हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है।
मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।
दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!
तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास topic जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे!
आज मैं आपको बताने वाली हूं कि अपने product या services को advertisement करने के लिए, जब आप अपने विज्ञापन(advertisement) को design करें तो किन factors को आपको ध्यान में रखना चाहिए!
![]() |
अपने विज्ञापन(advertisement) को design करें तो किन factors को आपको ध्यान में रखना चाहिए? - things to keep in mind while advertising |
इन सभी तरीकों को अपनाकर आप product या service की पहचान ग्राहक के दिमाग या मन में छाप के रूप में पड़ जाए और जब भी वह product खरीदे या किसी को भी recommend करें, तो सबसे पहले उसके मन में, आपका नाम या आपका product या service आनी चाहिए।
कुछ companies products information based advertisements डिजाइन करती हैं। जैसे टाटा टी-जिसमें लॉन्ग है, तुलसी है, इलायची है और साथ-साथ ingredients से होने वाले फायदे भी है। यह कंपनी इसके बारे में विशेष रूप से बताती है जिसके कारण विज्ञापन को देखते ही खराब के मन में टाटा टी के प्रति एक विश्वसनीयता बढ़ जाती है।
किसी भी products या services को बेचने के लिए मार्केट में जगह बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। और अपने target customers तक, उस इंफॉर्मेशन को पहुंचाना एक बहुत बड़ा task है।
प्रोडक्ट को मार्केट में बेचने के लिए उसकी branding, promotion, advertisements और marketing कार्य बहुत अधिक पैसे खर्च किया जाता है।
विज्ञापन पर बहुत अधिक पैसा खर्च करने के बाद भी जब अच्छा परिणाम नहीं आता तो बिजनेसमैन मायूस हो जाता है। जिसकी वजह से या तो वह विज्ञापन पर खर्चा कम कर देता है या विज्ञापन करना बंद कर देता है और इसका सीधा प्रभाव सेल्स(sales) पर पड़ता है।
इसलिए समझना बहुत जरूरी है कि जिस प्रोडक्ट या सर्विस का आप advertisements करने जा रहे हैं उसका राइट consumer या clients कौन है।
मतलब यह समझना होगा कि उसका ग्रुप एज कंजूमर(group age consumer) क्या है?, जेंडर(gender) क्या है?, बाइंग कैपेसिटी(buying capacity) कितनी है?, कल्चर(culture) क्या है?, नेचर ऑफ थिंकिंग(nature of thinking) क्या है?, लेवल ऑफ एजुकेशन(level of education) कितना है?, इन सभी चीजों से आप decide कर पाएं कि आपको किस तरह का विज्ञापन डिजाइन के आ जाए कि वह व्यक्ति सही तरीके से प्रभावित हो सके और उससे मिलने वाला रिजल्ट बहुत अधिक हो।
(1) विज्ञापन में आयुर्वेद का जिक्र होना चाहिए। आयुर्वेद के जिक्र से आपके विज्ञापन में चार चांद लग जाते हैं और लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं।
(2) प्रश्न मूल (question source):-
क्वेश्चन based से हमारा अभिप्राय इस बात से है कि ग्राहक के मन में प्रश्न पैदा कर देती है। ग्राहक से ऐसा क्वेश्चन पूछते हैं कि वह सोचने पर मजबूर हो जाता है, कि क्या मेरे प्रोडक्ट में ऐसा है?
उदाहरण के लिए - कोलगेट, क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है?
