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मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद इंर्पोटेंट
आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग।
दोस्तों आज हम आपके लिए क्रिप्टो करेंसी के बारे में कुछ खास जानकारी लेकर आए हैं
तो आइए जानते हैं क्या है क्रिप्टोकरंसी?
दोस्तों बीते दशक में एक अलग तरह की करेंसी यानी मुद्रा काफी तेजी से उभरी है और इस मुद्रा का नाम है क्रिप्टोकरंसी।
यह शब्द आपने कभी ना कभी तो सुना ही होगा!
चलो जिस को नहीं पता उसको बता दू यह क्रिप्टोकरंसी एक वर्चुअल करेंसी है जिसे डिजिटल करेंसी के नाम से भी जाना जाता है।
कई एजेंसियों ने इसे वैल्यू एक्सचेंज का तरीका बताया है।
चलिए आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर यह क्रिप्टोकरंसी है क्या?
दोस्तों भारत में रुपया बांग्लादेश में टक्का और अमेरिका की करेंसी है डॉलर।
लेकिन यह एक फिजिकल करेंसी है।
आप लेनदेन के लिए कैश यूज करते हैं मौजूदा वक्त में कई लोग नेट बैंकिंग और ऑनलाइन पेमेंट एप का भी इस्तेमाल करते हैं।
यह सभी ट्रांजैक्शन आपके बैंक की देखरेख में होती हैं।
यानी कि आप जिस पार्टी को पेमेंट दे रहे हैं और जो पार्टी
आप से पेमेंट ले रही है यह बैंक आप दोनों के बीच में बिचौलिए का काम करते हैं।
लेकिन क्रिप्टोकरंसी का मामला थोड़ा सा अलग है
इस करेंसी का इस्तेमाल करने के लिए किसी बिचौलिए की जरूरत नहीं है
यह एक ऐसी करेंसी है जिसको किसी भी देश का सेंट्रल बैंक कंट्रोल नहीं करता।
हर ट्रांजैक्शन पेमेंट करने वाले और पेमेंट रिसीव करने वाले के बीच होता है।
जैसे कि हमने आपको पहले ही बता दिया कि क्रिप्टोकरंसी एक वर्चुअल करेंसी है यानी कि इसको छापा नहीं जाता इसे तो सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से स्टोर किया जा सकता है।
यह डि सेंटर लाइज होती है डि सेंटर लाइज मतलब इस पर सेंटर का कोई कंट्रोल नहीं होता यहां तक कि खुद बनाने वाले का भी नहीं।
इसके जरिए आप वर्चुअली चीजें खरीद और बेच सकते हैं।
बिटकॉइन का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा
यह दुनिया की पहली क्रिप्टोकरंसी है।
2008 में सतोशी नाकामोतू नाम के रहस्यमई व्यक्ति ने जापान में इसे तैयार किया और 2009 में इसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में इसे रिलीज कर दिया।
बिटकॉइन की तुलना अकसर सोने से भी की जाती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि यह भी सोने की तरह सीमित है।
इसकी मात्रा सीमित होने की वजह से इसे कुछ समय के बाद और नहीं बनाया जा सकेगा।
यही वजह है कि सोने की तरह इसकी कीमत साल दर साल बढ़ती जा रही है।
अपने शुरुआती दिनों में एक बिटकॉइन की कीमत इतनी कम थी कि 2010 में एक बिटकॉइन माइनर में फ्लोरिडा के एक पापा जॉन साउथ लीस ने 10,000 बिटकॉइन देकर सिर्फ दो पिज्जा खरीदे थे।
यह दुनिया में सबसे पहला ऐसा ट्रांजैक्शन था जहां बिटकॉइन के जरिए कुछ खरीदा गया था
लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीता इसकी कीमत बढ़ने लगी।
चलिए एक नजर इसकी प्राइस हिस्ट्री पर भी डाल देते हैं।
दोस्तों फरवरी 2011 में एक बिटकॉइन की कीमत अमेरिकी $1 के बराबर थी।
लगभग 30 महीने बाद नवंबर 2013 में बिटकॉइन अमेरिकी 1242 डॉलर के बराबर हो गया।
दोस्तों मई 2017 में बिटकॉइन की कीमत पहली बार 2000 डॉलर को पार कर गई।
इसके बाद इसकी कीमत में ऐसा उछाल आया कि सारी दुनिया हैरान रह गई।
बिटकॉइन सितंबर 2017 में $5000
नवंबर 2017 में $8000
दिसंबर 2017 में $19000 से भी ऊपर पहुंच गई।
दोस्तों बात करें 2020 की तो दिसंबर 2020 में बिटकॉइन ने 28000 डॉलर का रिकॉर्ड आंकड़ा पार किया है।
इंडियन करेंसी मे बात करें तो लगभग 28,00,000 रुपए का एक बिटकॉइन।
वैसे पिछले 1 महीने में बिटकॉइन की कीमत और भी तूफानी स्पीड से बढ़ती दिख रही है अगर इस हफ्ते की बिटकॉइन वैल्यू पर नजर डालें तो इस सोमवार 1 बिटकॉइन की कीमत 35212 अमेरिकी डॉलर के आसपास थी जो कि अपने आप में एक नया रिकार्ड है।
दोस्तों भारत की बात करें तो लगभग 1 साल पहले तक बिटकॉइन था ही नहीं।
किसी भी क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल करना गैरकानूनी था
क्योंकि अप्रैल 2018 में आरबीआई ने क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा दिया था।
उस वक्त तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था की सरकारी क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को अवैध मानती है
लेकिन 4 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट में आरबीआई द्वारा लगाए गए बैन को पूरी तरह हटा दिया
जिसके बाद भारत में क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल
अधिकारिक तौर पर शुरू हो गया।
और आज न जाने इतने ऐसे हिंदुस्तानी हैं जो बिटकॉइन में निवेश करें रातों-रात करोड़पति बन चुके हैं।
अब अगर बिटकॉइन सोना है तो क्रिप्टो करेंसी के बाजार में चांदी तो होगी ही!
