हैलो दोस्तों कैसे हैं आप! उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है।
मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।
दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और interesting जानकारी जो आपकी knowledge के लिए है बेहद जरूरी!
दोस्तों हमारा आज का topic है कि मनुष्य का मन अशांत और व्याकुल क्यों होता है? आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
अक्सर देखा जाता है कि आदमी हो या औरत उसका मन कभी ना कभी अशांत हो ही जाता है। चाहे अध्यात्म को लेकर हो या हमारे daily routine के कार्यों को लेकर इसके अलावा इसके अलावा भी बहुत सारी बातें ऐसी होती हैं जिनको लेकर हमारा मन कभी ना कभी अशांत जरूर रहता है।
जैसे कोई हमारे बहुत नजदीक है उसमें हमारे रिश्तेदार हो या हमारे परिवार के सदस्य हैं उनको लेकर हमारे मन में हमेशा यह बात रहती है कि उनको कहीं कुछ हो तो नहीं जाएगा और जैसे ही उनको थोड़ी बहुत भी तकलीफ होती है और हमें पता चलता है तो हमारा मन अचानक ही अशांत हो जाता है।
उसको लेकर हम अनायास ही कुछ उल्टा सीधा सोचने लगते हैं और हमारे मन में तरह-तरह के विचार उत्पन्न हो जाते हैं। तरह-तरह के विचार आने लगते हैं और हमारे मन में जैसे सवालों का कोलाहल मच जाता है और इसकी वजह से हमारा मन बहुत ही अशांत हो जाता है।
तो चलिए दोस्तों इसको समझने की कोशिश करते हैं जैसे कि मान लीजिए जब हम स्कूल में अपने बच्चों को लेने जाते हैं आप भी कभी अपने बच्चों को स्कूल से लेने तो जरूर गए होंगे।
आपने देखा होगा कि जब बच्चों की छुट्टी होती है तो बहुत सारे बच्चे एक साथ बाहर आते हैं। सब एक जैसे लगते हैं सभी ने एक जैसी uniform पहनी होती है और इन्हीं सब बच्चों के बीच में आपके पुत्र भी हैं। पुत्र हो या पुत्री तो उस वक्त आपकी आंखों की क्या दशा रहती है। जब आप इन सारे बच्चों को 100, 200, 300 इन सभी बच्चों को एक साथ देखते हैं और उनके बीच में आपका एक पुत्र होता है तो उस वक्त आपकी आंखों की क्या दशा होती है?
क्योंकि आप लेने आई हैं अपने एक बच्चे को जबकि 300 बच्चे आपकी तरफ एक साथ आगे बढ़ते आ रहे हैं तो उस वक्त आप कैसे देख रही होती है। उन सभी बच्चों को देख रही होती है या उन सभी बच्चों में अपने एक बच्चे का चेहरा ढूंढ रही होती हैं या देख रही होती है।
जब कितने सारे बच्चे आपकी तरफ एक साथ चले आ रहे हैं। कुछ दौड़ रहे है, कुछ भाग रहे हैं, कुछ खेलकूद कर रहे हैं, कुछ एक दूसरे को धक्का भी दे रहे हैं।
उस वक्त आप उन सभी बच्चों को नजर घुमा घुमा कर चारों तरफ देख रही होती हैं और अपने बच्चे को ढूंढने की कोशिश कर रही होती हैं तो इसी तरह हमारा मन होता है एक जगह टिकता नहीं है। कभी उस चीज को देखता है, कभी इस चीज को देखता है, चारों तरफ देखता रहता है। कभी भी एक जगह टिकता नहीं है।
क्योंकि हमारी नजरें कुछ खास होती है जिसको ढूंढ रही होती है और जब वह हमें मिल जाता है तो हमारी नजर उस पर टिक जाती है। जब तक वह हमें नहीं मिलता तब तक हमारा मन ऐसे ही इधर-उधर भटकता रहता है बेचैन रहता है या अशांत रहता है।
दोस्तों आप समझ रहे होंगे कि जब तक हमारे मन को कोई केंद्रीय आसरा नहीं मिल जाता कोई stand नहीं मिल जाता तब तक हमारा मन ऐसे ही अशांत घूमता रहता है। जब तक उसको कोई मजबूत ऐसी चीज नहीं मिल जाती जिससे हम उसको विचार-विमर्श कर सके तब तक हमारा मन इधर-उधर भटकता रहता है हमें परेशान करता रहता है अशांत रहता है।
दोस्तों कुछ लोग सब कुछ होने के बाद भी अशांत रहते हैं। उनके पास हर तरह की सुख सुविधाएं हैं। परिवार में सब कुछ ठीक से चल रहा है। धन-संपत्ति बढ़िया है, मकान भी अच्छा है, खाने को भी अच्छा मिल रहा है। लेकिन फिर भी कुछ लोग अशांत रहते हैं वह अंदर से खुश नहीं रहते इनका कारण क्या है आइए जानते हैं:
दोस्तों इसका सबसे बड़ा कारण है संतोष ना होना। संतोष ना होना भी मन अशांत रहने का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए हमें अपने मन को शांत रखने के लिए संतोष रखना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि ईश्वर ने हमें जो भी दिया है वह बहुत ज्यादा है। हमें अपने से ऊपर वाले को नहीं देखना है।
