द्वितीय विश्व युद्ध की पूरी कहानी क्या है?

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दोस्तों आज हम आपको द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे इसलिए पोस्ट को पूरा पढ़ें।

द्वितीय विश्व युद्ध की पूरी कहानी क्या है?


आइए जानते हैं द्वितीय विश्व युद्ध की पूरी कहानी।

दोस्तों द्वितीय विश्वयुद्ध दुनिया के इतिहास में सबसे खतरनाक युद्ध था।

जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था तब दुनिया ने कभी यह नहीं सोचा था कि इससे भी खतरनाक युद्ध हो सकता है इसीलिए प्रथम विश्वयुद्ध का नाम द ग्रेट वार दिया गया था।

द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे बड़ा कारण प्रथम विश्व युद्ध था। प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की बुरी तरह से हार हुई थी और जर्मनी की सेना में उसकी तरफ से एडोल्फ हिटलर भी लड़ रहा था।

और यह हार उसे स्वीकार नहीं थी और यही कारण बना द्वितीय विश्व युद्ध का।

द्वितीय विश्व युद्ध को ग्लोबल वार या फिर टोटल वार भी कहा जाता है।
यह युद्ध 1 सितंबर 1939 से लेकर अगस्त 1945 तक चला था। कुछ इतिहासकार इसे 1937 से ही इसकी शुरुआत मानते हैं

क्योंकि सीनो- जापानी वार 1937 में लड़ा गया था।
सीनू जापानी मतलब चाइना और जापान का भयानक युद्ध।

द्वितीय विश्व युद्ध में लगभग 7 से 8 करोड लोग मारे गए थे। जिसमें से 5 करोड आम नागरिक थे जबकि सिर्फ तीन करोड़ ही सोल्जर्स थे।

इसीलिए ही इस युद्ध को ग्लोबल वार या टोटल वार कहा गया।
इस युद्ध में दुनिया दो ग्रुपों में बैटी हुई थी।

एक थी अलायंस पावर और दूसरी थी एक्सेस पावर।

अलायंस पावर में UK, France,USA, पोलैंड ,यु एस एस आर, चाइना, ग्रीस यह सब कंट्रीज शामिल थी।

जबकि एक्सेस पावर में जर्मनी, इटली, जापान  शामिल थे।

वैसे पूरी दुनिया किसी ना किसी साइड जरूर थी।
हमारा देश भारत भी अलीस पावर में शामिल था क्योंकि भारत पर ब्रिटिश हुकूमत हुआ करती थी।

उस समय द्वितीय विश्व युद्ध में जब भारत ब्रिटिश हुकूमत के अंडर में जापान के खिलाफ और जर्मनी के खिलाफ लड़ रहा था।

और नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ मिलकर जापान की तरफ से और जर्मनी की तरफ से इस युद्ध को लड रहे थे।

द्वितीय विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा कारण आखिर क्या माना जाता है?

द्वितीय विश्व युद्ध का कारण था 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई संधि क्योंकि इस दौरान जर्मनी के बहुत सारे पड़ोसी देशों ने उस पर कब्जा कर रखा था। 

और उसका एक मुख्य कारण था पेरिस समझौता।
इन दोनों समझौतों ने जर्मनी को दबा के रखा था और जब समय आता है 1933 जब जर्मनी की सत्ता हिटलर के हाथों में आ जाती है

और जब हिटलर जर्मनी का पूरा कमान अपने हाथों में ले लेता है और फिर धीरे-धीरे हिटलर अपनी खोई हुई जमीनों को वापिस लेना शुरु करता है और जितनी भी सन्धियां हुई थी सब को तोड़ना शुरू कर देता है।

लेकिन उस समय कोई भी देश उसके खिलाफ बोलते नहीं है लेकिन फिर समय आता है 1 सितंबर 1939 को सुबह 4:45 पर जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया कुछ ही घंटों में लाखों जर्मनी सैनिक पोलैंड में प्रवेश कर गए।

करीब 1 महीने के युद्ध के बाद पोलैंड पर जर्मनी का कब्जा हो गया। फ्रांस और ब्रिटेन पोलैंड की कोई मदद नहीं कर पाए करीब 6 महीने बाद हिटलर के निशाने पर फ्रांस और ब्रिटेन थे।

उधर इटली में दूसरे तानाशाह मसूनि की यूरोप में रोमन साम्राज्य की सत्ता विस्तार में लालसा बढ़ गई।
पश्चिमी देशों में यूरोप के संघर्ष शुरू हो चुके थे और पूर्वी देशों में जापान हुकूमत पाने की तमन्ना में था।

साम्राज्य स्थापित करने के लिए जर्मनी इटली जापान ने लड़ाई शुरू कर दी।

वर्ष 1940 में हिटलर ने यूरोपीय देश नार्वे पर भी हमला कर दिया था।
जर्मन सेना ने नॉर्वे को तो जीता ही साथ में जर्मनी के बीच  डेनमार्क को भी अपने कब्जे में ले लिया।