असल में बिटकॉइन दुनिया की इकलौती क्रिप्टोकरंसी नहीं है इसके अलावा भी कई कॉइंस है जिन्हें लोग खूब इस्तेमाल कर रहे हैं।
सलाइट कॉइन और अथेनिया ऐसी ही क्रिप्टोकरंसीज़ हैं जिनका लोग धड़ाधड़ इस्तेमाल कर रहे हैं
लेकिन एक बिटकॉइन जो सारी खूबियों के साथ एडवांस
भी है और इन सबसे अलग भी है वह है बैकपैर कॉइन।
बैकपैकर कोईन को क्रिप्टोकरंसी की चांदी कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा क्योंकि जो भी इसका इस्तेमाल करेगा
समझीये उसकी चांदी ही चांदी है।
इसकी सप्लाई बिटकॉइन से 10,00000 कम है लेकिन इसके भेजने की स्पीड बिटकॉइन से 10 गुना ज्यादा है।
तो चलिए विस्तार से बात करते हैं इस बैक पैकर कॉइन के बारे में:
जैसे कि आप इस के नाम से ही अंदाजा लगा सकते हैं बैग पैकर कॉइन यात्रियों और पूरे क्रिप्टो मार्केट में उतारा गया है यानी घूमने फिरने वालों के लिए।
लेकिन कोरोना वायरस के चलते सभी प्रकार की यात्राएं तो बंद हैं सुनने में भले ही यह एक बुरी खबर लग रही है लेकिन आप आने वाले समय में घूमने-फिरने का सोच रहे हैं या ट्रेवलिंग करने का सोच रहे हैं तो आपके लिए इससे अच्छी खबर कोई और नहीं हो सकती।
दोस्तों इस वक्त बैग पैकर कॉइन की जो वैल्यू चल रही है वह आज से लगभग 9 साल पहले बिटकॉइन की थी
जी हां आज आप एक बैक पैकर कॉइन सिर्फ एक अमेरिकी डॉलर यानी ₹73 में खरीद सकते हैं
जरा सोचिए अगर आने वाले समय में
बैकपैकर कॉइन ने भी वही तेजी पकड़ ली जो बिटकॉइन ने पकड़ी थी तो इसमें निवेश करने वालों को कितने करोड़ों का फायदा होगा!
दोस्तों भविष्य में अगर आप कहीं बाहर देशों में घूमने जाना चाहते हैं तो आपको उस देश की करंसी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी आपको सिर्फ बैकपैकर कॉइन लेना है और दुनिया में इसी से सबको पेमेंट करते चले जाना है बात बिल्कुल काम की लगती है!
लेकिन आज दुनिया में क्रिप्टो को लेकर जो माहौल है उसको देखते हुए यह लगता है कि आप बैग पैकर कॉइन का इस्तेमाल जल्दी ही कर पाएंगे।
दोस्तों इसका एक और बड़ा फायदा है वह यह है कि आप
कन्वर्जन कोर्स बचा सकते हैं।
दरअसल दूसरे देशों की करेंसी खरीदने में कम से कम 5% का खर्चा आता है जिसे कन्वर्जिंग कोर्स कहते हैं।
लेकिन बैग पैकर कॉइन इस्तेमाल करने वालों के लिए यह कन्वर्जनकोरस से केवल 0.0 1% होगी।
दोस्तों इससे पैसा भी बचेगा और आपकी करेंसी सुरक्षित भी रहेगी यही नहीं अगर आपको पैसा विदेश भेजना हो या फिर विदेश से मंगवाना हो तो भी आप सिर्फ 0.01% के खर्चे पर पैसे भेज या मंगवा सकते हैं वह भी मिनटों के हिसाब से!