कहने का अभिप्राय यह है कि प्रश्न पूछने से ग्राहक के मन में उस प्रोडक्ट या सर्विस का नाम कई देर तक रहता है और वह इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा विचार करता है। वह सोचता है कि जो विज्ञापन में दिखाया गया है वह क्वालिटी मेरे प्रोडक्ट में है या नहीं। अगर उसके प्रोडक्ट में बताई गई क्वालिटी नहीं है तो वह विज्ञापन वाले प्रोडक्ट को खरीद लेगा।
(3) यूएसबी बेस्ड एडवरटाइजमेंट (usb based):-
उसे प्रोडक्ट की यूएसबी क्या है? साधारण भाषा में मैं आपको समझाऊं तो लोग सस्ती चीजों को ज्यादा खरीदना पसंद करते हैं। कम बजट वाले लोगों को कम पैसों में ज्यादा फायदे लेने की इच्छा होती है। जो financially ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहते और सेविंग करना चाहते हैं, उन लोगों को यह दिखाया गया कि यह वस्तु कम पैसे खर्च करवाती है और ज्यादा लाभ देती है।
(4) इमोशन बेस्ट एडवरटाइजमेंट (emotion based advertising) :-
विज्ञापन देखने वाले के मन में ऐसी भावनाएं पैदा की जाती हैं कि विज्ञापन वाली वस्तु या सर्विस की आवश्यकता उसे महसूस होने लगती है। वह सोचता है कि इस वस्तु की मुझे जरूरत है और विज्ञापन वाली वस्तु या सर्विस की कमी उसे महसूस होने लगती है।
(5) डर पैदा करना (to create fear) :-
कुछ कंपनीज अपने प्रोडक्ट को लेकर ग्राहक के मन में एक ऐसा भय या ऐसा डर पैदा करती हैं, जिसकी वजह से ग्राहक को ऐसा लगता है कि 'अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो पता नहीं मेरा क्या होगा'।
उदाहरण के लिए- गुड नाइट कंपनी, नाइट क्वीन और मॉस्किटो आदि। यह कंपनियां कंजूमर के मन में कहीं ना कहीं डर पैदा कर देती हैं कि अगर आपने इसका इस्तेमाल नहीं किया तो डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां आपके घर में फैल जाएंगी।
(6) देशभक्ति की भावना और प्रवृत्ति (patriotism based) :-
देशभक्ति मनोविज्ञान और भावनाओं के साथ खेल कर कुछ कंपनियां अपने प्रोडक्ट या सर्विस को मार्केट में बेचती हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि आप में देशभक्ति की भावना जागृत करके अपने समान को बेचने की पूरी कोशिश की जाती है।
लोगों को स्वदेशी वस्तुओं का नाम देकर अपनी सर्विस को मार्केट में बेचा जाता है।
जैसे- टाटा नमक देश का नमक, पतंजलि आदि वस्तुओं को स्वदेशी बता कर बेचा जाता है।
भारत में लाखों ऐसी वस्तुएं हैं जिस को पूर्ण रूप से भारत में ही बनाया जाता है। लेकिन इसके बावजूद भी पतंजलि ने एक advertisement के माध्यम से अपने समान को बेचा।
पतंजलि ने कहा कि "स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ"।
(7) तुलनात्मक विज्ञापन (comparative advertisement) :-
किसी दूसरे प्रोडक्ट या सर्विस से तुलना करके अपने प्रोडक्ट को श्रेष्ठ बताना। दूसरे प्रोडक्ट कमियों को बता कर अपने प्रोडक्ट की खूबियों को विज्ञापन में दिखाना।
साधारण भाषा में मैं आपको बताऊं तो दूसरे प्रोडक्ट से मिलता जुलता प्रोडक्ट दिखाना और अपने प्रोडक्ट की खूबियों को ध्यान देते हुए इस प्रोडक्ट को एडवर्टाइज करती हैं।
उदाहरण के लिए-जब भी आप डिटर्जेंट का विज्ञापन देखते हैं तो एक साधारण डिटर्जेंट से कपड़े धो कर दिखाया जाता है और दूसरा कंपनी के डिटर्जेंट से धो कर दिखाया जाता है।
