एंटरटेनमेंट की बात करती है जो कि किसी भी अखबार या जर्नलिज्म का मुख्य पहलू नहीं है। इसी कारण से भी भारत में मीडिया का स्तर गिरता जा रहा है।

दोस्तों भारत में समाचार पत्रों का स्तर गिरने का कारण बिना रिसर्च के खबरों को छाप देना भी है:

दोस्तों आजकल के नए नवेले जर्नलिस्ट आमतौर पर ऐसा कर देते हैं की कई बार खबर एकदम सही नहीं होती है जैसे 2000 के नोट में चिप होने की बात को कई मीडिया कर्मियों ने एकदम सच कहा था और उस समय काफी अखबार चिल्ला चिल्ला कर यह बोल रहे थे कि 2000 के नोट में चिप लगी हुई है जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया। 

इससे लोगों का भरोसा समाचार पत्रों से उठता है और उनको लगता है कि बस अब मीडिया में वह दम नहीं इस वजह से समाचार पत्रों को पढ़ने वाले लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन कम हो रही है। जब समाचार पत्र  बिना बात कोई खोजबीन किए हुए छापेंगे तो हमेशा यही होता है।

खबर को छापने की जल्दी में सच्चाई को नजरअंदाज करना:

दोस्तों आज के युग में कंपटीशन इतना हो गया है कि आप सोच नहीं सकते आज के दौर में अखबारों में भी खबरें छापना एकदम कंपटीशन से भरा हुआ है। सब अखबार यह चाहते हैं कि कोई भी उन्हें नई खबर मिले और वह तुरंत जाकर उसको छाप दे। इसी जल्दी में दोस्तों वह बहुत बार सच्चाई को नजर अंदाज कर देते हैं या फिर कई बार आदि अधूरी खबर छाप देते हैं। 

उनका सोचना यह होता है कि भले ही हम कुछ भी लिख दें लोग तो देखेंगे ही इसी कारण से अधिक लोगों तक उसे खबर को पहुंचने के चक्कर में वह आधी अधूरी खबर ही छाप देते हैं या कई बार तो गलत खबर भी छाप देते हैं दोस्तों जो एडिटोरियल का स्टैंडर्ड और क्वालिटी पुराने समय में हुआ करती थी। वह आज के दिन बिल्कुल नहीं है। आज के अखबार में बहुत सी गलतियां और बहुत सी गलत रिपोर्टिंग पाई जाती है जिससे लोगों का भरोसा उठता है और यही कारण है कि भारत में समाचार पत्रों का चित्र गिरता जा रहा है।

Conclusion:

दोस्तों भारत में समाचार पत्रों का स्तर गिरने की मुख्य वजह धंधे में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना राजनीतिक पार्टियों का दखल अंदाजी करना किसी भी खास व्यक्ति या ग्रुप के प्रति दोगलापन दिखाना और आजकल उभरता हुआ सोशल मीडिया यह सब के सब भारत में समाचार पत्रों का स्तर गिर रहे हैं। दोस्तों समाचार पत्र वालों को यह सोचने की जरूरत है कि जब वह देश के मुख्य मुद्दों पर बात करेंगे।

उसी से देश का भला हो सकता है उन्हें यह सब बॉलीवुड के और एंटरटेनमेंट के अलावा भी देश में बहुत से महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिनके ऊपर बात करके देश का भला किया जा सकता है और सब बातें देशहित में हो सकती हैं। बस उनका ध्यान रखना है कि अखबार की गुणवत्ता बनी रहे इस तरह से वह अपने स्तर को ऊंचा उठा सकते हैं।

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको जानकारी पसंद आई है तो आप इसे अन्य लोगों के पास शेयर कर दें और साथ में ही अगर आपके कोई सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। हम हर एक कमेंट को पढ़ते हैं और उसका जवाब देने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं। यहां तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for writing back

और नया पुराने