हैलो दोस्तों कैसे हैं आप! उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है।
मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।
दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!
तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास टॉपिक जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे!
दोस्तों आज हम आयुर्वेद से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में जानेंगे जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे!
दोस्तों जैसा कि हम सब जानते हैं आयुर्वेदिक बहुत ही डीप साइंस है।
लेकिन हम में से कितने लोगों को एक सही आयुर्वेद दिनचर्या की नॉलेज है शायद 5% लोग ही आयुर्वेदिक दिनचर्या को या डेली रूटीन को जानते है और उसका पालन करते हैं।
तो मेरे प्यारे दोस्तों आज मैं आपको बताऊंगी कि कैसे डेली आयुर्वेदिक दिनचर्या को अपनाकर हेल्दी वेल्थी और वॉइज बने यह जानने की कोशिश करते हैं।
दोस्तों आयुर्वेद के अनुसार जब इंसान के तीन दोसो मैं से कोई एक दोस पीक पर होता है जिसे दोसी क्लोक कहते हैं और जब कोई एक ऑर्गन अपनी पीक फंक्शनिंग पर होता है जिसे बायोलॉजिक क्लॉक कहते हैं।
और जब इस दोशिक क्लॉक और बायोलॉजिक क्लॉक मैं बैलेंस होता है तभी शरीर स्वस्थ रहता है।
हमारे आयुर्वेद ने हमें दिनचर्या के माध्यम से हमें दोशिक क्लॉक और बायोलॉजिक क्लॉक को संतुलित करने का एक आसान उपाय बताया है।
जिसमें एक हेल्दी इंसान के डेली के नियम बनाए गए हैं जो कि वह लॉन्ग लाइफ फॉलो करें तो एक हेल्दी और लम्बी लाइफ जी सकता है तो चलिए दोस्तों आज हम आयुर्वेदिक के अनोखे रहस्य को जानने समझने की कोशिश कोशिश करते हैं:-
नंबर 1. दोस्तों आयुर्वेदिक दिनचर्या का सबसे पहला रहस्य है वेक अप टाइम, सुबह उठने का टाइम:-
नॉर्मली ही आपको एक फिक्स टाइम पर उठना चाहिए जिसे सतवा टाइम कहते हैं। जो सुबह 5:00 से 6:00 के बीच होता है। लेकिन यदि आपको आयुर्वेदिक प्रिंसिपल फॉलो करना है तो सूर्योदय से 45 मिनट पहले जिसे उषा काल या ब्रह्म मुहूर्त भी कहते है।
सीजन वॉइज सुबह उठने का बेस्ट टाइम होता है। दोस्तों क्या आपको पता है क्यों एक न्यू बोर्न बेबी अपने आप सूर्योदय के समय पर उठ जाता है और रोना शुरू कर देता है। क्योंकि जन्म से ही हमें एक नेचुरल बायोलॉजी क्लॉक को फॉलो करने की आदत होती है।
जो हमें सूर्योदय के समय जागने और सूर्यास्त के समय सोने के लिए बताता है तो दोस्तों सुबह सुबह उठने के फायदे क्या क्या है वह हम आपको बताएंगे
दोस्तों सुबह जल्दी उठने का पहला फायदा सूर्योदय के समय सुबह जल्दी उठने पर हमारा माइंड ध्यान और प्रार्थना करने के लिए सबसे शांतिपूर्ण स्थिति में होता हैं और टेंशन फ्री होता हैं दिन का बस यही टाइम हमारा शांत समय होता है।
दूसरा. साइंटिफिकली भी ब्रेन वेव अपनी पीक पर होती है जिसे अल्फा और थीटा स्टेट कहते हैं ।
इसीलिए यह टाइम किसी भी क्रिएटिव काम को करने के लिए बेस्ट होता है जैसे पढ़ने या रिसर्च करने के लिए बेस्ट होता है।
तीसरा. आयुर्वेद में 1 दिन को 6 भागों में या पहर में डिवाइड किया है जिसमें हर पहर 4 घंटे का होता है इसके दो साइकिल्स होते हैं।
वात ×2
पित्त ×2
कफ ×2
दोस्तों नेचुरल बायोलॉजिकल क्लॉक के लिए समय का सही डिवीजन:-
पहली साइकिल है:
A. रात 2:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक।
दोस्तों इस टाइम को वात डॉमिनेटेड करता है जो बॉडी मोमेंट फ्लैक्सिबिलिटी मेंटेल और क्रिएटिव कामों के लिए बेस्ट टाइम होता है
दोस्तों इस टाइम पर उठने से हम अपनी बॉडी मूवमेंट और सोल का भरपूर फायदा उठा सकते हैं क्योंकि उस टाइम पर बॉडी का नेचुरल बायोरिदम यानी कि वाद नेचुरल एक्टिव होता है।