दूसरे डिटर्जेंट से धोने के बाद दागों पर कोई खास असर नहीं होता जबकि अपने प्रोडक्ट को दिखाते समय बढ़ा चढ़ा कर सभी दागों को मिटाया हुआ दिखाते हैं।
(8) क्रॉस प्रमोशन एडवरटाइजमेंट (cross promotion advertisement):-
कुछ कंपनियां क्रॉस प्रमोशन एडवर्टाइजमेंट में उन प्रोडक्ट को जोड़ा जाता है जो आपस में एक दूसरे के प्रतियोगी नहीं होते।
उदाहरण के लिए- वॉशिंग मशीन के साथ सर्फ-एक्सेल।
साधारण भाषा में मैं आपको बताऊं तो एक प्रोडक्ट के साथ दूसरे प्रोडक्ट को फ्री में दिया जाता है। लोगों को गिफ्ट का बहाना करके प्रोडक्ट बेचा जाता है।
दो कंपनीज आपस में मिलकर कम बजट में एक दूसरे के प्रोडक्ट को एडवर्टाइज करते हैं।
बहुत सारी कंपनी अलग-अलग त्योहारों पर अलग-अलग एडवर्टाइजमेंट मार्केट में लॉन्च करती रहती है।
इसकी वजह से त्योहारों के समय उस सर्विस या प्रोडक्ट की सेल एकदम से ही बहुत अधिक हो जाती है।
जैसे- दिवाली के टाइम पर मिठाइयों का विज्ञापन, रक्षाबंधन के टाइम पर चॉकलेट या गिफ्ट्स का विज्ञापन।
(9) स्कीम एंड ऑफर्स बेस्ड (schemes and offers based):-
कुछ कंपनियां हमेशा यह रिसर्च करती हैं कि कौन-कौन सी स्कीम्स कंजूमर को अट्रैक्ट कर सकती हैं।
जैसे- ऐमेज़ॉन महासेल, बिग बाजार महासेल, बिग बाजार बचत योजना आदि।
(10) फनी एडवरटाइजमेंट (funny advertisement) :-
कुछ कंपनियां इस तरह का एडवर्टाइजमेंट डिजाइन करती हैं कि उसे किसी ना किसी फन के साथ जोड़ दिया जाए। साधारण भाषा में मैं आपको समझाऊं तो कुछ कंपनियां अपनी एडवर्टाइजमेंट को इस प्रकार डिजाइन करती है कि देखने वाला उसे मनोरंजन के लिए देखें।
उदाहरण के लिए- हैप्पी डेंट चिंगम, फाइव स्टार चॉकलेट की एडवरटाइजमेंट आदि।
विज्ञापन को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि देखने वाला उसे इंजॉय करें और उसकी तरफ ग्राहक का सारा ध्यान आकर्षित किया जा सके।
विज्ञापन की सहायता से आप ज्यादा से ज्यादा अपने प्रोडक्ट या सर्विस को मार्केट में उतार कर अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।
अगर आप इन सभी तरीकों को ध्यान में रखकर विज्ञापन तैयार करते हैं तो आप ग्राहक के मन में अपने प्रोडक्ट ओर सर्विस को लेकर जगह बना सकते हैं। विज्ञापन ऐसा होना चाहिए कि लोग उससे बोर ने हो।
आज के आधुनिक युग में विज्ञापनों का बहुत बड़ा महत्व है। ज्यादातर लोग विज्ञापनों को देखकर ही वस्तुएं खरीदना पसंद करते हैं। वह जो पूरे दिन विज्ञापनों में देखते हैं या जिस प्रोडक्ट को हो बार-बार देखते या सोचते हैं उतना ही उनके दिमाग में उस प्रोडक्ट को लेकर आकर्षण बढ़ जाता है।
अगर आप अपने प्रोडक्ट को हर गांव, हर शहर, हर कस्बे, या हर व्यक्ति तक अपने प्रोडक्ट की पहचान करवाना चाहते हैं तो विज्ञापन एक उचित माध्यम है।
आप जितना अच्छा विज्ञापन दिखाते हैं या लोगों के दिमाग पर आपके विज्ञापन का जितना अधिक असर होता है उतना ही आपको लाभ पहुंचता है।
आज के लेख में इतना ही उम्मीद करती हूं आप इन सभी तरीकों को ध्यान में रखकर विज्ञापन के क्षेत्र में उच्च स्तर तक पहुंच पाएंगे।
उम्मीद करती हूं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी ऐसी ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए।
आज की पोस्ट में बस इतना ही मिलते हैं एक और नई और रोचक पोस्ट के साथ है तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।