लोकतंत्र (Democracy) के दोष क्या-क्या है? - loktantra ke pramukh dosh ko bataiye

हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।

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मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।

दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!

तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास topic जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे!  

दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे लोकतंत्र के दोष यानी कि लोकतंत्र (Democracy) के दोष क्या-क्या है? क्योंकि इसकी फायदे तो आप लोगों को पता होगा लेकिन इसके दोष क्या क्या है वह आज हम आपको बताएंगे।

लोकतंत्र (Democracy) के दोष क्या-क्या है? - loktantra ke pramukh dosh ko bataiye 


इस आर्टिकल को इंग्लिश में पढ़ने के लिए यहां देखें: क्लिक कीजिए 

जैसे कि कोई चीज है उसकी Positive Sides भी होती है और  Negative side भी जैसे कि कोई चीज अच्छी होती है और वही गलत भी होती है।

उसी तरीके से लोकतंत्र (Democracy) शासन करने की एक बढ़िया प्रणाली है उसी तरह से इसमें कुछ गलत चीजें भी है और वह गलत चीजें क्या है उसको आज हम जानेगे ।

तो दोस्तों इसमें सबसे पहला जो है वह है:-

नंबर 1. अयोग्य लोगो की पूजा (worship of unworthy people):

तो यह अयोग्य कौन से लोग होते हैं।  यह वह लोग होते हैं जिनके अंदर वह चीज नहीं होती जैसे कि लोकतंत्र (Democracy) में मैं बता दूं अगर आप चाहे तो किसी भी व्यक्ति को अपना प्रतिनिधित्व यानी कि सदस्य चुन सकते हैं।

जो कि आपकी बात संसद तक पहुंचाएगा जैसे कि विधानसभा संसद पहुंचाएगा। लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि जो सदस्य है वह पढ़ा लिखा हो ऐसा कहीं नहीं कहा गया कि वह पढ़ा लिखा ही होना चाहिए।


जिस तरीके से आपको पता IAS, IPS बनने के लिए इतना पढ़ना पड़ता है। लेकिन नेता बनने के लिए आपको पढ़ना नहीं पड़ता आपके पास जनता का पावर होना चाहिए और उसके साथ साथ पैसा।


नंबर 2. साहित्य कला एवं संस्कृति का विरोध (Opposition to Literature, Art and Culture) :

दोस्तो आपको पता होगा कि जो नेता बनता है वहां पर इन सब चीजों का विरोध होता है क्यों?

देखिए साहित्य कला एवं संस्कृति इनमें फिलहाल के लिए कोई भी चीज है उनमें एक प्रोग्राम करवाया जाता है। जैसे की कलाकार लोगों की Art बनवाई जा रही है और वहां पर लगता है पैसा और सब नेता लोगों का पैसा लगेगा तो खर्चा बढ़ेगा फिर वहां पर उनको vote कम मिलेंगे तो क्या होगा?

मतलब आपको पता है कि vote खरीदे जा रहे हैं आजकल तो। फिर क्या होगा यहां पर इसका विरोध होना Start हो जाएगा। मतलब यह सब होगा तो वहां पर विरोध होगा क्योंकि Party के सदस्य विरोध करेंगे इसलिए इन सब चीजों पर खर्चा करेंगे तो Vote कैसे खरीदेंगे तो विरोध होगा।


नंबर 3. दलगत बुराइयां।

दलगत का मतलब होता है जैसे कि कोई एक समूह मुस्लिम लोगों का समूह हो गया हिंदू लोगों का समूह हो गया शिख लोगों का समूह हो गया इस तरीके के समूह में लड़ाइयां होने लगती है।

इस तरीके से बुराइयां शुरू हो जाती है जैसे कि वह मेरी जाति का है। मेरे समूह का है लेकिन वह मेरे लिए काम नहीं कर रहा मेरे दल का है। फिर भी वह मेरे लिए काम नहीं कर रहा इस तरीके से दल वाले लोग परेशान होकर उनकी बुराइयां करना शुरू कर देते हैं।

और इसी वजह से उनको Vote कम मिलते हैं। उसी तरह जो लोग होते हैं वह अपने दल के लिए काम करते हैं यादव है तो यादव के लिए काम होगा। मुस्लिम है तो मुस्लिम के लिए काम होगा। इस तरीके से हो रहा हैं लेकिन यह बहुत ही गलत है।
कुछ नेता है जो बहुत अच्छे हैं।

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नंबर 4. समय तथा धन का अपव्यय (Waste of time and money):

दोस्तों इसमें क्या होता है कि समय जैसे कि जो नेता लोग होते हैं वह अपने आसपास के लोगों से तो Connected नहीं होते और दूर-दूर के लोगों से ज्यादा Connected होते हैं उनके पास ज्यादा समय बिताते हैं। 

और धन का मतलब है उन पर पैसा खर्च करते हैं जैसे कि आपको पता होगा गांव का जो प्रधान के चुनाव जो होते हैं। प्रधानी चुनाव ग्राम पंचायत के चुनाव वहां पर अप व्यय यानी की पैसा दिया जाता है। उसमें प्रधानी के लिए पैसा दिया जाता है कि तुम मुझ को vote दो यानी कि vote खरीदे जाते हैं।

