पुलिस के साथ बातचीत करते समय क्या गलत बर्ताव आपको परेशानी में डाल सकता है और जब किसी को पुलिस परेशान करे तो क्या करना चाहिए? -what to do and what not to do while intercting with police

हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।

thebetterlives.com में आपका स्वागत है।
मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।

दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!


दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से आपको अपने अधिकारों के बारे में पुलिस के बारे में कुछ जरूरी बातें बताने की कोशिश करेंगे कि जब किसी को पुलिस परेशान करे तो क्या करना चाहिए? पुलिस के साथ बातचीत करते समय क्या गलत बर्ताव आपको परेशानी में डाल सकता है?

पुलिस के साथ बातचीत करते समय क्या गलत बर्ताव आपको परेशानी में डाल सकता है और जब किसी को पुलिस परेशान करे तो क्या करना चाहिए??


यह सब जानकारी आज हम आपको इस लेख के माध्यम से देने वाले हैं जी हां दोस्तों इसी टॉपिक पर आज हम बात करेंगे तो पोस्ट में अंत तक बने रहे।


दोस्तों कुछ लोगों का कहना है कि जब हम पुलिस से कहते हैं कि हमें क्यों गिरफ्तार कर रहे हो तो वह बोलते हैं कि चलो थाने चल कर बात करना वही चल कर तेरे को बताता हूं। 

तो आपको बिल्कुल भी डरना नहीं है और कहना है कि चलो थाने मैं चलता हूं वहां आप बताइए मैं सुनता हूं आप क्या बताएंगे और उसके साथ आप आराम से थाने चले जाओ।


तो आपको बिल्कुल भी डरना नहीं है। क्योंकि वह आपको जान से तो मारेंगे नहीं। क्योंकि आपने इतना बड़ा कोई अपराध नहीं किया है, आपने कोई मर्डर नहीं किया है।

इसलिए आप को डरने की जरूरत नहीं है और वहां चलकर आपको पूछना है कि अब बताइए सर मैंने क्या अपराध किया है किस लिए आप मुझे गिरफ्तार कर रहे हैं?


आपकी आवाज में सहनशीलता होनी चाहिए आपको बिल्कुल भी दादागिरी नहीं करनी है। आपको जरा भी पुलिस वाले पर भड़कना नहीं है। आराम और शांत स्वभाव से पूछना है कि सर मेरा कसूर क्या है प्लीज मुझे बताइए। मेरा हक है जानने का और आपकी ड्यूटी है बताने की।

इसलिए मुझे बताइए कि मेरा कसूर क्या है किसलिए आप मुझे थाने लेकर आए हैं?


अब अगर वह आपको बताता है तो ठीक है अगर नहीं बताना तो मत बताने दो।


अब दूसरी बात यह है कि आप पुलिस वालों को बोलो कि मुझे अपने वकील से बात करनी है उसके बाद मैं आपके सवालों के जवाब दूंगा तो इस पर पुलिस वाले बोलते हैं कि पहले तुम वकील से नहीं हमारे डंडे और बेल्ट से मिलो।


तो इस पर आपको बोलना है कि ठीक है सर आप डंडे से भी मिलवा देना और बेल्ट से भी मिलवा देना लेकिन उससे पहले मुझे अपने वकील से मिलने दो। उसके बाद आप मुझे डंडे से भी मार लेना और बैल्ट से भी मार लेना कितना मारोगे जान से तो मार नहीं सकते।


और ऐसा बोलने के बाद वह आपको हाथ भी नहीं लगाएंगे। ऐसा में लिखकर दे सकती हूं क्योंकि उनको पता है कि वह आपको कहां से गिरफ्तार करके लाए हैं और किस स्थिति में गिरफ्तार करके लाए हैं। 

वह आपको हाथ भी नहीं लगाएंगे क्योंकि वहां के लोगों को भी यह पता है कि अगर आपके साथ उन्होंने जबरदस्ती की मार पिटाई की थाने के अंदर तो आप उनके खिलाफ कंप्लेंट भी कर सकते हैं।


