मौसम वैज्ञानिक मौसम के बारे में कैसे पता लगाते हैं?

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मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद इंर्पोटेंट
आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो
आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग!

दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं बहुत ही रोचक जानकारी!
आज हम आपको बताएंगे मौसम वैज्ञानिक कैसे पता लगाते हैं मौसम के बारे।

मौसम वैज्ञानिक मौसम के बारे में कैसे पता लगाते हैं?


आईए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:

दोस्तों वैज्ञानिक कैसे पता लगाते हैं कि आज वर्षा होगी या कितनी वर्षा हुई है?

दोस्तों आपने अक्सर समाचारों में सुना होगा बारिश के दिनों में जानकारी के लिए समय बताया जाता है कि अगले 24 घंटों में कितनी बारिश हुई? पिछले दो दिनों यानी अगले 48 घंटों में 27.5 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।

दोस्तों सवाल यह है कि वैज्ञानिक कैसे पता लगा लेते हैं कि अपने शहर में कितनी बारिश हुई है?

दूसरी और बड़ी बात यह है कि क्या हम लोग भी पता लगा सकते हैं कि अपनी कॉलोनी में कितनी बारिश हुई है?

दोस्तों स्वामी विवेकानंद टेक्नॉलॉजी यूनिवर्सिटी भिलाई छत्तीसगढ़ से वैज्ञानिक बताते हैं कि किसी भी स्थान में वर्षा को नापने के लिए वर्षा मापन यंत्र का प्रयोग किया जाता है।

यह यंत्र सामान्य रूप से ऊंचे और खुले स्थान पर लगाया जाता है। इस संयंत्र के लिए ऐसा स्थान चुना जाता है जहां
आसपास पेड़ पौधे और ऊंची दीवारें ना हो ताकि बारिश का पानी सीधा यंत्र में गिरे।

मौसम वैज्ञानिक मौसम के बारे में कैसे पता लगाते हैं?

वर्षा मापने का यंत्र एक सिलैंडर नुमा यंत्र होता है।
इसके ऊपरी सिरे पर कीप लगी होती है या इसके ऊपर का आकार कीप की तरह होता है।

बारिश का पानी सीधा कीप में डलता है और इसके नीचे लगे बोतल नुमा पात्र में जमा होता हैं।
1662 में क्रिस्टोफर ब्रेन ने ब्रिटिश में पहला रेनगोग यंत्र बनाया था।

दोस्तों वर्षा मापने का यंत्र कई तरह का होता है।
वर्षा अधिकतर इन्च या सेंटीमीटर में मापी जाती है।
आदर्श वर्षा मापी उसे कहा जाता है जिसके अंदर एक खोखला बेलन हो और उसके अंदर बोतल रखी हो और उसके ऊपर एक कीप लगा हो।

वर्षा का पानी कीप  द्वारा बोतल में भर जाता है और बाद  उसको मापक द्वारा माप लिया जाता है।
दोस्तों जब अधिकारी माप लेने जाते हैं तो उन्हें इस काम में 10 मिनट से ज्यादा नहीं लगता।

वर्षा का माप कैसे दिया जाता है?

जब बारिश का माफ करना होता है तो बाहरी सिलेंडर को खोल कर बोतल में जमा पानी को एक कांच केबने एक बर्तन में डाला जाता है जिसके ऊपर मिली मीटर के अंक बने होते हैं ( रेन गोग ) में डाला जाता है।

कितना मिलीमीटर पानी उस यंत्र में आता है वही बारिश का माप होता है इसका मतलब यह है कि उस यंत्र में जितना पानी होता है जितनी ज्यादा मीनिंग में माप आता है बारिश उतनी ही ज्यादा हुई होती है।

आप जानते हैं  यह कितनी बार मापा जाता है?

चलिए जानते हैं:

दोस्तों मानसून के दिनों में दो बार इसको मापा जाता है।
सुबह 8:00 बजे और शाम को 5:00 बजे इसको मापा  जाता है।

दोस्तों आशा करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद
आई होगी ऐसी ही इंटरेस्टिंग जानकारी के साथ हम फिर  मिलते हैं तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

आपके दोस्त पुष्पा डाबोदिया।।

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