नंबर 5. धनवानों की प्रबलता (the power of the rich):

दोस्तों आपने देखा होगा कि जो लोग प्रधानी का चुनाव लड़ते हैं उनके पास धन की प्रबलता होती है। आखिर उनके पास पैसा होता है तभी वह लोग करते हैं। उनके पीछे बड़े का सपोर्ट होता है। पैसे वाले का सपोर्ट होता है तभी वह लोग नेता बन सकते हैं।

दोस्तों आपको बता दें कि जितनी भी ग्राम पंचायत होती है। उनमें यही हाल होता है। क्या होता है कि एक व्यक्ति पैसा लगाएगा तो खड़ा होगा और वही ज्यादा पैसा लगाएगा तो जीत जाएगा या फिर ऐसा काम होगा कि वहां पर जिस जात के ज्यादा लोग होंगे तो वह जीत जाएगा। क्योंकि जात का भाईचारे का जो सपोर्ट है वह ज्यादा मिलता है।

लेकिन दोस्तों जो Educated person है या थोड़े बहुत पढ़े लिखे हैं। वह क्या सोचेंगे कि हमारे गांव का विकास हो हमारे देश का विकास हो अगर गांव का विकास होगा तभी तो देश का विकास होगा।

तो फिर वहां पर क्या होगा कि  जो गांव के बड़े लोग होंगे वही खड़े होंगे और फिर वही जीत जाएंगे पैसा लगाकर जिसको interest होगा वही खड़े होते हैं फिलहाल के लिए सभी नहीं खड़े हो पाते।

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नंबर 6. अन उत्तरदाई शासन (unaccountable governance):

दोस्तों अन उत्तरदायी शासन का क्या मतलब है देखिए इसमें आप लोगों को direct answer नहीं मिलेगा जैसे कि गांव की नाली  फूट गई तो आप प्रधान से सीधा जाकर नहीं बोल दोगे कि गांव की नाली फूट गई है। चलो जाकर बनवाओ! ऐसे आप बोलोगे तो वह आपको जवाब भी नहीं देंगे ऐसे शासन चलता है लोकतंत्र में यह कमी है।

नंबर 7.  कोरा आदर्शवाद (pure idealism):

दोस्तों इसमें क्या होता है कि जो आपके सगे संबंधी हैं मतलब कि आपके आसपास के लोग आप की जात के लोग, आपके गांव के लोग, आपके धर्म के लोग इन लोगों के लिए आप इन लोगों के लिए काम कर रहे हैं और बाकी जो अन्य जगह से हैं उन लोगों के लिए आप काम नहीं कर रहे हैं यह कोरा आदर्शवाद है।

नंबर 8. अंधभक्ति (Blind Faith):

दोस्तों अंधभक्ति का मतलब है उस पर ज्यादा विश्वास कर लेना जिसने एक बार अच्छा काम कर दिया हो। उनके लिए दी गई है अंधभक्ति जिन लोगों पर आप ज्यादा विश्वास कर लेते है जो कि एक बार बढ़िया काम कर दिया है बस उन लोगों के गुण गाते रहना। 

इनके पास पैसा हो गया एक बार सपोर्ट कर दिया तो उसी के गुण गाते रहो यह होती है अंधभक्ति।

अब दोस्तों इस पूरे गुण और दोष से क्या निष्कर्ष निकलता है वो हम देखते हैं। इस दोष एवं गुण से यही निष्कर्ष निकला है कि यह जो प्रणाली है वह भी बढ़िया है।

दोस्तों कोई भी प्रणाली होती है वह 100% सही नहीं होती जैसे कि New Education Policy 2020 में आई थी। 

2021 में नई Policy आई थी वह 95% सही है 5 परसेंट उसमें भी कमी है। तो दोस्तों कोई भी चीज है  वह 100% सही नहीं होती।

आपको भी पता है कि दूध 100% pure नहीं होता उसमें भी पानी होता है पानी मिलाया नहीं जाता बल्कि गाय खुद ही देती है। तो आप समझ सकते हैं तो कुछ percent बुराइयां होनी भी चाहिए। किसी के पास अच्छाईयां है तो भी गलत और किसी के पास बुराइयां हैं तो भी गलत।

अब किसी के अंदर अच्छाइयां है तो भी गड़बड़ और किसी के अंदर बुराइयां है तो भी गड़बड़।

दोस्तों आपको पता है सीधा पेड़ जंगल में पहले काटा जाता है टेढ़े को छोड़ दिया जाता है तो पहले टेढ़ा बनना जरूरी होता है तो थोड़ा टेढ़ा रहा करो।

दोस्तों इससे निष्कर्ष क्या निकलता है कि कोई भी चीज है वह 100% सही नहीं होती है तो इसमें निष्कर्ष क्या निकला कि जो लोकतंत्र प्रणाली है वह एकदम सही है इसमें कोई भी गलती नहीं है।

यह जो भी है वह एकदम सही है कोई भी इसमें गलती नहीं है।

उम्मीद करती हूं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी ऐसी ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए।

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आज की पोस्ट में बस इतना ही मिलते हैं एक और नई और रोचक पोस्ट के साथ है तब तक  अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।
                          

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