उसके बाद दोस्तों वह आपके पास आएंगे राजीनामा करने के लिए फिर आप बिल्कुल भी राजीनामा मत करना कोई जरूरत नहीं है राजीनामा करने की।

क्योंकि जॉब को जॉब के तरीके से करवाना पड़ेगा आपको आपके राइट आपको पता होंगे और इससे उसको भी पता चल जाएगा कि इसको राइट्स का पता है।


देखो भाइयों पुलिस के पास गिरफ्तार करने का अधिकार है।
वह आपको बिना अरेस्ट वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है। यह बात मान ली हमने लेकिन आप ने गिरफ्तार किया है। तो इसको साबित करना पड़ेगा कि आपने क्यों गिरफ्तार किया किस कुसूर के लिए गिरफ्तार किया यह आपको साबित करके बताना पड़ेगा।


एक बिहार का केस था जिसमें बिना कसूर के पुलिस ने दो महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया और महिलाओं ने आगे तक हाईकोर्ट तक जाकर शिकायत की और हाई कोर्ट ने पूरे केस की छानबीन करने के बाद बताया कि पुलिस वालों ने इन महिलाओं को गलत अरेस्ट किया है 


इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि इन महिलाओं को बिना कसूर के गिरफ्तार किया गया है। इसलिए दोनों महिलाओं को 5.5 लाख रुपए स्टेट की तरफ से दिए जाएंगे सरकार इन्हें देगी और उनको यह रकम दी गई।


यह केस है स्टेट ऑफ बिहार का आप गूगल पर सर्च करके देख सकते हैं।

तो यह मैंने आपको उदाहरण के लिए बताया है।


देखिए दोस्तों हमारे साथ क्या होता है कि हम डर जाते हैं और डर के मारे अपने कदम वही रोक लेते हैं। हम आगे तक नहीं जाते हैं। इसलिए हमारे साथ नाइंसाफी हो जाती है। कोई भी आकर हमको डरा देता है कोई पुलिस के नाम से डरा देता है तो इसलिए हमें जागरूक होना है और हमें आधा जागरूक नहीं होना है हमें पूरा जागना है।


दोस्तों यह कुछ बातें थी जिन को फॉलो करके आप पुलिस का बिना डरे आसानी से सामना कर सकते हैं।

उनके साथ बातचीत कर सकते हैं बात को आगे बढ़ने से रोक सकते हैं या फिर न्याय पाने के लिए आप आगे तक जा सकते हैं।

क्योंकि अगर मामला बिल्कुल छोटा है नॉर्मल है तो आप बातचीत करके उसको सुमझा सकते हैं। अगर थोड़ा सा बड़ा है पेचीदा है तो आप आगे तक जाकर न्याय पा सकते हैं। आपके अंदर सिर्फ कॉन्फिडेंस होना चाहिए इससे ज्यादा कुछ नहीं।


जो मैंने आपको आज अधिकार बताए हैं वे नॉर्मल अधिकार हैं और यह आपके अधिकार हैं यानि पुलिस आपको मार ही नहीं सकती है। 

पुलिस को मारने का कोई अधिकार नहीं है वह सिर्फ आपको डरा सकती है। पुलिस आप को पकड़ने के लिए बल का प्रयोग कर सकती है और बल भी उतना ही प्रयोग कर सकती है कि आप निकल कर ना भागे। लेकिन आप को मार नहीं सकती और जब आप उसकी कस्टडी में हो तो वह आपको क्यों मारेगी?


