हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग।
तो चलिए देखते हैं क्या है आज के लिए खास:
दोस्तों आज हम बात करेंगे सांस की बीमारी के बारे में।
सांस की बीमारी के लक्षण और उसका बचाव क्या क्या सावधानियां आपको बरतनी चाहिए?
जिससे आप इस रोग से बच सकें और अगर आपको यह रोग हो गया है तो आप किस तरह से जल्दी से जल्दी छुटकारा पा सकते हैं। इन सब के बारे में आज हम आपको बताएंगे तो लेख को पूरा पढ़े बीच में ना छोड़े तभी आप इसका पूरा फायदा उठा पाएंगे।
दोस्तों सबसे पहले हम जानते हैं इसके लक्षण के बारे में:
अगर आपकी सांस फूलती हो थोड़ा सा चलने के बाद, आपकी सांस फूलने लगती हो सीढ़ियां चढ़ते वक्त, सांस उखड़ने लगती हो, हल्का सा दौड़ने पर आपकी सांस फूलती हो, तो हो जाइए सावधान क्योंकि यह सांस की बीमारी के लक्षण है।
तो चलिए आज जान लेते हैं कि कुछ लोगों की सांसे फूलने लगती है? कैसे यह एक बीमारी का रूप ले लेती है? क्या इसकी वजह हो सकती है? आइए जानते हैं।
देखिए सांस का कनेक्शन ने दो ऑर्गन के साथ मुख्य रूप से है। एक तो हमारे फेफड़े है और दूसरा हमारा हार्ट के साथ भी इसका कनेक्शन है।
तो क्यों सांस फूलता है? दोनों ही तरफ अगर कोई खराबी हो गई तो दोनों कारण से सांस फूल सकता है। या तो गले में और छाती में कंजेक्शन हो यानी कि कफ का प्रकोप जो हम आयुर्वेद में कहते है न्यूकस बलगम अगर आप के फेफड़े में भरा हो या किसी प्रकार का ऑपटरकशन वहां हो गया हो।
आपकी जो सांस नली है उसके अंदर जो छोटे-छोटे पोकेट्स बनी है। उसमें जाकर कफ जम गया हो तो आपका जो फेफड़ा है लंग्स एक्सपेंड नहीं होंगे प्रॉपरली तो सांस आपको खींच कर आएगा या किसी प्रकार का इन्फेक्शन वहां पर हो गया है।
लन्ग में इंफेक्शन हो गया हो उसकी वजह से भी हो सकता है या मैं कहूं कि आपके फेफड़ों में कमजोरी आ गई है उसमें जो शक्ति है ताकत है वह कम हो गई है। कमजोरी के कारण भी हो सकता है मोटापे के कारण भी, ज्यादा वजन होने की वजह से भी लोगों का सांस फूलता है।
कई बार आपने देखा होगा कि जो मोटे लोग हैं वह थोड़ा सा चल लेते हैं तो उनकी सांस फूल जाती है।
या फिर दूसरा कारण हो सकता है जैसे कि हमने हार्ट की बात करी:
हार्ड आपका कमजोर है, या फिर किसी प्रकार से पंपिंग में उसकी कैपेसिटी कम है, कोई विकार आपके अंदर हैं, हार्ट की कोई डिजीज है उसके कारण भी हो सकता है।
या फिर कभी ज्यादा ऊंचाई पर कई बार आपने देखा होगा ज्यादा ऊंचाई पर आप रहते हैं तो वहां पर ओक्सीजन की कमी होती है।
सांस फूलने के साथ साथ हैं अगर आपको खांसी भी है और खांसी भी आपको बलगम वाली है, खांसी के साथ बलगम भी आता है आपकी छाती में जो बलगम है वह अंदर चिपका हुआ है। बहुत कोशिश करने के बाद भी निकलता नहीं है।
या फिर निकल जाता है इसके साथ और बनता रहता है, तो इसका कारण यह है या तो खानपान में गड़बड़ हो सकती हैं या आप ऐसा कुछ उल्टा-पुल्टा खा रहे हैं जिसकी वजह से आपको बलगम बन रहा है या आप दूध से बनी कोई चीज खा रहे हैं।
आयुर्वेदिक की दृष्टि से अगर हम आप को समझाएं तो कफवर्धक भोजन अगर आप खा रहे हो। मिठाई खा रहे हो, तली हुई चीजें खा रहे हो, चिकनाई खा रहे हो वह भी आपके शरीर में आपके फेफड़ों में कफ ज्यादा बनेगा।
