हैलो दोस्तों कैसे हैं आप! उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है।
मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।
दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद जरूरी!
तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास टॉपिक जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे!
दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से आपको एक खास जानकारी देने वाले हैं जो आपके और आपके बच्चों के लिए बहुत ही जरूरी है।
दोस्तों हमारा आज का विषय है किशोरावस्था में हमें यानी मां-बाप को बच्चों के साथ वह लड़का हो या लड़की कैसा व्यवहार करना चाहिए और क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
किशोरावस्था में बच्चों के साथ माता -पिता का कैसा व्यवहार होना चाहिए और क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? |
जी हां दोस्तों यही है हमारा आज का टॉपिक और इस विषय पर आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे और किशोरावस्था, बाल्यावस्था को समझने की कोशिश करेंगे।
दोस्तों क्या आपके बच्चे की उम्र 11 साल और 17 साल के बीच में है?
क्या आपका बच्चा थोड़ा-थोड़ा गुस्सैल होने लगा है?
दोस्तों क्या आपका बच्चा आपका कहना नहीं मान रहा?
क्या आपका बच्चा खुद में खोया खोया रहता है?
दोस्तों अगर ऐसा है तो आज की पोस्ट सिर्फ आपके लिए है। इसलिए पोस्ट को ध्यान से और पूरा पढे। क्योंकि इसमें आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपके बच्चों की कोई समस्या है तो उसका समाधान निकालने में आपको इस पोस्ट के माध्यम से बहुत हेल्प मिलेगी।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको ऐसी कई छोटी छोटी बातें समझाने की कोशिश करेंगे जो आपके बच्चों की लाइफ में बहुत मायने रखती है।
दोस्तो सबसे पहले आप सभी दोस्तों क बहुत-बहुत धन्यवाद! आपका ढेर सारा स्नेह और प्रेम और आपके इतने प्यारे-प्यारे कमेंट को पढ़कर हमें और अच्छा करने की प्रेरणा मिलती हैं।
दोस्तों आपको कोई भी जानकारी चाहिए हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं हम पूरी कोशिश करेंगे आप तक वह जानकारी पहुंचाने की।
दोस्तों किशोरावस्था बहुत ही नाजुक अवस्था होती है। यह 11 साल से 17 साल के बीच की उम्र होती है। यह वह उम्र होती है जो ना सिर्फ बाल्यकाल बल्कि पूरे जीवन काल की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है।
आमतौर पर दोस्तों इस बाल्यकाल अवस्था से जब किशोरावस्था में कदम रखा जाता है तो कई चुनौतियां सामने आती हैं और कई चीजें ऐसी होती हैं जो पहली बार होती है।
जिसमें अपने बच्चों का ध्यान रखना उनको समझाना उनको सही और गलत के बारे में बताना यह मां-बाप के लिए बहुत जरूरी और अहम हो जाता है।
दोस्तों यही वह दौर है जिसमें बच्चे भटक जाते हैं। गलतियां कर जाते हैं और फिर जिंदगी भर उनको पछताना पड़ता है।
किशोरावस्था में बच्चों के साथ माता -पिता का कैसा व्यवहार होना चाहिए और क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? |
आज हम इसी समस्या को लेकर और इसके समाधान को लेकर विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
दोस्तों सबसे पहले हम बात करेंगे कि किशोरावस्था में बच्चों के अंदर क्या बदलाव आते हैं और ऐसी क्या बातें होती है जो आपको मां-बाप होकर कुछ अटपटी लग सकती हैं।
नंबर 1. आपका बच्चा गलत संगति में पढ़ कर बिगड़ैल हो सकता है।
नंबर 2. आपका बच्चा जिद्दी हो कर आपका कहना नहीं मानेगा।