देखिए एक वकील की नजर से देखें तो यह कॉमन सेंस की बात है और वकील और लोगों की तरह ताली नहीं बजाते कि वाह एनकाउंटर कर दिया! वेरी गुड 

अब क्या पता किसने अपराध किया हो और अपराध करने वाले मौके से भाग गए हो और जिस इंसान को पकड़ा है उसने अपराध ही ना किया हो तो कॉमन सेंस पर भरोसा रखा करो न्यायपालिका पर भरोसा रखा करो भाई।


पुलिस को तुमने हीरो बना दिया तो पुलिस का कॉन्फिडेंस बढ़ गया।


अब मैं आपको उस मूवी से समझाने की कोशिश करती हूं 375 मूवी जो बलात्कार के ऊपर थी जिसमें एक लड़की का रेप कर दिया जाता है और बाद में जब पूरी पिक्चर क्लियर होती है तब जाकर पता चलता है कि आखिर मामला क्या था तो सिचुएशन कुछ भी हो सकती है।



हर बात के दो मतलब होते हैं हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं लेकिन हमें सिर्फ एक सिक्का दिखाई देता है। आप किसी भी फील्ड में जा कर देखिए लोग पहले एक ही साइड देखते हैं और एक साइड देख कर फैसला कर देते हैं।

लेकिन भाई साहब सिक्के का दूसरा पहलू भी है उसको भी जरा देख लीजिए और जब तक आप दोनों साइड नहीं देख लेते तब तक आप कोई भी डिसीजन मत लिया करो मेरे भाई।


1 साइड देखा आपने और हंगामा शुरू कर दिया यह बात तो गलत है भाई पहले बात की गहराई में जाकर देखना चाहिए, समझना चाहिए। उसके बाद कोई ओपिनियन रखना चाहिए यह तरीका होना चाहिए कोई भी फैसला लेने से पहले।


एनकाउंटर नहीं होना चाहिए था कैद होनी चाहिए थी ताकि सच्चाई सामने आ सके।


उन लोगों को फांसी होनी चाहिए थी जो लोग मुजरिम थे तो
क्योंकि इस बात की पुष्टि बिना जाचे परखे नहीं की जा सकती कि वह लोग मुजरिम थे या नहीं। 

क्योंकि आजकल कुछ भी कहना मुश्किल है जुर्म कोई और कर जाता है और पुलिस किसी और को धर दबोचती है और अगर उसका मौके पर ही इनकाउंटर कर दिया जाता है तो सच्चाई का पता कभी नहीं लगाया जा सकता।

फिर वह मुजरिम हो या ना हो उसको मुजरिम करार दे दिया जाता है और यह बात सही नहीं है भाइयों।


दोस्तों संभावनाएं रखना सही है संभावनाओं को इनकार नहीं किया जा सकता कोर्ट भी संभावनाओं को समझती है उन को महत्व देती है उन्हें एक्सेप्ट करती है।


चलिए हमारा जो टॉपिक है उससे हम भटके ना इसलिए वापस अपने टॉपिक पर आते हैं।

देखिए चौकी में जाने के बाद आपको आपके वकील से अगर नहीं मिलने दिया जाता तो आपको एक तो डंडे खाने पड़ सकते हैं लेकिन आपको कमजोर नहीं पड़ना है आपको अपने हक के लिए लड़ना है क्योंकि अगर आप को जीतना है तो आप को लड़ना पड़ेगा और यह शुरुआत में थोड़ा मुश्किल लगता है उसके बाद  आसान हो जाता है


और एक बार पुलिस वालों की अकल ठिकाने आ जाएगी तो उनकी दादागिरी भी खत्म हो जाएगी लेकिन आप लोगों को आदत पड़ गई है उनको सहन करने की इससे उनका कॉन्फिडेंस बढ़ गया है ऊपर से आप ताली और बजा देते हो कि वाह! एकाउंटर कर दिया गुड जोब बहुत अच्छा किया आपने लेकिन ऐसे टाइम पर आपको ताली नहीं बजा नहीं चाहिए आपको वाह-वाह नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने जो भी किया वह गलत किया यह सच्चाई सामने आनी चाहिए।


