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मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।
आज मैं आपके लिए एक नया एवं ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण लेख लेकर आई हूं।
जिसके बारे में आपको पता होना बहुत जरूरी है तो चलिए बिना समय बर्बाद किए शुरू करते हैं आज की महत्वपूर्ण जानकारी।
तो हम महाभारत के युद्ध से तो परिचित है ही।
लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि यह पवित्र ग्रंथ किसके द्वारा लिखा गया है। ज्यादातर लोगों को यह पता है कि महाभारत ग्रंथ महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित है।
महाभारत ग्रंथ की रचना किसके द्वारा की गई है? |
हालांकि कुछ ही लोगों को यह भी पता है कि महर्षि वेदव्यास ने सिर्फ महाभारत ग्रंथ को बोला था। जबकि सत्य तो यह है कि महाभारत की लेखनी माता पार्वती और शिव जी के पुत्र गणेश जी ने की थी।
एक धार्मिक कथा के अनुसार जब महर्षि वेदव्यास महा भारत के नाम से इस महाकाव्य की रचना करने वाले थे तो वे ऐसे लेखक की तलाश में थे जो उनके विचारों को बाधा ना करें और लगातार लिखता रहे।
इस कर्म में महर्षि वेदव्यास को गणपति जी की विद्या और लेखनी में अधिपति होने की याद आई। शास्त्रों में भी गणपति जी की लेखन पद्धति को अद्वितीय माना गया है।
इस क्रम में महर्षि वेदव्यास ने गणपति जी से आग्रह किया कि वे उनके महाकाव्य के लेखक बने।
महर्षि वेदव्यास की बातें सुनने के बाद गणेश तैयार तो हो गए परंतु उन्होंने एक शर्त रख दी। अब आप सोच रहे होंगे कि वह शर्त क्या थी?
श्री महर्षि वेदव्यास जी से गणेश जी ने कहा कि वह महाभारत के लेखक तो बनेंगे परंतु महर्षि वेदव्यास इस कथा वाचन में जरा भी विश्राम नहीं करेंगे।
यदि महर्षि जरा भी कथा वाचन में विश्राम लेंगे तो गणेश जी लिखना बंद कर देंगे।
इसके साथ ही गणेश जी ने कहा कि हर पंक्ति को लिखवाने से पहले उसका अर्थ बताना होगा। इसके बाद महर्षि वेदव्यास को उनकी बात पसंद आई और उन्होंने यह शर्त स्वीकार कर ली।
महाभारत ग्रंथ की रचना किसके द्वारा की गई है? - the better lives |
गणेश जी महाराज की शर्त मानने के बाद महर्षि वेदव्यास उनके सामने बैठ गए और उन्होंने बहुत गति के साथ बोलना प्रारंभ कर दिया और उतनी ही तेज गति के साथ विघ्नहर्ता श्री गणेश जी ने महाकाव्य को लिखना प्रारंभ कर दिया।
ऐसा कहा जाता है कि संपूर्ण महाभारत महाकाव्य 3 वर्षो में पूरा हुआ था। इन 3 वर्षों में महर्षि वेदव्यास को श्री गणेश ने एक बार भी नहीं रोका और महाकाव्य का लेखन कार्य पूरा किया तो ऐसे हैं गणेश जी महाराज अत्यंत कृपालु।
धन्य है श्री गणेश जी महाराज जिन्होंने इतने पवित्र ग्रंथ को लिखा और उसे अच्छे ढंग से पूरा किया। साथ ही धन्य है महर्षि वेदव्यास जिन्होंने इस ग्रंथ का अपने शब्दों में अनुकूलन किया।
जय श्री गणेशाय नमः।
आशा करती हूं आज की जानकारी महाभारत महाकाव्य से जुड़ी जानकारी आपको पसंद आई होगी और आप को जरूर कुछ सीखने को मिला होगा।
दोस्तों ऐसी ही इंटरेस्टिंग पोस्ट पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए।
दोस्तों आज के लेख में बस इतना ही मिलते हैं एक और रोचक जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई का विशेष ध्यान रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।।