असल जीवन में कुछ अच्छे और बुरे कर्मों के फल मिलने के उदाहरण क्या हैं?

हैलो दोस्तों कैसे हैं आप! उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
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मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।

दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!

तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास टॉपिक जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे!

असल जीवन में कुछ अच्छे और बुरे कर्मों के फल मिलने के उदाहरण क्या हैं?


दोस्तों कुछ कर्म इंसान को दुखी करते हैं और कुछ कर्म इंसान को सुखी करते हैं आइए इस पोस्ट के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे 

कि वह कौन से कर्म है जो हमें सुख देते हैं और वह कौन से कर्म है जो हमें दुख देते हैं।

आइए जानते हैं:-

दोस्तों आज हमयह जानकारी एक सुंदर कहानी के माध्यम से आप को समझाने की कोशिश करेंगे।

दोस्तों किसी जंगल में एक कौवा रहता था जो अपने जीवन में बहुत खुश था। उसे किसी तरह की कोई चिंता नहीं थी। लेकिन एक दिन उसने एक हंस को देखा।

असल जीवन में कुछ अच्छे और बुरे कर्मों के फल मिलने के उदाहरण क्या हैं?


और वह सोचने लगा कि यह हंस देखने में कितना सुंदर है।
उसका रंग सफेद है और मैं कितना काला हूं। अपने जीवन में शायद यह हंस बहुत ही सुखी होगा। यह सोचकर वह कोआ एक तपस्वी साधु के पास पहुंचा।

और तपस्वी साधु से कहने लगा कि महात्मा मैंने आज एक हंस को देखा। वह हंस देखने में बहुत सफेद था भगवान ने उसे कितना सुंदर रूप दिया है।

सभी लोग उसके रंग रूप को देखकर उसे कितना आदर सम्मान देते हैं और मुझे देखो मेरा रंग कितना काला है। लोग मुझे देख कर मुझसे नफरत करते हैं। मुझे देखते ही भगा देते हैं और मेरी बोली सुनकर मुझे पत्थर मारने लगते हैं।

और कौवा ने कहा तपस्वी तुम एक काम करो मुझे हंस की तरह सुंदर बना दो। जिससे मुझे भी लोग प्यार करें और मेरा भी सम्मान करें।

दोस्तों वह साधु कहने लगा कि हे कौवे तुझे कैसे पता कि हम हंस अपने जीवन में सुखी है। एक बार तुम हंस से जाकर तो  पूछो कि वह अपने जीवन से खुश है या नहीं?

अगर वह अपने जीवन से खुश होगा तो मैं तुम्हें जरूर हंस बना दुगां।

दोस्तों महात्मा जी की बात सुनकर कौवा दौड़ा-दौड़ा हंस के पास आया और बोला कि हे हंस भाई तुम तो बड़े अपने जीवन में बड़े सुखी होगे क्योंकि भगवान ने तुम्हें कितना सुंदर गोरा रूप दिया है।

सब लोग तुम्हारा कितना आदर करते हैं तुम्हारा नाम भी इज्जत से लेते हैं। पक्षियों में सब सुख तो तुम्हारे पास ही है।

दोस्तों हंस ने जवाब दिया कि हे कौवा भाई मुझे भी पहले ऐसा ही लगता था कि मैं दुनिया में सबसे सुंदर पक्षी हूं और मैं ही दुनिया में सबसे सुखी हूं।

लेकिन जब से मैंने तोता को देखा है मेरा अभिमान चूर चूर हो गया। मुझे भगवान ने इतना सफेद बना दिया है कि मैं दूर से ही दिख जाता हूं। रात्रि में भी लोग मुझे देख लेते हैं और हर समय डर बना रहता कि कहीं कोई शिकारी मुझे अपने बाण का निशाना ना बना ले।

मौज तो उस तोते की है जिसको भगवान ने दो दो रुप दिए हैं। हरे हरे वृक्षों पर बैठता है और मीठे मीठे फल खाने को मिलते हैं और लोग उसे देखते ही रहते हैं। मेरे पास तो सिर्फ सफेद ही रंग है मुझे लगता है तोता सबसे सुखी पक्षी है।


दोस्तों हंस की बात सुनकर कौवा दौड़ा-दौड़ा तोते के पास गया और कहने लगा कि हे तोता भाई आप तो दुनिया में सबसे अधिक सुखी और खुश होंगे। क्योंकि भगवान ने आपको कितने सुंदर 2 रंगों से बनाया है हरे और लाल रंग से।

हरे रंग से आपके शरीर को बनाया है और लाल रंग की आप की चोच कितनी सुंदर लगती है। कौवा बोला मुझे देखो मैं कितना काला हूं।

दोस्तों कौआ की बात सुनकर तोते ने कहा भाई पहले तो मुझे भी ऐसा ही लगता था कि मैं सबसे सुंदर पक्षी हूं। 

लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है। मेरी यह गलतफहमी दूर हो गई क्योंकि भगवान ने मुझे तो सिर्फ दो ही रंगों से बनाया है। लेकिन मोर को तो भगवान ने अनेकों सुंदर रंगों से बनाया है।