इसके बाद कुछ ही महीनों में जर्मनी ने नीदरलैंड बेल्जियम लक्जमबर्ग हमले किए और उन्हें जर्मन साम्राज्य का हिस्सा बना लिया।

इसी साल 5 जून को 15 लाख सैनिकों को लेकर हिटलर ने फ्रांस पर भी हमला बोल दिया सिर्फ 15 दिन में जर्मनी ने फ्रांस को परास्त कर दिया।

 इस तरह जर्मन सेना ब्रिटेन को छोड़कर लगभग पूर्वी यूरोप में अपना आधिपत्य जमा चुका था।
 इसके कुछ ही महीने बाद जर्मनी ने ब्रिटेन पर भी हमला बोल दिया और इन दोनों में घमासान युद्ध शुरू हो गया।
 
कई महीनों तक  युद्ध चला आखिरकार हिटलर को इसमें सफलता नहीं मिली और उसने ब्रिटेन के साथ युद्ध रोक दिया।

उसने ब्रिटेन से बाद में निपटने का विचार किया और रूस से बिना किसी कारण के ही युद्ध की शुरुआत कर दी और यही हिटलर का सबसे गलत फैसला साबित होता है

क्योंकि हिटलर के पतन की शुरुआत यहीं से शुरू होती है। रूस की सेना के सामने जर्मन नहीं टिक सका लाखों निजी सैनिक मारे गए रूस की सेना ने जर्मन सैनिकों को खदेड़ दिया।

इसके बाद जर्मनी ने अमेरिका के साथ युद्ध की घोषणा की जबकि अमेरिका के साथ जर्मनी की कोई दुश्मनी थी ही नहीं।
 
इसका सबसे बड़ा कारण था जापान। जापान ने 7 दिसंबर 1941 को अमेरिका के पर्ल हार्वर पर हमला कर दिया और इसके 4 दिन बाद ही हिटलर ने अमेरिका में युद्ध की शुरुआत करी।

एशिया में जापान ब्रिटेन के साथ लड़ रहा था।
जर्मनी का अमेरिका से युद्ध करना बहुत ही घातक साबित हुआ।

6 जून 1944 को अमेरिका ब्रिटेन और अन्य मित्र देशों ने मिलकर अपनी सेना यूरोप में घुसा दी जर्मनी पर हमला कर दिया इससे पहले 1943 में इस सेना ने इटली पर भी कब्जा जमा लिया 

और वहां के तानाशाह मुसोलिनी को भी पकड़ लिया कई महीने चले इस युद्ध में जर्मनी प्रास्थ हो गया। जर्मनी की हार और तानाशाह हिटलर का अंत हो चुका था।
30 अप्रैल 1945 को हिटलर ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली हालांकि हिटलर की मौत को लेकर अब भी एक रहस्य माना जाता है।

हिटलर के अंत के साथ जर्मनी की हार हो गई और यूरोप में दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो चुका था लेकिन इधर एशिया में तो युद्ध जारी था।

जापान ने मित् देशों की नाक में दम कर रखा था। जापान ने अमेरिका तथा चीन के कुछ आइलैंड में कब्जा कर लिया था।

जापान ने पहले तो अमेरिका के परमाणु हमले की चेतावनी दी लेकिन जापान इससे भी नहीं माना फिर आता है 6 अगस्त 1945 जब अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम फेंक दिया

जिसमें लगभग 2 लाख लोग मारे गए इसमें भी जापान अपने अभियान में रुका नहीं और फिर 9 अगस्त 1945 को दूसरा हमला नागासाकी पर अमेरिका ने कर दिया।

जिस में भी लाखों लोग मारे गए और इसके बाद इस महा विभीषिका के साथ ही दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया।

वैसे इस तरह का हमला बहुत ही गलत था। इसका परिणाम
आज भी लोग भुगत रहे हैं।

दोस्तों द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो चुका था इधर भारत पर अभी भी अंग्रेजी हुकूमत थी।

ब्रिटेन भारत को कंट्रोल करता था और द्वितीय विश्वयुद्ध के साथ जापान का पतन और उसके साथ-साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भी 18 अगस्त 1945 लापता होने की खबर आ जाती है 

लेकिन ब्रिटेन इतना कमजोर हो चुका था कि वह ज्यादा दिनों तक अब भारत को अपने कंट्रोल में नहीं रख सकता था।

और द्वितीय विश्व युद्ध भारत की सबसे बड़ी आजादी का कारण भी था। उसके कुछ ही सालों बाद भारत आजाद हो गया था।
तो दोस्तों यह कहानी थी द्वितीय विश्वयुद्ध की।

आशा करती हूं आपको पसंद आई होगी और इससे बहुत सारी नॉलेज भी मिली होगी।

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आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया

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