ईश्वर के प्रति हमारे मन में श्रद्धा है, मगर क्या पूजा-पाठ करना आवश्यक है?

हैलो दोस्तों कैसे हैं आप! उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
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मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।

दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!

तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास टॉपिक जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे! 

दोस्तों हमारा आज का विषय है पूजा पाठ क्या है? और क्या यह करना आवश्यक है? हमें कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?

ईश्वर के प्रति हमारे मन में श्रद्धा है, मगर क्या पूजा-पाठ करना आवश्यक है?


जी हां दोस्तों इस के बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे क्या पूजा पाठ करना जरूरी है और इसके करने से हमें क्या शुभ फल मिलता है और अगर हम नहीं करते तो इसके क्या दुष्प्रभाव पड़ते हैं? हमें कौन सी पूजा करनी चाहिए? असल में सच्ची पूजा क्या है? 

यह सारी बातें आज मैं अपने एक्सपीरियंस के बेस पर इस पोस्ट में आपके साथ शेयर करूंगी इसलिए पोस्ट को पूरा पढ़ें।

तो दोस्तों हमारा आज का विषय है कि क्या पूजा पाठ करने से कोई फायदा होता है? क्या हमें पूजा पाठ करनी चाहिए?

तो इसका जवाब है दोस्तों हमें पूजा-पाठ जरूर करनी चाहिए और पूजा पाठ करने से हमें बहुत ज्यादा फायदा होता है लेकिन कौन सी पूजा करनी चाहिए?

वह मंदिर वाली पूजा पाठ? 

वह पंडित द्वारा करवाई गई पूजा पाठ?

इसका जवाब है जी नहीं।

दोस्तों हमें यह दिखावे वाली पूजा नहीं करनी है

क्योंकि यह पूजा नहीं है दोस्तों असली पूजा है खुद से ईमानदार रहना।

दोस्तों यदि आप खुद से ईमानदार हैं तो यही सबसे बड़ी पूजा है और इससे आपको फायदा जरूर मिलेगा।

जो पूजा पंडित कराते हैं जो पूजा मंदिरों में होती है। उसका जब तक कोई मूल नहीं है तब तक आप अंदर से ईमानदार नहीं हो। आपके अंदर सत्य का भाव नहीं है तब तक उस पूजा का कोई मूल्य नहीं है।

यदि आप सत्य के रास्ते पर चल रहे हैं और खुद से ईमानदार हैं तो आपको उस पंडित वाली मंदिर वाली पूजा पाठ की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि असली पूजा-पाठ यही है कि आप खुद से ईमानदारी रखिए।

दोस्तों आप जीवन में जब भी कुछ गलत करते हैं तो आपके अंदर कोई है जो कहता है कि तुम यह गलत कर रही हो।

दोस्तों जब भी कोई काम बिगड़ता है तो आपके अंदर कोई है जो कहता है कि यहां गलती हुई है।

यहां तुम्हारा लालच था।

यहां तुमने बेईमानी करी हैं यह हमारे अंदर से आवाज आती है।

दोस्तों खुद से ईमानदार होना यही हमारी असली पूजा है और यहां किसी फूल की जरूरत नहीं, किसी पंडित की जरूरत नहीं। किसी मूर्ति की जरूरत नहीं, किसी घंटी की जरूरत नहीं है

क्योंकि हमारे सच्चे हृदय में हमारे परम पिता परमेश्वर का साक्षात वास है जिसका अनुभव हमें तब हो सकता है जब हम खुद से पूरी तरह ईमानदार होते हैं।

अगर आप खुद से ईमानदार होते हैं तो आप जहां भी जाएंगे आपका देखने का नजरिया अच्छा और सही होगा। आपकी जिंदगी में कोई तकलीफ नहीं होगी।

कोई घटना होने से पहले आपको खुद यह आभास हो जाएगा कि कुछ गलत होने वाला है।

और दोस्तों यही सबसे मुश्किल काम है खुद से ईमानदार होना और यही काम बहुत सारे लोग नहीं कर पाते हैं इसलिए बहुत दुखी रहते हैं, बहुत सारी पूजा पाठ करते हैं लेकिन उनको कोई फायदा नहीं मिलता।

दोस्तों अगर आप खुद से ईमानदार नहीं है तो कोई फायदा नहीं है। उस पूजा का जो आप मंदिर में करते हैं, घर में करते हैं इसलिए सच्ची पूजा यही है खुद से ईमानदार होना।