कभी कभार मैंने देखा है कि कुछ लोगों का पाचन बहुत ही कमजोर होता है। उनको भी बलगम ज्यादा बनता है जिसको हम आम कह देते हैं आयुर्वेद के अंदर, जिसका खाना ठीक से नहीं पचता है दादा के आम बनेगा और आम आपके रिस्पोरेट्रीसिस्टम में जम जाता है और एक रोग पैदा कर देता है।
एक आम तौर पर देखा जाता है कि डॉक्टर के पास जाएंगे और डॉक्टर बोलेगा आपको इंफेक्शन है तो इंफेक्शन का क्या मतलब है, के आपके फेफड़ों की इम्युनिटी कमजोर हो गई है ओर बलगम बन गया है उसको न्यूट्रलाइज करने में वह सक्षम नहीं है।
उसको बैलेंस करने में सक्षम नहीं है, तो मैं आपको अलग अलग तरीके से रोग समझाने की कोशिश करती हूं। मेरा प्रयास यह है कि आप अच्छी तरह से पहले रोग को समझें और आप ठीक हो।
अब बात करते हैं कि इसका उपचार कैसे करें:
अगर कफ है हर दृष्टि से हमारी उंगली कफ की तरफ जा रही है। हमारा संकेत कफ की तरफ जा रहा है कफ की वृद्धि हुई है तो सोठ काली मिर्ची पीपली बहुत अच्छा काम करती है।
तीनों चीज बराबर बराबर मात्रा में लेनी है सोंठ, काली मिर्च और पिपली इनको बराबर बराबर लेकर चूर्ण बना लें। तीनों को मिलाकर, इनका जो मिश्रण बनता है उसकी एक एक चम्मच दोनों टाइम या फिर तीनों टाइम गुनगुने पानी से या शहद में मिला कर आप ही चाट लीजिए। आपको बहुत फर्क पड़ेगा।
लेकिन आपको यह ध्यान रखना है कि आपको ठंडी चीजें नहीं खानी है। तली हुई चीजें नहीं खानी है और मिठाईयां नहीं खानी है ताकि और ज्यादा कफ ना बने।
अगर आपके सांस फूलने का कारण है हिमोग्लोबिन खून की कमी। क्योंकि खून की कमी होने से भी अक्सर आदमी की सांस फूलने लगती है।
जरा सा दौड़ने पर, सीढ़ियां चढ़ने पर तो आपको यह उपाय करना है, 9 किसमिस, 7 बदाम, 5 खजूर, 3 काजू और एक अखरोट इन सब को रात में भिगो दें।
सुबह आपको क्या करना है बादाम के छिलके उतारकर इन सब का पेस्ट बनाकर एक गिलास दूध में उबालना है अच्छी तरह से। तो यह आपका फुल एनर्जी ड्रिंक बन गया रोज पी लीजिए। करीब 1 महीने तक फिर देखना आपके अंदर नई ऊर्जा का संचार होगा। आपके शरीर में ताकत आएगी इसके बाद आप 5 किलोमीटर दौडेंगे तो भी आप थकेंगे नहीं।
दूसरी चीज ध्यान रखने वाली है बहुत ही इंपॉर्टेंट चीज है शरीर में हर रोज तिल के तेल की मालिश जरूर करें। बहुत ही बढ़िया चीज है यह तिल का तेल, सबको पता नहीं है लेकिन मैं आपको बता रही हूं आपको यह जरूर करना है। फिर आप इसका रिजल्ट देखना बहुत सारे रोगों को ठीक करता है। तिल का तेल मांसपेशियों में ताकत आएगी। आपके नर्वस सिस्टम में ताकत आएगी।
टॉक्सिंस बाहर निकलेंगे बहुत सारे फायदे हैं आपको यह मैंने बहुत अच्छी चीज बताई है। आप चाहे तो अश्वगंधा टेबलेट भी मंगवा सकते हैं। अश्वगंधा और आयुर शक्ति दोनों बहुत अच्छी टेबलेटस हैं। इनका आप सेवन करेंगे तो आपके शरीर में शक्ति आती है और आपको रिलीफ मिलता तो पोषण पर ध्यान देना है।
दलिया खाइए, हरी सब्जियां खाइए, फ्रूट्स खाइए, ड्राई फ्रूट्स खाइए ताकि एनर्जी आए। एनर्जी आएगी तो आपका जो एंडोरेंस है कि आपकी जो कार्य करने की क्षमता है, एक्सरसाइज करने की क्षमता है, वह बढ़ जाएगी और आप काम करते हुए चलते हुए सकेंगे नहीं।
सांस फूलने के साथ-साथ किन-किन बीमारियों का डर रहता है? कौन-कौन सी बीमारियां लग सकती हैं?
