स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो भाषण इतना प्रसिद्ध क्यों है?

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मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।

दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!

तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास टॉपिक जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे! 

दोस्तों आज हम जानेंगे स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो भाषण इतना प्रसिद्ध क्यों है?

स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो भाषण इतना प्रसिद्ध क्यों है?


और उन्होंने अपने भाषण में क्या-क्या कहा था।।

जी हां दोस्तों इसी विषय पर आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे।

दोस्तों स्वामी विवेकानंद जी ने अपने भाषण में कहा था कि:- "मेरे सभी अमेरिकी बहनों और भाइयों आपके इस स्नेह पूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष और खुशी से भर गया है।"

मैं आपको दुनिया के सबसे पौराणिक दिक्षुओ की तरफ से धन्यवाद देता हूं।

मैं आपको सारे धर्मों की जन्नी  की तरफ से धन्यवाद देता हूं और मैं सभी जाति संप्रदायों के लाखों करोड़ों हिंदुओं की तरफ से धन्यवाद देता हूं।

मेरा धन्यवाद उन वक्ताओं को भी है जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरक के देशों से फैला है।

और दोस्तों उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है।

हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।

और उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं ऐसे देश से हूं जिसने इस धरती के सभी सताए गए लोगों को शरण दी है।

मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में इजराइल की शुद्धतम स्मृतियां बचा कर रखी है। जिनके मंदिरों को रोमनो ने तोड़ तोड़कर खंडहर बना दिया और उसके बाद उन्होंने दक्षिण में शरण ली।

मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने महान पारसी देशों के अवशेषों को शरण दी और अब भी को बढ़ावा दे रहा है।

दोस्तों उसके बाद उन्होंने कहा कि भाइयों मैं आपको एक श्लोक की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहूंगा जिसे मैंने बचपन से ही याद किया है और दोहराया है और जो करोड़ों लोगों द्वारा रोजाना दोहराया जाता है।

जिस तरह विभिन्न धाराओं की उत्पत्ति विभिन्न स्त्रोतों से होती है उसी प्रकार मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है।

यह रास्ते देखने में भले ही सीधे-साधे या टेढ़े मेढे लगे
लेकिन यह सभी भगवान तक ही जाते हैं।

वर्तमान सम्मेलन जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से एक है।

श्री कृष्ण की गीता में बताए गए एक सिद्धांत का प्रमाण है जो भी मुझ तक आता है, चाहे किसी भी रुप में मैं उस तक पहुंचता हूं। सभी मनुष्य विभिन्न मार्गों पर संघर्ष कर रहे हैं जीन सब का अंत मुझ में है।

सांप्रदायिकता करतकता और इसके भयानक वंशज और हठधर्मिता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजे में जकड़े हुए हैं।

इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और कितने देश नष्ट हुए हैं।

अगर यह भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज
कहीं जाता उन्नत होता लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है।

दोस्तों आगे उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिता हर तरह के क्लेश चाहे वह तलवार से हो या कलम से और हर एक मनुष्य जो कि एक ही लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं इस की बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।

दोस्तों यह था स्वामी विवेकानंद जी द्वारा दिया गया
शिकागो भाषण।

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दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको कुछ सीखने को मिला होगा दोस्तों ऐसी ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए।

आज के लेख में बस इतना ही मिलते हैं एक और नई जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

आपकी दोस्ती अंशिका डाबोदिया।।

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