उसके इतने सुंदर पंख है कितना सुंदर रुप है दुनिया में सबसे सुखी पक्षी तो मोर है।

दोस्तों तोता की बात सुनकर कौवा मोर के पास चल दिया
ढूंढते ढूंढते उसे एक मोर चिड़िया घर में बंद मिला।

कौवा कहने लगा अरे मोर भाई आपको भगवान ने कितने सुंदर सुंदर रंगों से बनाया है। कितने सुंदर तुम्हारे पंख हैं। सब लोग तुम्हें दूर दूर से देखने के लिए आते हैं। तुमसे कितना प्यार करते हैं। तुम्हारी बोली कितनी मधुर है। जीवन में सबसे सुखी और खुश तो आप ही होंगे।

दोस्तों मोर ने कहा देखो भाई मेरी खूबसूरती के कारण ही लोगों ने मुझे यहां कैद करके रखा है।

मेरी सुंदरता ही मेरी जान की दुश्मन बन गई है और तुम सबको लगता है कि मैं बहुत खुश हूं, बहुत सुखी हूं और मुझसे ज्यादा सुखी और कोई नहीं है

दोस्तों मोर ने कहा अरे भाई पहली बात तो यह है कि सुखी रहने का मतलब सुंदरता नहीं होती।

दोस्तों यही मनुष्य की दशा है कि उसे हर वह व्यक्ति जो धनवान है।  वह सुखी नजर आता है लेकिन उसके पास जाकर उसकी परेशानी पूछी जाए तो ऐसा लगेगा कि दुनिया में सबसे दुखी वही व्यक्ति है।

दोस्तों धनवान होने का अर्थ सुखी नहीं होता है।
अगर सुख धन से मिलता तो दुनिया में बहुत सारे लोग धनी हैं। वह सारा सुख खरीद कर अपनी तिजोरी में जमा कर लेते और निर्धनों को तो सुख बचता ही नहीं।

दोस्तों धन से आप साधन बना सकते हो सुख के लिए
लेकिन सुख मिले ना मिले यह उनके हाथ में नहीं होता।

दोस्तों हम दूसरों को ठीक मान कर उनको सुखी मान लेते हैं
और यही हम गलती करते हैं क्योंकि हमारी आंखें उनके वास्तविक जीवन को समझ ही नहीं पाती है।

हम जो देखते हैं वह असलियत में नहीं होता और जो असलियत होती है वह हम देख ही नहीं पाते।

दोस्तों मोर बोला हे कौवा मनुष्यों के लिए यह 6 बातें मनुष्य लोक में सुख देने वाली होती है:

नंबर 1. धन की आय।

नंबर 2. रोजाना निरोग रहना।

नंबर 3. स्त्री का अनुकूल चलना।

नंबर 4. पत्नी का मधुर बोलना।

नंबर 5. पुत्र का आज्ञाकारी होना।

नंबर 6. धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान होना।

और दोस्तों यह 6 तरह के लोग हमेशा दुखी रहते हैं:-

नंबर 1.  ईर्ष्या करने वाला।

नंबर 2. असंतोषी मनुष्य।

नंबर 3. क्रोधी व्यक्ति।

नंबर 4. हमेशा शंका करने वाला।

नंबर 5. दूसरे के भाग्य पर जीवन निर्वाह करने वाला।

नंबर 6. घृणा करने वाला।

दोस्तों भगवान ने जिसको भी जैसा बनाया है वह उसके अनुरूप ही उचित है। सुखी रहोगे तो उसी में रह लोगे नहीं तो सुख विधाता ने किसी को दिया ही नहीं।

दोस्तों हम अपनी मन की कल्पना से ही सुख समझते हैं
और अपने मन की कल्पना से ही दुख समझते हैं।

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दोस्तों उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी

ऐसे ही इंटरेस्टिंग और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए 

आज के लेख में बस इतना ही मिलते हैं एक और नई जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

 आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।।

2 टिप्पणियाँ

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  1. सुख और दुःख एक आत्मिक अनुभूति होती है। देखने में आता है कि कुछ लोग जरा सी बात पर विचलित हो जाते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो बड़े से बड़े झंझावात को भी झेल जाते हैं और किसी को पता नहीं चल पाता।
    जहां तक कर्मों और उनके फलों का प्रश्न है, कलयुग में जो पैदा होता है वह अल्पज्ञ ही होता है। पूर्व में किये गये कर्म और उनके फलों का ज्ञान उसका विषय नहीं होता।
    भीष्म पितामह ने अपने पिछले 99 जन्मों को देखा परन्तु उन्हें ऐसा कोई पाप कर्म नहीं मिला जिससे उन्हें वाणों की शैय्या पर लेटना पड़ता। उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा तब पता चला कि पिछले 100वें जन्म में उन्होंने किसी शिकार को वाणों से बींधा था।

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    1. नरेंद्र जैन जी कमेंट करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। देखने पर आप कोई आध्यात्मिक व्यक्ति लगते हो।
      वेबसाइट पर आते रहिएगा अगर कोई सुझाव हो तो मुझे आपसे सुझाव लेने में खुशी होगी।
      आपकी प्यारी
      ~ अंशिका

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