अगर आप खुद से ईमानदार हैं तो भगवान आपकी हर कदम पर मदद करेगा चाहे आप दिखावे वाली पूजा करें या ना करें भगवान से कुछ मांगे या ना मांगे।

एक सच्चे और ईमानदार आदमी को भक्त को भगवान खुद ही ढूंढ लेते हैं और उसके बिना मांगे ही सब कुछ दे देते हैं जो उसके लिए आवश्यक है। क्योंकि भगवान हमें वही देते हैं जो हमारे लिए आवश्यक है।

दोस्तों हमें भगवान की बनाई हुई सभी चीजों का प्राणियों का जीव जंतु का इंसानों का जानवरों का कुत्ते का दिल्ली का साधु महात्मा का आदर सम्मान करना चाहिए और हम क्या करते हैं उनको तकलीफ देते हैं।

कोई कुत्ता हमें दिख जाता है तो हम उसको पत्थर मारते हैं। कोई साधु महात्मा आ जाता है तो उसे  खाली हाथ लौटा देते हैं। हमारे बड़े बुजुर्गों ने हमसे कुछ कह दिया तो हम उनको गाली दे देते हैं। उल्टा सीधा बोल देते हैं।

उसके बाद एक दिन आप ने पूजा कर ली आपने हवन करवा दिया तो इसका कोई मतलब है क्या? जो सच्ची पूजा थी उसका तो आपने अनादर कर दिया अपमान कर दिया और दिखावे की पूजा से आपको फायदा चाहिए ऐसा कैसे हो सकता है? यह सब तो भगवान की नजर में बिल्कुल ही गलत है और आपको इससे फायदा चाहिए? यह तो हो नहीं सकता।

अगर आप भगवान की पूजा करना चाहते हैं उनको खुश करना चाहते हैं उनसे शुभ फल प्राप्त करना चाहते हैं तो आप उनके लिए खुद को ईमानदार बनाओ।

और इस पूजा के करने से आपको 100%  सौ पर्सेंट लाभ मिलेगा यह मैं दावे के साथ कह सकती मैंने खुद इसको आजमाया हुआ है और मैं खुद के एक्सपीरियंस के बेस पर आपको यह सारी बातें बता रही हूं दोस्तों ईमानदारी में बहुत ताकत है।

दोस्तों लोग बेईमानी करते हैं और सोचते हैं कि 1 दिन 2 दिन पूजा कर लेंगे तो सारे पाप धुल जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं होता है पूजा कोई कार्य नहीं है जो एक या दो दिन किया जाए। जो लोग पूजा करते हैं वह एक या 2 दिन नहीं करते वह पूजा में ही जीते हैं। क्योंकि पूजा तो एक भाव है यह कोई कार्य नहीं है और हमें उस भाव में जीना है हर वक्त। दोस्तों पूजा में जिया जाता है पूजा को किया नहीं जाता।


दोस्तों सच्चाई के रास्ते पर चलो, अपने हृदय में प्रेम उत्पन्न करो, दूसरों का सम्मान करो, जानवरों से प्यार करो, साधु महात्माओं का आदर् सम्मान करो, भूखों को भोजन खिलाओ, गरीबों की मदद करो, अपनी गलती को स्वीकार करो, यही सबसे बड़ी पूजा है यही सबसे बड़ी साधना है।

दोस्तों अगर आपके दिल में करुणा नहीं है, प्रेम नहीं है, दूसरों के प्रति आदर सत्कार नहीं है, तो आप कहीं भी चले जाइए मंदिर में लाख बार जाइए, माला चढ़ाईए, घंटी बजाइए, मिठाई चढ़ाइए इससे कोई लाभ नहीं होने वाला इससे भगवान खुश नहीं होने वाले क्योंकि जो सच्ची पूजा है वह तो आपने करी ही नहीं।

इसलिए दोस्तों सबसे प्रेम से व्यवहार करो, प्रेम से बात करो, प्रेम से मिलो, दूसरों की मदद करो, भूखों को भोजन खिलाओ, गरीब की मदद करो, इसके अलावा आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है कोई दिखावा करने की जरूरत नहीं है यही सच्ची पूजा है यही सच्ची साधना है। ऐसा करने से आपकी जिंदगी खुशहाल और धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाएगी।

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दोस्तों आशा करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी ऐसी ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए दोस्तों आज के लेख में बस इतना ही मिलते हैं एक और रोचक पोस्ट के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।।

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