आप वाह वाह कर देते हैं पुलिस वालों की तारीफ कर देते हैं
जिसे सुनकर पुलिस वालों की हिम्मत बढ़ जाती है अब उनके कॉन्फिडेंस को तोड़ने के लिए आपको थोड़ा सा तो आगे आना पड़ेगा थोड़ा सा तो सहन करना पड़ेगा।


तो अगर आपके साथ पुलिस वाला मार पिटाई कर रहा है तो आप उसकी शिकायत करो उसकी दादागिरी की शिकायत करो उसकी रिश्वत मांगने की शिकायत करो उसने आपके साथ बदतमीजी करी इसकी शिकायत करो तब जाकर उसकी अकल ठिकाने आएगी।


उसके बाद कोर्ट में जाकर मामला दर्ज करा सकते हो अगर पुलिस ने आपके साथ मारपीट करी है तो उसके बाद कोर्ट के पास से नोटिस जाएगा उसके पास उसको भी पता चलेगा उसको भी परेशान होना पड़ेगा और आपके पास राजीनामे के लिए भी आएगा तो मत करो राजीनामा कोई जरूरत नहीं है राजीनामा करने की लगने दो उसको भी थोड़ी सी अकल तब जाकर उसकी अकल ठिकाने आएगी क्योंकि गवर्नमेंट जॉब सबको प्यारी है उसको भी प्यारी है इसलिए वह आपसे सॉरी मांगने जरूर आएगा


क्योंकि जब उसने आपके साथ गलत काम किया है तो उसको भी सजा मिलनी चाहिए आम पब्लिक की भी कोई इज्जत है भाई तो हम सब को जागरूक होने की जरूरत है डरने की नहीं।

बिना कुसूर किए हमें पुलिस से डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह भी अपने जॉब के दायरे में रहकर ही हमें कुछ कह सकते हैं हमें कुछ कर सकते हैं और अगर कोई अपनी गवर्नमेंट जॉब की धोष दिखाकर  आपको परेशान करे तो आप 1 मिनट के लिए भी मत सोचो और सीधा जाकर उसकी कोर्ट में शिकायत दर्ज करा दो


यह सबसे अच्छा तरीका है उसकी अकल ठिकाने लगाने का और इसके लिए आप को डरने की जरूरत नहीं है बल्कि आपको  जागरूक होने की जरूरत है।


क्योंकि हमने कई बार सुना है बहुत सारे अपने भाइयों से बहनों से सुना है कि पुलिस ने हमारे साथ वह किया पुलिस ने हमारे साथ वह किया तो भाइयों और बहनों आपको बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है कोर्ट है आपकी मदद के लिए वहां पर मजिस्ट्रेट साहब बैठे हैं वह सब आपकी मदद के लिए हैं उनसे जाकर कहिए शिकायत कीजिए वह आपकी पूरी मदद करेंगे।


आपकी बात में पूरी सच्चाई है तो वह आपकी पूरी मदद करेंगे और वह उनको नोटिस जारी करेंगे लेकिन आप वहां तक तो जाते ही नहीं और पहले ही हार मान लेते हो कि पता नहीं कितना बड़ा पचड़ा हो जाएगा अरे मेरे भाइयों ऐसा कुछ नहीं होता है।


अगर आपके साथ बगलत हुआ है तो आपको कोर्ट में जाना चाहिए कोर्ट से आगे आप सुप्रीम कोर्ट में जाइए और जब आपके साथ गलत हुआ है तो आपको मैदान में उतरना चाहिए इस लिहाज से कि मेरे साथ गलत हुआ है और मुझे उनको सबक सिखाना है।


दादागिरी खत्म होगी इनकी, इलीगल खत्म होगा इनका,
करप्शन खत्म होगा इनका।
इनको देना बंद कर दो यार क्यों देते हो?
डरो मत अपनी बात रखो सामने वाला गलत इन्वेस्टिगेशन कर रहा है ना आपके खिलाफ देखो एसपी को शिकायत करो जाकर एप्लीकेशन दोगे जाकर कि साहब यह व्यक्ति फिर जो भी व्यक्ति  आपको परेशान कर रहा है