हमें हमेशा अपने से नीचे वाले को देख कर चलना चाहिए और यह विश्वास रखना चाहिए कि भगवान हमारे लिए कभी भी गलत नहीं करेगा। हमारी जरूरत के हिसाब से जितनी हमे जरूरत होगी भगवान हमें उतना देता रहेगा और मेहनत करते रहना चाहिए ईश्वर हमें जितना दे हमें उसमें संतोष रखना चाहिए।
जिससे हमारे शरीर को भी सकून मिलेगा और हमारे मन को भी सूकून मिलेगा और इस तरह हमारा मन भी खुश रहेगा और हमारा शरीर भी स्वस्थ और हष्ट पुष्ट रहेगा इससे हमें संतोष आएगा और संतोष से हमारा मन खुश रहेगा।
इसके अलावा जब आपकी उम्र 45 से 50 के बीच में आ जाए हो उस वक्त आपको अपने बेटे और बेटियों की शादी करने के बाद आपको अपने घर से मतलब अपने जो routine के काम है, अपना घर है, अपने परिवार के सदस्य हैं, आपके जो पहले फर्ज हुआ करते थे काम करने के, जिम्मेदारियां संभालने के, कुछ लेनदेन करने के उन से आपको थोड़ी सी मन से दूरी बना लेनी चाहिए।
क्योंकि कहीं ना कहीं उनके साथ हमेशा के लिए गहरा रिश्ता रखना और सारी सरपंची खुद के हाथ में ही लिए रखना भी आपके मन को अशांत कर सकता है।
जैसे जैसे आपकी जिम्मेदारी पूरी होती जाए आपके बच्चे बड़े हो जाए व बच्चे काम संभालने के लायक हो जाएं तो उन्हें धीरे-धीरे आपको अपनी जिम्मेदारी उन पर सौंप देनी चाहिए। जिससे आगे की गृहस्थ जीवन को वह अपने पार्टनर के साथ मिलकर चलाएं और आपको इन सारी जिम्मेदारियों से थोड़ी फुर्सत मिले।
जिससे आप भगवान की शरण में जाएं भगवान की शरण में जाने का यह मतलब नहीं है कि आप सन्यास ले ले या आप कहीं दूर चले जाए आप घर में रहकर भी भगवान की भक्ति कर सकते हैं और मोह ममता से दूर रह सकते हैं।
जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी भी आप भगवान की पूजा भक्ति कर सकते हैं। नाम जप सकते हैं इससे आपके मन को बहुत ही सुकून मिलेगा और आपका जीवन आनंद से भर जाएगा और इसी को सच्चा संतोष कहते हैं और जब संतोष आपके जीवन में आ जाता है तो आपका मन आनंदित रहने लग जाता है। फिर मन के अशांत रहने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
दोस्तों कुछ लोगों की आदत होती है कि घर में बहु आ गई है, बच्चे हो गए हैं, नाती पोती हो गई है फिर जो बड़े बुजुर्ग होते हैं उनको चाहिए कि वह उस तरफ से अपने आपको धीरे-धीरे अपने मन को परिवार से हटाकर भगवान में लगा देना चाहिए। ऐसा करने से आपको शांति मिलेगी आपका मन भी शांत रहेगा।
इसके अलावा दोस्तो मन को वश में करने के लिए हमें अभ्यास करना होता है। क्योंकि सारे फसाद की जड़ दोस्तों हमारा मन ही है। मन ही है जो हमारा भक्ति में नहीं लगता और इधर-उधर के कार्यों में ज्यादा लगता है। जिनकी वजह से हमें अशांति होती है। बेचैनी होती है। क्योंकि किसी का मन गंदी चीजें देखने में जाता है। किसी का मन गंदी चीजें करने में जाता है व तो किसी काम मन गंदी चीजें खाने में जाता है।
दोस्तों जैसी चीजें हम खाएंगे या देखेंगे हमारे मन पर वैसा ही प्रभाव पड़ेगा और उसके लक्षण हमारे शरीर पर हमारे मन पर देखने को मिलेंगे।
दोस्तों अगर अच्छा खाएंगे, अच्छा देखेंगे तो उसका अच्छा असर हमारे मन पर होगा और अगर हम गलत चीजें खाएंगे, गलत चीजें करेंगे तो उसका असर भी हमारे मन पर हमारे शरीर पर देखने को मिलेगा। जिसकी वजह से हम खुश नहीं रह पाते हैं इसलिए मन को काबू में करना बहुत ही जरूरी है।
दोस्तों मन को आप भगवान की भक्ति मन लगाकर संतोष, धन हमेशा के लिए पा सकते हैं और जब जीवन में संतोष धन आ जाता है तो इंसान का मन अपने आप शांत रहने लगता है। उसका जीवन आनंदमय हो जाता है और उसको किसी प्रकार से परेशान नहीं होना पड़ता।
Conclusion:
दोस्तों जिसने अपने मन को काबू में कर लिया वह वह हमेशा बहुत ही खुशी रहता है बहुत ही आनंद में रहता है। कभी-कभार खालीपन की वजह से भी मन अशांत हो जाता है। अतः जीवन में खाली रहने की बजाय कुछ ना कुछ रोमांचक करते रहिए।
दोस्तों उम्मीद करती हूं आज के artice से आपको मन को शांत करने के कुछ आसान उपाय मिले होंगे। जिनको आप अपने जीवन में शामिल करके आप भी हमेशा खुश और आनंदमय सकते हैं।
दोस्तों उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी ऐसी ही ज्ञानवर्धक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी website पर आए।
दोस्तों आज के लिए बस इतना ही मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।।