नंबर 3. हो सकता है आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों पर आपके साथ लड़ाई झगड़ा करें।
नंबर 4. हो सकता है आपका बच्चा अकेले में खोया खोया रहे और अपने मन की बात सिर्फ अपने दोस्तों को ही बताएं मां बाप को कुछ नहीं बताएं।
और जब मां-बाप कुछ पूछे तो उनसे सवाल पर सवाल करें और उनकी किसी भी बात को ध्यान से ना सुनकर अनसुना कर दे।
दोस्तों निश्चित तौर पर जब यह समस्याएं पहली बार पेरेंट्स के सामने आती हैं तो उनको बहुत अजीब सा लगता है।
तो दोस्तों बिल्कुल भी घबराइएगा मत आज की इस पोस्ट में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
तो दोस्तों किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें बच्चे में शारीरिक और मानसिक तौर पर कई बदलाव आते हैं।
दोस्तों मानसिक तौर पर उसमें गुस्से की भावना और अहम की भावना उत्पन्न हो जाती है।
उसका नया दृष्टिकोण उत्पन्न हो जाता है हर चीज को देखने का उसका तरीका बदलना शुरू हो जाता है।
दोस्तों ऐसे में बच्चे जानबूझकर ऐसा नहीं करते हैं क्योंकि यह प्रकृति का नियम है प्रकृति का स्वभाव है किबच्चे के स्वभाव के अंदर और उसके व्यवहार के अंदर बदलाव आने लगते हैं।
और दोस्तों जब बच्चे में ऐसे बदलाव आते हैं तो उनके माता-पिता को बहुत अजीब लगता है और वह सोचते हैं कि पहले तो मेरा बच्चा ऐसा नहीं था जो मैं खाना बनाती थी वह खा लेता था।
जो मैं कपड़े लाकर देती थी वह पहन लेता था और इतने सवाल जवाब भी नहीं करता था। मेरी सारी बात मानता था। लेकिन अब आगे से बहुत सवाल जवाब करता है।
तो दोस्तों अगर आपके बच्चे के साथ भी यही समस्या है तो इसके लिए आज हम पांच ऐसे उपाय लेकर आए है। जो इस समस्या से निपटने के लिए आपकी बहुत ही मदद करने वाले हैं।
टॉपिक नंबर 1.आप एक्सेप्ट करें यानी स्वीकार करें।
दोस्तों आप स्वीकार करें कि आपका बच्चा अब बड़ा हो रहा है।
दोस्तों आप को समझना होगा कि अब आप उसके साथ उस तरीके से व्यवहार नहीं कर सकते जिस तरीके से आप पहले करते थे।
आप इस बात को स्वीकार करें यह दुनिया का नियम है कि जब बच्चा किशोरावस्था में पैर रखता है तो उसके अंदर जो बदलाव होते हैं, जो चेंजस होते हैं वह उसके व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं।
आइए अब जानते हैं ऐसे में हमें क्या करना चाहिए एक मां-बाप को क्या करना चाहिए।
दोस्तों ऐसे में आपको अपने बच्चे से बात करनी चाहिए।
आप उसके मां बाप के साथ-साथ उसके दोस्त बनने की कोशिश करें।
और एक दोस्त बनकर उसकी समस्याओं को जानने की कोशिश करें बच्चे से प्यार से बात करें।
और दोस्तों बच्चे को यह समझाने की कोशिश करें कि किशोरावस्था में आपके अंदर यह बदलाव आ रहे हैं यह चेंजिंग आ रहे हैं उनकी वजह से आपका स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा है।
और दोस्तों बच्चे को यह समझाएं कि इस व्यवहार में उन को बच्चों के साथ और बच्चों को उनके साथ इस तरह का व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि हर मां बाप का अपने बच्चों को समझाने का तरीका थोड़ा अलग अलग होता है।
इसलिए जिस हिसाब से आपके बच्चे समझ पाए उस हिसाब से बहुत ही प्यार से आपको अपने बच्चों को समझाना चाहिए। ताकि उनको बुरा ना लगे और आपकी बात आसानी से उनकी समझ में आ जाए।
टॉपिक नंबर 2. उसकी प्रशंसा करें।
दोस्तों आमतौर पर जब हमारा छोटा बच्चा चलने लगता है तो हम उसको छोटी-छोटी बातें समझाते हैं कि देखो मेरा बच्चा चलने लग गया है, देखो मेरा बच्चा बोलने लग गया है तो हम अपने बच्चे की कितनी प्रशंसा करते हैं।
लेकिन दोस्तों जैसे ही बच्चा बड़ा होने लगता है किशोरावस्था में आने लगता है तो उसकी जो उपलब्धियां है उसका हम विरोध करने लग जाते हैं।
