हैलो दोस्तों कैसे हैं आप! उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है।
मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।
दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!
तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास टॉपिक जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे!
दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि ब्राह्मण लोग लहसुन प्याज क्यों नहीं खाते इसके पीछे क्या वजह है?
आइए दोस्तों जानने की कोशिश करते हैं:
दोस्तों भारत एक ऐसा देश है जहां कई तरह के धर्म और कई तरह की मान्यताएं हैं।
दोस्तों भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में विख्यात है और प्रसिद्ध भी है बस इन्हीं धर्मों में से एक धर्म है हिंदू धर्म।
दोस्तों हिंदू धर्म मैं कोई भी कार्य बिना रीति रिवाज और बिना धर्म के नहीं होता।
और यही कारण है कि सब इसकी तरफ आकर्षित होते हैं।
दोस्तों हिंदू धर्म में कई तरह की जातियां और उपजातिया भी है और कई तरह के समाज है।
जिसमें दोस्तों कई तरह की रीति रिवाज, खानपान, और कई तरह का अलग-अलग पहनावा भी है।
दोस्तों इन्ही में से एक समाज है जिसका नाम है ब्राह्मण समाज।
दोस्तों आपने देखा होगा हमारे समाज में अक्सर ब्राह्मण लहसुन और प्याज नहीं खाते हैं।
इस संदर्भ में सबकी अपनी अपनी अलग-अलग राय है।
दोस्तों आपको बता दें कि समंदर मंथन के दौरान जब समुद्र से अमृत का कलश निकला तब विष्णु भगवान सभी देवी देवताओं को अमर होने के लिए अमृत बांट रहे थे।
तो उसी टाइम राहु केतु नाम के दो राक्षस बीच में जाकर बैठ गए थे ऐसे में विष्णु भगवान ने गलती से उन्हें भी अमृत पिला दिया।
लेकिन जैसे ही देवताओं को यह पता चला तो विष्णु भगवान ने तुरंत अपने सुदर्शन चक्र से उनके सिर धड़ से अलग कर दिए।
आखिर ब्राह्मण क्यों नहीं खाते हैं लहसुन, प्याज?
दोस्तों जब राहु और केतु के सिर धड़ से अलग हुए तो उनके मुंह में कुछ अमृत की बूंदें चली गई थी।
इसलिए राक्षस का सिर तो अमर हो गया लेकिन धड़ खत्म हो गया लेकिन जब भगवान विष्णु जी ने जब उन पर प्रहार किया तो उनके रक्त की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई थी।
और दोस्तों उसी रक्त की बूंद से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई है।
इसलिए इनको खाने से मुंह से गंध आती है।
दोस्तों इस का मतलब है कि राक्षस के रक्त से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई है।
इसलिए दोस्तों ब्राह्मण लोग इसका सेवन नहीं करते हैं।
ब्राह्मण समाज का मानना है कि लहसुन और प्याज में राक्षसों का वास है इसलिए वह इनका सेवन नहीं करते हैं।
दोस्तों यह तो थी धार्मिक मान्यता। चलिए अब आपको वैज्ञानिक कारण भी बताते हैं और हम आपको वह कारण भी बताएंगे जिसकी वजह से ब्राह्मण समाज के लोग लहसुन, प्याज से दूरी बना कर रखते हैं।
दोस्तो आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणी में बांटा गया है।
नंबर 1. सात्विक।
नंबर 2. तामसिक।
नंबर 3. राक्षस यानी राजस।
दोस्तों मानसिक स्थितियों के आधार पर हम इन्हें ऐसे बांट सकते हैं:
दोस्तों सात्विक भोजन का मतलब है शांति, संयम, पवित्रता, और मन को शांति देने वाले गुण वाला खाद्य पदार्थ।
दोस्तों राक्षसी भोजन यानी राजस भोजन का मतलब है जुनून, और खुशी जैसे गुण वाला भोजन।
और दोस्तों तामसिक भोजन का मतलब है क्रोध, अहंकार,
और विनाश जैसे गुण वाला भोजन।
दोस्तों अब हम जानेंगे लोग क्यों नहीं खाते हैं लहसुन और प्याज खास करके ब्राह्मण समाज के लोग आइए ओर विस्तार से जानते हैं:
दोस्तों प्याज, लहसन और ऐसे पौधों को ऐसी कैटेगरी में रखा गया है कि यह क्रोध, अहंकार, अज्ञानता और विनाश को जन्म देते हैं और उन में वृद्धि करते हैं।
दोस्तों हिंदू धर्म में हत्या करना पाप माना जाता है और जमीन के नीचे उगने वाले भोजन में समुचित सफाई की जरूरत होती है जो सूक्ष्म जीवों की मौत का कारण बनता है।
इसलिए दोस्तों यह मान्यता भी ब्राह्मणों के लिए लहसुन प्याज ना खाने की एक बड़ी वजह मानी जाती है।
लेकिन दोस्तों अब सवाल आलू, मूली, गाजर, शकरगंदी और जमीन के नीचे उगने वाले उन सभी फ्रूट और सब्जियों पर उठता है कि यह सब भी अशुद्ध है लहसुन, प्याज की तरह।
दोस्तों कुछ लोगों का यह भी कहना है कि मांस, प्याज और लहसुन का अधिक मात्रा में सेवन करना व्यापार में बदलाव का कारक बन जाता है।
दोस्तों शास्त्रों के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों में निषेध है क्योंकि आमतौर पर यह अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाने की श्रेणी में आते हैं।
दोस्तों ब्राह्मणों को पवित्रता बनाए रखने की जरूरत होती है
क्योंकि वह देवताओं की पूजा करते हैं जो प्रकृति के साथ
शुद्ध और पवित्र होते हैं।
दोस्तों अब जानेंगे कि सनातन धर्म के अनुसार क्यों नहीं खाते लहसुन और प्याज?
दोस्तों सनातन धर्म वेद के अनुसार लहसुन और प्याज
सब्जियों में सबसे निचले दर्जे की होती हैं। जिसकी वजह से इंसान में यह अवगुण आने लगते हैं। यह उत्तेजना और अज्ञानता को बढ़ावा देती है।
जिसके कारण अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति का मन बदल जाता है या मन एकाग्र नहीं हो पाता और उसके अध्यात्म में बाधा आने लगती हैं और इससे व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है।
जिसके कारण दोस्तों इनका सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन दोस्तों आजकल इन बातों का कम महत्व रह गया है।
क्योंकि शहरी जीवन में तो जाति व्यवस्था लुप्त होने के कगार पर है।
और दोस्तों बेहद कम लोग ही इन बातों का पालन कर पाते हैं
दोस्तों आज के दौर के अधिकांश लोग खासकर युवा पीढ़ी इन सब चीजों को अंधविश्वास मानती है और यह वर्तमान जीवन शैली के कारण इन सब का पालन नहीं कर पाते हैं।
दोस्तों उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी।
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दोस्तों आज के लेख में बस इतना ही मिलते हैं एक और नई और महत्वपूर्ण जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई का विशेष ध्यान रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।