B. सुबह 6:00 बजे से 10:00 बजे तक।
इस टाइम को कप डोमिनेट करता है इस टाइम पर हम हैवी फील करते हैं इसलिए इस टाइम पर उठने से हम पूरे दिन सलो और लेजी फील करते हैं।
C. टाइम सुबह 10:00 से दोपहर 2:00 बजे तक।
दोस्तों इस टाइम को पित्त डोमिनेट करता है यह टाइम 1 दिन का मोस्ट प्रोडक्टिव टाइम होता है जो कि वर्क या काम या एक्सरसाइज के लिए बेस्ट है पित्त का समय लेंच के लिए बेस्ट होता है
क्योंकि उस टाइम में हमारे पेट के अग्नि सबसे ज्यादा एक्टिव होती है इसलिए इस वक्त डाइजेशन भी बेस्ट होता है।
दोस्तों दुसरी साइकल:
A. वाद समय दोपहर 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
फिर से शुरू होता है हम इस समय बहुत ही अलग और क्रिएटिव होते हैं इसलिए यह समय problem-solving प्रोजेक्ट डिजाइनिंग और कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए बेस्ट होता है।
B. शाम 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक कप समय:
दोस्तों यह हमारा स्लो एक्टिविटी टाइम होता है इसलिए सोने के लिए बेस्ट टाइम 10:00 बजे से पहले का होता है।
C. और अंत में 10:00 बजे से रात 2:00 बजे तक फिर से पित्त टाइम:
दोस्तों इस टाइम पर कुछ भी खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह टाइम ऑर्गन हीलिंग और रेस्टोरेशन के लिए रिजर्व होता है।
दोस्तों रिसर्च से यह साबित हो चुकी है कि दुनिया के अमीर लोग सुबह 4:00 बजे उठते हैं।
पांचवा सूर्योदय का समय सबसे शांत समय और बेस्ट समय होता है और उगते सूरज का स्वागत करने से हमारे माइंड में क्लेरिटी प्योरिटी पीस बैलेंस हारमोनी हेल्थी यूनिवर्सल लव भरपूर मात्रा में रहता है।
नंबर 2. दोस्तों आयुर्वेदिक दिनचर्या का दूसरा रहस्य कलजिंग या क्लीनिंग:-
दोस्तों दातों को हर्बल टूथपेस्ट पाउडर या मुलायम टूथब्रश से साफ करें अगर पॉसिबल हो तो सुबह दोपहर रात को दांत साफ करें इसके बेनिफिट्स:
यह मुंह से बैक्टीरिया और दुर्गंध को हटता है।
जीभ साफ करना-ब्रश करते समय हर बार टनक्लीनर से हर बार 7 से 14 स्ट्रोकस में अपनी जीभ साफ करें। अगर हो सके तो टनक्लीनर सोने, चांदी या कॉपर का यूज करें।
जिनमें एंटीबैक्टीरियल और हीलिंग प्रॉपर्टीज होती है
इसके बेनिफिट्स:
दोस्तों इस से जीभ पर रहने वाले बैक्टीरिया की कोटिंग निकल जाती है और यह पेट की अग्नि को भी स्ट्रीमलेट करता है। ऐसा ना करने से बॉडी में टॉक्सिंस की मात्रा बढ़ जाती है जिसे अमा कहते हैं।
जीभ पर टाक्सिन होना और मुंह में बदबू आना यह इंडिकेट करता है कि आपका डिनर पूरी तरह से डाइजेस्ट नहीं हुआ है और इसीलिए ब्रेकफास्ट तब तक न खाएं जब तक रात का खाना डाइजेस्ट ना हो जाए।
गरारा करना या कुल्ला करना:
दोस्तों रोज त्रिफला डिडक्शन या काढे से ही कुल्ला करें गुनगुने तेल या नारियल तेल से कुल्ला 5 या 10 मिनट तक करें इसे ऑयल पुलिंग भी कहते हैं इसके बेनिफिट्स:
दोस्तों यह दातों को सफेद करता है। दांतों और मसूड़ों को मजबूत बनाता है। ओरल आयोजन में सुधार लाता है और हमारी बॉडी को अंदर से डिटॉक्सिफाइ करता है। कैविटीज़ और गम लीडिंग को रोकता है। होंठों मुंह और गले के ड्राइनेस को रोकता है। वॉइस को इंप्रूव करता है और चेहरे के रिंकल्स को भी दूर करता है।
नथूने या नोज ड्रॉप्:
दोस्तों 3 से 5 ड्रॉप्स गुनगुना घी, ब्राह्मी घी या तिल का तेल अपने दोनों नोज में डालें इससे नार्सिस साफ होते हैं आवाज और मेंटल क्रिएटिव साफ होती है।
गर्मियों में यह नॉस्टीव को चिकना बनाए रखता है नोज को डोर वे टू द ब्रेन माना जाता है। नोज ड्रॉप्स यूज करने से हमारा इंटेलिजेंस बढ़ता है।
फेसवास:
अलग-अलग बॉडी टाइप को अलग-अलग फेस वाश यूज करना चाहिए जैसे कि:
वात डोमिनेट बॉडी वालों को गर्म पानी।
पित्त डोमिनेट वालों को ठंडा पानी।
और कफ डोमिनेट वालों को गुनगुना पानी।
इसके बेनिफिट्स: इससे पसीना और दूसरे टॉक्सिंस साफ होते हैं।
ब्लड सरकुलेशन इंप्रूव होता है और स्किन इनफेक्शन भी नहीं होते और यह पिंपल्स को रोकने के साथ-साथ हमारे चेहरे की रंगत को भी निखारता है।
आंखें:
अपने मुंह को पानी से भरे और अपनी आंखों को ठंडे या नॉर्मल पानी से धोएं।
आंखों को घड़ी की दिशा में घुमाएं गोल गोल चारों तरफ ऊपर नीचे घुमाएं इसके बेनिफिट्स:
दोस्तों इस से आई प्रॉब्लम नहीं होती और यह विजन को भी इंप्रूव करता है और यह आंख की गंदगी को भी साफ करता है।
मालिश:
दोस्तों गुनगुने तेल या घी से पूरे शरीर की हल्के हाथ से मालिश करें और उसके बाद ही स्नान करें।
इस में यूज होने वाला ऑयल व्यक्ति की बॉडी के हिसाब से होना चाहिए जैसे:
दोस्तों पित्त वाले व्यक्ति नारियल या सनफ्लावर के तेल का यूज करें।
कफ्फ वाले, मक्की या तिल के तेल का यूज करें।
वात वाले, तिल के तेल का उपयोग करें।
दोस्तों इसके बेनिफिट्स:
तेल मालिश एजिंग और रिंकल्स को रोकता है।
सरकुलेशन इंप्रूव करता है।
माइंड को रिलैक्स और वात को कम करता है।
स्नान:
दोस्तों पूरे शरीर को दिन में एक बार और गर्मियों में दो बार एक बार शाम को और एक बार सुबह जरूर स्नान करें।
इसके बेनिफिट्स:
दोस्तों यह पसीने और इंप्योरिटी को साफ करके हमें अलर्ट और एनर्जेटिक बनाता है।
थकान को कम करके हमें लंबी आयु प्रदान करता है।
नंबर 3. दोस्तों आयुर्वेदिक दिनचर्या का तीसरा रहस्य है प्राणायाम और मेडिटेशन:-
दोस्तों शांत बैठे और ब्रीडिंग एक्सरसाइज करें। किसी भी एक्सरसाइज को शुरू करने से पहले इस एक्सरसाइज को करें। क्योंकि दूसरे एक्सरसाइज करने के बाद हमारी बॉडी एक एनर्जी स्टेट में होती है और हमारा ब्लड प्रेशर भी बढ़ा हुआ होता है।
दोस्तों वात बॉडी टाइप वाले व्यक्ति 12 बार लेफ्ट और राइट नाक से सांस लें जिसे अनुलोम विलोम और प्राणायाम भी कहते हैं वह करें।
पित्त टाइप वाले लोग 16 बार शीतली प्राणायाम करें।
कफ्फ टाइप वाले लोग सौ बार भस्त्रिका प्राणायाम करें।
मेडिटेशन:
दोस्तों आप अपनी पसंद का कोई भी ध्यान या मेडिटेशन करके ही अपने प्राणायाम को खत्म करना चाहिए। यह आपकी लाइफ में शांति और बैलेंस लाता है।
आयुर्वेद सबको खाली कटोरा ध्यान और मेडिटेशन करने की सलाह देता है।
ध्यान करने का तरीका:
दोस्तों चुपचाप आराम से शांत मन से हथेलियों को खोल कर सुख आसन में बैठ जाएं। हथेलियों को खोलकर खाली कटोरे की तरह अपने घुटनों पर रखें। मुंह को थोड़ा खोले और जीभ से अपने तालू को टच करें अपने सामने के ऊपर वाले दांतो के पीछे।
अपनी सांसो पर ध्यान देकर इसे शुरू करें अपना पूरा कंसंट्रेशन अपनी ब्रीडिंग पर लगाएं सांस को छोड़ें और अंदर भरे इसे आप 15 से 20 मिनट तक आराम से करें।
नंबर 4. आयुर्वेदिक दुनिया का चौथा रहस्य व्यायाम यानी एक्सरसाइज:
दोस्तों आयुर्वेद में हमें अपनी अपनी बॉडी टाइप के हिसाब से एक्सरसाइज करनी चाहिए क्योंकि यह हमारे लिए बहुत बेनिफिशियल होता है।
दोस्तों सभी बॉडी टाइप वालों के लिए योगा और स्ट्रैचिंग एक्सरसाइजेज को रकमेंड किया गया है।
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दोस्तों उम्मीद करती हूं आयुर्वेद रहस्य से जुड़ी कुछ जानकारियां मैंने आपके साथ शेयर करी है। आपको जरूर पसंद आई होगी ऐसी ही रोचक और एक महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आएं।
दोस्तों आज के लेख में बस इतना ही मिलते हैं को महत्वपूर्ण जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।।
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