उसकी प्रशंसा करने की बजाय हम उसमें कमियां निकालनी शुरू कर देते हैं। उसको कुछ भी सुनाना शुरू कर देते हैं।
तो दोस्तों वहां पर उसकी उपलब्धियों को इग्नोर ना करें। कुछ भी बोलने से पहले सोच ले बच्चे में आए बदलाव को एक्सेप्ट करें उसके व्यवहार को एक्सेप्ट करें।
दोस्तों इस अवस्था में बच्चे को प्यार की सहारे की जरूरत होती है। ऐसे में अगर आप उसके दोस्त बनकर उसका साथ देंगे। उसकी बातों को समझेंगे तो बच्चे बाहर जाकर अपने दोस्तों तो कोई भी पर्सनल बात बताना जरूरी नहीं समझेंगे।
और वह हर बात आपके साथ हैं शेयर करेंगे अपनी हर समस्या आपको बताएंगे इससे आपके रिश्तो में मजबूती आएगी आपके बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा नहीं होगा।
दोस्तों आप अपने बच्चे की मेहनत की प्रशंसा करें। उसकी पढ़ाई को लेकर उसके किसी भी काम को लेकर जिसमें वह अपना सौ पर्सेंट % दे रहा है।
चाहे आपका बच्चा अपने कैरियर में कुछ करना चाहता है तो आप उसका मनोबल बढ़ाएं। उसकी प्रशंसा करें ताकि वह और अच्छा कर सके।
दोस्तों अगर आप ऐसा करेंगे तो आपका बच्चा अपने अकेलेपन से बाहर आने की कोशिश करेगा। वैसे बच्चा अकेलेपन में जाएगा ही नहीं अगर आप उसके दोस्त बनकर उसका साथ देंगे उस से बात करेंगे तो।
और दोस्तों ऐसा करने से आपको और आपके बच्चे को पता ही नहीं चलेगा कि वह कब किशोरावस्था से निकल कर जवान हो गया।
और वह अपने फैसले भी खुद समझदारी से लेने लग जाएगा।
दोस्तों किशोरावस्था में बच्चों को मां-बाप के साथ साथ दोस्त की भी जरूरत होती है। क्योंकि दोस्तों से वह बिना झिझक अपनी हर तरह की बात कर सकते हैं। इसलिए आप उनके मां-बाप के साथ-साथ उसके दोस्त भी बनने की पूरी कोशिश करें।
किशोरावस्था में बच्चों के साथ माता -पिता का कैसा व्यवहार होना चाहिए और क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? |
टॉपिक नंबर 3. रोमांच लाने की कोशिश करें।
दोस्तों इस अवस्था में बच्चा रोमांच लाने की कोशिश करता है उसके अंदर ऐसे हारमोंस रिलीज होते हैं। जिसकी वजह से उसको रोमाच अच्छा लगने लगता है।
इसलिए आप घर में ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चे को अच्छा लगे। उसके लिए कुछ अच्छी-अच्छी चीजें लाइन और उसके लिए एक गोल तैयार करें। उसको बताएं कि उसको लाइफ में यह हासिल करना है ताकि बच्चा उसकी तैयारी में लग जाए और उसको बोरिंग महसूस ना हो।
क्योंकि दोस्तों किशोरावस्था में जब बच्चे अकेले रहते हैं। तो वह गलत आदतों में पड़ जाते हैं जैसे कोई पब्जी खेलने लग जाता है। कोई अपने दोस्तों के साथ ऐसी बकवास फिल्में देखने लग जाता है।
तो इससे बच्चे बिगड़ जाते हैं और आप अगर उसको सही टाइम पर सही फैसला लेने के लिए बोलोगे, उसका साथ दोगे, उसको बताओगे कि इसको लाइफ में आगे क्या करना है।
तो ऐसा करने से बच्चा किसी भी गलत आदत में ना पडकर अपने लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी में लग जाएगा और उसमें एक रोमांच पैदा होगा और वह सही दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर देगा।
इसके अलावा दोस्तों कभी कभी अपने बच्चे के साथ बैडमिंटन खेल लीजिए, कभी उसके साथ रनिंग कर लीजिए, कभी फुटबॉल खेल लीजिए।
इससे आपके बच्चे का मनोरंजन मनोरंजन भी होगा और उसका मन, उसका चित्त भी आपने लगेगा और उसको एक अच्छा दोस्त भी मिल जाएगा।
टॉपिक नंबर 4. घर की समस्याओं का समाधान करने में सलाह ले।
दोस्तों आपको यह देखना होगा कि आपका बच्चा आपका कहा नहीं मानता तो इसका कहा मानता है।
क्या वह अपने टीचर का कहना मानता है?