आइए इनके बारे में जानते हैं आपकी सास नॉर्मल फूल रही है तो कोई परेशानी वाली बात नहीं है। लेकिन कई लोगों की सांस फूलती है, कुछ काम करते टाइम चलते टाइम फूलती है। सीढ़ियां चढ़ते टाइम तो यह इतनी दिक्कत वाली बात नहीं है।
लेकिन कुछ लोगों की बैठे बैठे सांस फूलने लगती है और उनको बैठे-बैठे सांस नहीं आता है तो ये एक गम्भीर विषय है बड़ी दिक्कत हो जाती है।
उसमें आपको ध्यान रखना चाहिए:
तो बीमारियां इसमें हम क्या क्या गिन सकते हैं। बहुत सारी बीमारियां हो जाती हैं सबसे पहले तो अस्थमा आपने सुना होगा। दमा जिसको कहते हैं दमा अगर हो जाए तो सांस फूल सकता है। इसके अलावा लंगस में आपके कुछ ड्राइनेस पैदा हो जाए।
आपके लंगस हार्ड हो जाते हैं आपके फाइब्रोसिस कह देते हैं। उसको लंगस सख्त हो गए हैं। इनकी इलास्टिटी खत्म हो गई है या लंगस के अंदर कुछ बलगम सूख जाता है। कैलशिफाइड लंक्स उसको बोलते हैं। बहुत सारी बीमारियां हैं जो कि लंगस से रिलेटेड है, फेफड़ों से रिलेटेड है। जो कि आपने नाम सुना होगा जैसे एक बीमारी होती है जिससे कि अंदर छोटी छोटी गांठे बन जाती हैं सरकोडोसेज लैंग्ज।
जिस को बोलते हैं वह एक बीमारी हो जाती है इसके अलावा जो है लंग्स में बलगम बहुत ज्यादा फसी हो। ऑक्स ट्रेक्शन वहां हो जाए सीओपीडी डॉक्टर लोग इस बीमारी को बोलते हैं। फ्लुरीफेजन एक बीमारी का नाम है यानी कि लंग्स कि जो मैंमैरेज है उसमें पानी भर जाता है कुछ वापस स्वेलिंग हो जाती है।
इन्फ्लेमेशन वहां हो जाती है तो बहुत सारी बीमारियां हो जाती हैं अच्छी खासी बीमारियां है मजबूत बीमारियां है कोई छोटी मोटी बीमारीया नहीं है।
तो फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए अगर आपको छोटी मोटी सांस की प्रॉब्लम है तो आज ही आयुर्वेदिक दवाइयां शुरू कर लीजिए या किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह ले लीजिए। अपना इलाज करवाना शुरू कर दीजिए इससे पहले कि कोई बड़ा रोग वहां पर हो जाए आपको इस बात पर ध्यान देना है।
इसी तरह से हार्ट का भी मसला है, अगर आप को हार्ट की कोई बीमारी है अर्डमिया हो गया हो कई तरह के नाम है इन हार्ट की बीमारियों के जिनके साथ भी आपको जो अस्थमा हो जाता है।
यह जो बीमारियां हैं यह हमारे सांस फूलने को एक रोग में कन्वर्ट कर देती है या फिर हम ऐसी स्थिती मान लेते हैं कि जो हमारा सांस फूल रहा था वह एक रोग बन चुका है और उसका प्रॉपर उपचार आपको किसी अच्छे डॉक्टर से ईलाज करवाना चाहिए।
आप चाहे तो इस के देसी नुस्खे भी कर सकते हैं या फिर आप चाहे तो इसका आयुर्वेद से इलाज करवाना चाहिए। जल्दी से जल्दी, पूरी तरह से रोग को समझ कर उसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। आज के लिए बस इतना ही नमस्कार।
दोस्तों उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको बेहद पसंद आई होगी। ऐसी ही नई नई जानकारी पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट पर आए।
आज के लिए बस इतना ही मै आपसे फिर मिलती हूं एक और नई जानकारी के साथ। जो आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगी बहुत इंटरेस्टिंग होगी धन्यवाद।
अपना और अपने परिवार का ध्यान रखें। अपने चारों तरफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
आपकी दोस्त
पुष्पा डाबोदिया।