जो भी आपके साथ रंजिश रख रहा है आपने उसको ज्ञान दे दिया पूरा समझा दिया कानूनी बातें कह दी तो हो सकता है वह आपके साथ भड़ास निकाल रहा हो तो उसका नाम लिख दो और उनसे बोलो निष्पक्ष जांच करने को और कहो कि इस व्यक्ति से जांच ना करवा कर किसी और से जांच करवाई जाये।


तो एचपी का काम है उसको जांच करनी पड़ेगी अगर आपको उससे उम्मीद नहीं है निष्पक्षता की उस व्यक्ति से जो व्यक्ति आप की जांच कर रहा तो आप किसी अन्य व्यक्ति से जांच करने के लिए एसपी को बोलो और एसपी को यह जांच करवानी पड़ेगी क्योंकि उसका यह काम है।


और आप इसकी शिकायत करो जो भी आपके साथ गलत कर रहा है आपको धमकी दे रहा है आपसे पैसे की डिमांड कर रहा है या किसी भी तरह लीगल आपको परेशान कर रहा है या जिसने आपके ऊपर कोई अटैक किया है कोई हमला कर रहा है या कोई आपको धमकी दे रहा है या कोई पैसे की डिमांड कर रहा है किसी भी प्रकार से आपको परेशान कर रहा है आप को प्रताड़ित कर रहा है तो उसको चेंज करा दो हो जाएगा चेंज।


सारे राइट्स आपको पता है यार फिर किस बात से घबराना क्यों पुलिस वालों से डरना खुलकर सामना करना कॉन्फिडेंस रखो, नॉलेज रखो, कानून को जानो अगर कानून को जानोगे ना तो मैं गारंटी देती हूं रिस्पेक्ट करेगा वह पुलिस वाला जो आपको गाली देता है जो आप पर डंडा उठाने की सोचता है लेकिन अगर आप उससे डरोगे ना तो वह आपको और डराएगा आप जितना डरोगे वह आपको इतना ही और डराएगा।

चलो बात करते हैं कि पुलिस के साथ बातचीत करते समय क्या गलत बर्ताव आपको परेशानी में डाल सकता है?

पुलिस के सामने हद से ज्यादा नहीं बोलना चाहिए। जैसे कि उस हरियाणा वाली आंटी को तो आप जानते ही होंगे जिसने मास्क न लगाने के लिए पडा हुआ डंडा ले लिया।

आंटी ने पुलिस वालों के सामने क्लेश मचा दिया था कि वह अपने पति को किस करेगी और मास्क नहीं पहनेगी।

बाद में आंटी के साथ जो पुलिस थाने में हुआ है उसका वीडियो देख सकते हो जिसमें यह रो रही है क्योंकि इनकी अच्छी तरह से सुताई की गई।

स्रोत: गूगल

चलिए अब देखते हैं कि दूसरी फोटो जिसमें इनकी अच्छी तरह से धुलाई हो चुकी थी।



अब बात करते हैं इससे सीखने को क्या मिलता है?

दोस्तों सबसे पहली बात तो यह है कि खुद गलती में न आने की कोशिश करें और पुलिस वाले इतने समझदार होते हैं कि वह खुद से कोई भी गलती नहीं करते।

अगर आपसे कोई थोड़ी बहुत गलती हो गई है तो पुलिस वालों के सामने ज्यादा नहीं बोले। जितना आपसे कहा जाए सिर्फ उतना ही बोले क्योंकि ज्यादा बोलना आपको उसी स्थिति में फंसा सकता है।

दोस्तों उम्मीद करती हूं आज के आर्टिकल से आपको कानून के कुछ नियमों का कुछ अपने अधिकारों के बारे में जानकारी मिली होगी इसके बारे में आप अपनी राय हमें देना चाहे तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।


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आज की पोस्ट में बस इतना ही मिलते हैं एक और नई और रोचक पोस्ट के साथ है तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।

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