तो दोस्तों ज्यादा इंतजार मत कीजिए और अपनी जेब के हिसाब से बैग पैकर कॉइन खरीद लीजिए आने वाले समय में आपको दुनिया घूमने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
दोस्तों यह क्रिप्टोकरंसी ग्लोबल करेंसी के रूप में भी पहचाने जाती है लेकिन भारत में इसका रूप कुछ अलग है।
उदाहरण के तौर पर अगर भारत में आप किसी भी एक्सचेंज से बिटकॉइन खरीदते हैं तो उसके ऊपर आपको एक प्रीमियम देना पड़ता है।
अब यह प्रीमियम क्यों देना पड़ता है?
इसकी वजह मुनाफा वसूली के अलावा और कुछ नहीं।
आप खुद भी गूगल पर बिटकॉइन के रेट चेक कर सकते हैं और जब आप इसकी तुलना भारत के किसी एक्सचेंज से करेंगे तो सच्चाई खुद ब खुद आपके सामने आ जाएगी।
लेकिन यह घबराने की बात बिल्कुल भी नहीं है अब आप भारत में अब आप बिजा भी एक्सचेंज ग्लोबल रेट से क्रिप्टोकरंसी फरीद या फिर बेच सकते हैं।
यह एक स्वदेशी एक्सचेंज है जो पूरी तरह मेड इन इंडिया है
वोकल फोर लोकल होने का यही एक सही वक्त है।
भारत में पहले से चल रहे एक्सचेंजों के बीच ऐसा करना चुनौतीपूर्ण तो है लेकिन जरूरी भी है।
आप अपने क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत वीजा पे से कर सकते हैं अगर आपको लगता है कि वीजा पे प्रोजेक्ट भारत के क्रिप्टो बाजार में बदलाव ला सकता है अपनी जगह बना सकता है तो आप इस प्रोजेक्ट में सिर्फ ₹5000 जी हां सिर्फ ₹5000 से भी अपनी हिस्सेदारी खरीद सकते हैं।
बिटकॉइन के बाद किस क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति सबसे कम है?
बिटकॉइन के बाद अब एलन मस्क ने डोजकॉइन को चर्चा में ला दिया है। पिछले कुछ दिनों से वह लगातार डोजकॉइन का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने इसे लोगों की करेंसी कहा है। एलन जैसे बड़े नाम का साथ पाकर डोजकॉइन भी अच्छा कारोबार कर रही है और इसने 70 सेंट्स पर पहुंचकर रिकॉर्ड स्तर छू लिया।
यही नहीं गूगल पर तो ये सवाल ट्रेंड करने लगा कि "क्या डोजकॉइन अगला बिटकॉइन है?" लेकिन तेजी से चर्चा में आई डोजकॉइन और बिटकॉइन में बड़ा अंतर है।
लो-कैप क्रिप्टो प्रोजेक्ट क्रिप्टोकरेंसी हैं जो विकास के प्रारंभिक चरण में हैं और परिणामस्वरूप, कम बाजार पूंजीकरण है । बाजार पूंजीकरण सिक्के की परिसंचारी आपूर्ति के कुल मूल्य को संदर्भित करता है, और जब महत्वपूर्ण सिक्कों के मार्केट कैप की तुलना में, लो-कैप सिक्के कम दिखाई देते हैं।
लोग इन सिक्कों की ओर आकर्षित होते हैं, भले ही वे कम मार्केट कैप के साथ शुरुआती विकास में हों, क्योंकि लो-कैप सिक्कों के परिणामस्वरूप सबसे अधिक मुनाफा हो सकता है ।
लो-कैप क्रिप्टो प्रोजेक्ट क्रिप्टो के छिपे हुए रत्न हैं और कई निवेशकों को आसमानी रिटर्न प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। इस लो-कैप श्रेणी के लिए एकमात्र आवश्यकता यह है कि परियोजना का मार्केट कैप $50 मिलियन से अधिक होना चाहिए।
जिन क्रिप्टोकरंसी को मैं शोध के आधार पर ढूंढने में सक्षम थी उनमें शामिल हैं:
• 1) मैटिक नेटवर्क (MATIC)
• 2) ज़िलिका (ZIL)
• 3) ब्लॉकस्टैक (एसटीएक्स)
• 1) मैटिक नेटवर्क (MATIC)
• 2) ज़िलिका (ZIL)
• 3) ब्लॉकस्टैक (एसटीएक्स)
तो दोस्तों यह है क्रिप्टोकरंसी का पूरा गणित जिसके जरिए हमने आपको इस क्रिप्टोकरंसी का भविष्य बताने की कोशिश की है लेकिन इसके साथ साथ हम आपको यह सलाह भी देंगे कि क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने से पहले इससे जुड़े हर तरह के रिस्क को भी जरूर समझ ले।
दोस्तों आशा करती हूं आज की जानकारी आपको बेहद पसंद आई होगी ऐसी इंटरेस्टिंग जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए।
मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ध्यान रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।।