क्या वह अपने कोच का कहना मानता है?
क्या वह अपने दोस्तों का कहना मानता है?
या फिर वह अपने दोस्त के मम्मी या पापा का कहना मानता है?
तो दोस्तों अगर आपको ऐसा लगता है कि आपका बच्चा आपका कहना नहीं मान रहा है। जिद पर अड़ा हुआ है तो आप उस इंसान से बात करें जिसकी बात आपका बच्चा मानता है और उसको बोले कि वह उसको समझाए। ऐसा करके भी आप उसको सही रास्ते पर ला सकते हैं और आपके और आपके बच्चे के संबंध मधुर हो सकते हैं।
दोस्तों टोपिक नंबर 5. अपने बच्चे से बात करें।
दोस्तों आप अपने बच्चे को ऑप्शन दे क्योंकि पहले आप उसको जो चीज देते थे वह ले लेता था वह उसकी मजबूरी थी क्योंकि वह छोटा था।
अब उसका दृष्टिकोण बदल रहा है उसकी मानसिक चेंज आया है उसकी पसंद नापसंद चेंज हो रहे हैं। इसलिए उसको अपने पसंद की चीजें चुनने की आजादी दे अपनी पसंद से कोई भी चीज उस पर थोपे नहीं।
उसके सामने ऑप्शन देना शुरू करें।
उसकी पसंद और नापसंद पूछे।
जैसे दोस्तों मान लीजिए पहले आप उसको भिंडी की सब्जी या कोई भी सब्जी बनाकर उसके टिफिन में डाल कर दे देते थे और वह चुपचाप खा लेता था।
लेकिन अब आप उसको पूछ सकते हैं कि बेटा किस चीज की सब्जी बनाऊ? आपको कौन सी सब्जी पसंद है? ऐसा करने से बच्चा आपको अपनी पसंद और नापसंद बताएगा और जब आप उसको उसकी पसंद का नाश्ता डीनर बना कर दोगे तो उसको बहुत अच्छा लगेगा।
इसी तरह आप कपड़े खरीदते समय भी अपने बच्चे से पूछे कि आपको येलो शर्ट पसंद है? कि ब्लू शर्ट पसंद है? ऐसा करने से उसके पास दो ऑप्शन होंगे और दोस्तों लास्ट में चलती तो मां-बाप की हीं है क्योंकि हम जिस कपड़े को जिस चीज को हम अच्छी बताएंगे।
उसी को हमारे बच्चे लेने के लिए राजी हो जाते हैं। लेकिन फिर भी अगर हम उनकी सलाह लेते हैं। उनसे पूछते हैं तो उनको ज्यादा अच्छा लगता है।
दोस्तों आप यह स्वीकार करें कि बाल्यावस्था से जब बच्चा किशोरावस्था में जाएगा तो उसके अंदर चेंजस होंगे और उस टाइम किसी भी मां-बाप को मां-बाप के साथ साथ बच्चे का दोस्त बनना बहुत जरूरी हो जाता है।
तो दोस्तों आशा करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी।
ऐसी ही रोचक जानकारी लेने के लिए होमपेज पर जाएं।
आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा। अगर आपके पास इस टॉपिक पर कोई सुझाव है आप अपने बच्चों को किशोरावस्था में कैसे हैंडल करते हैं। अगर अपना सुझाव आप हमें देना चाहे तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं ।
दोस्तों ऐसी ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए दोस्तों आज के लेख में बस इतना ही। मिलते हैं एक और नई जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें।
अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।।