हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।
मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद इंर्पोटेंट
आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग।
आज मैं आपको बताने वाली हूं कि मुमताज की मौत कैसे हुई थी?
मुमताज की मौत की रात क्या-क्या हुआ था?
यह सब सच मै आपको इस पोस्ट में बताऊंगी तो चलिए शुरू करते हैं।
1 दिन शाहजहां बाजार में घूम रहे थे तभी उनकी नजर वहां खड़ी एक लड़की पर पड़ी। जो कुछ सिल्क का सामान बेच रही थी।
मुमताज की खूबसूरती शाहजहां के दिल और दिमाग पर इस कदर बरस गई कि वह मुमताज का पीछा करने लगे।
कुछ समय बाद शाहजहां को यह पता चला कि जिस लड़की का वह पीछा कर रहे थे, उनका नाम अर्जुम्मन बानो बेगम है जो कि उनकी मां नूरजहां और उनके रिश्तेदार है।
शाहजहां का प्यार इस कदर परवान चढ़ गया था कि वह खुद को रोक नहीं पाए और उन्होंने तुरंत अपने पिता राजा जहांगीर के सामने अर्जुम्मन से शादी करने की ख्वाइश उनके सामने रखी।
बेटे के प्यार को जहांगीर नजरअंदाज नहीं कर पाएं और उन्होंने इस शादी के लिए हां कह दी।
हालांकि मुमताज शाहजहां की चौथी बेगम थी लेकिन कहा जाता है कि शाहजहां का उनसे खास जुड़ाव था।
शाहजहां और मुमताज के 13 बच्चे हो चुके थे और मुमताज 14 वे बच्चे को जन्म देने वाली थी।
13 बच्चों को जन्म देने के कारण मुमताज काफी कमजोर हो चुकी थी।
जैसे ही परसव नजदीक आया उसी दौरान खालजा लोदी के विद्रोह को रोकने के लिए शाहजहां को कोहराम पुर जाना था। उस समय मुमताज गर्भवती थी शाहजहां मुमताज से बेहद प्यार करता था और वह उसको छोड़ कर दुर जाना नहीं चाहता था।
मुमताज गर्भवती होने के बावजूद भी शाहजहां उसको आगरा से करीब 787 किलोमीटर दूर बुरहानपुर ले गया और यहां सैनिक अभियान चल रहा था।
लंबी यात्रा के दौरान मुमताज बुरी तरह से थक गई थी।
और इसका असर उसके गर्भ पर भी पड़ा मुमताज को अब दिक्कत होनी शुरू हो गई थी।
शाहजहां को मुमताज की खराब हालत की सूचना मिली और वह मुमताज के पास नहीं गया। उसने दाईयों को भेजने के निर्देश दिए।
16 जून 1638 की रात को मुमताज को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। मुमताज मंगलवार की सुबह से बुधवार की आधी रात तक दर्द से परेशान होती रही।
शाही हकीम और वजीर खान मुमताज के पास थे वह पहले भी प्रसव के दौरान मुमताज के पास रह चुका था।
30 घंटे के लंबे दर्द के बाद मुमताज ने एक बेटी 'हर आरा' को जन्म दिया।
लेकिन मुमताज बेहाल थी। बच्ची के जन्म के बाद मुमताज बुरी तरह से कांपने लगी और उसकी पिंडलियों ठंडी पड़ने लगी। दाईया और हकीम मुमताज के शरीर से हो रहे अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में असमर्थ थे और मुमताज बुरी तरह से तड़प रही थी।
इधर शाहजहां ने अपने कमरे से कई संदेश मुमताज तक भेजे लेकिन उसको किसी भी संदेश का कोई जवाब नहीं मिला। रात काफी हो चुकी थी आधी रात से ज्यादा का वक्त हो चुका था।
तो शाहजहां ने खुद हरम में जाने का फैसला किया और तभी संदेश आया कि बेगम ठीक है लेकिन काफी थकी हुई है और बच्चे को जन्म देने के बाद मुमताज गहरी नींद में चली गई है उन्हें परेशान ना किया जाए।
इसी दौरान तड़प रही मुमताज ने अपनी बेटी 'जहांआरा' को शाहजहां के पास उनको बुलाने के लिए भेज दिया।
शाहजहां सोने ही वाले थे कि उनकी बेटी जहांआरा वहां पहुंच गई।
जब शाहजहां हरम पहुंचे तो उन्होंने मुमताज को हकीम और दाइयों से गिरा हुआ पाया।
मुमताज छटपटा रही थी और वह मौत के बिल्कुल करीब जा चुकी थी।
बादशाह की आवाज सुनकर मुमताज ने एक बार तो अपनी आंखें खोली और उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे।
शाहजहां मुमताज के सिर के पास बैठ गया।
मुमताज ने आखिरी वक्त में शाहजहां से 2 वादे लिए:
पहला वादा शादी ना करने को लेकर था।
जबकि दूसरा वाला एक ऐसा मकबरा बनवाने का था
एक ऐसा अनोखा मकबरा जो आज से पहले किसी ने ना बनाया हो और इतना कहकर मुमताज ने आंखें बंद कर ली और सुबह होने से थोड़ी सी देर पहले मुमताज ने अपने प्राण त्याग दिए।
जब रानी की मौत हुई तो वह सिर्फ 40 साल की थी।
मुमताज के 14 बच्चे थे जिनमें से 8 लड़के और 6 लड़कियां थी।
मुमताज की देखभाल करने वाली दासियों ने मुमताज के शरीर को रुई के पांच कपड़ों में लपेट दिया।
इस्लामिक हिदायतो के बावजूद महिलाएं मुमताज की मौत पर जोर-जोर से रो कर शोक जताती रही।
मुमताज की मौत से बादशाह ही नहीं पूरा बुरहानपुर शोक में डूब गया था। किले की दीवारें औरतों के रोने की आवाज से गूंजने लगी थी।
मुमताज के शव को ताप्ती नदी के किनारे जैनाबाग में अस्थाई रूप से दफना दिया गया।
मौत के 12 साल के बाद शव को आगरा के निर्माणाधीन ताजमहल में दफन किया गया।
17 जून 1631 को 14वी संतान हो जन्म देने के दौरान मुमताज की मौत हो गई थी। दोस्तों यह जानकारी आपको कैसी लगी आशा करती हूं आप को जरूर पसंद आई होगी।
आज के लेख में बस इतना ही मिलती हूं ऐसी ही एक और इंटरेस्टिंग स्टोरी के साथ तब तक के लिए अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें धन्यवाद।
आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदीया
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