हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग।
तो चलिए देखते हैं क्या है आज के लिए खास:
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं। एक बहुत ही खास टॉपिक जिस पर आज हम बात करने वाले हैं।
दोस्तों आज हम आपको बताएंगे दुनिया की एक ऐसी खुफिया एजेंसी के बारे में जिसके बारे में आपने बहुत कम सुना होगा,
दोस्तों इजराइल एक ऐसा देश है जो दुश्मनों से बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
ऐसे कारनामों के पीछे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ होता है।
दुनिया की एक ऐसी खुफिया एजेंसी जिसके बारे में आपने बहुत कम सुना होगा। -the better lives |
जी हां दोस्तों इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के बारे में कौन नहीं जानता है।
जी हां दोस्तों एक ऐसी एजेंसी जिससे पूरी दुनिया के आतंकवादी खौफ खाते हैं।
एक ऐसी सुरक्षा एजेंसी जो अपने देश की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक चली जाती है।
एक ऐसी खुफिया एजेंसी जिसने विश्व में सबसे खतरनाक बदला लेने के लिए कई किए गए ऑपरेशन को अपनी मंजिल तक पहुंचाया और हमेशा जीत हासिल की।
आज का हमारा यह लेख इजराइल देश की खुफिया एजेंसी मोसाद के बारे में है
दोस्तों आज हम इसी टॉपिक पर बात करने वाले हैं ।
तो लेख को पूरा पढ़े बीच में ना छोड़े आपको मिलने वाली है बहुत ही इंटरेस्टिंग जानकारी:
आज हम आपको मोसाद से जुड़े कुछ ऐसे फैक्स बचा बताने वाले हैं जिसको सुनकर आप हैरान हो जाएंगे।
दोस्तों मोसाद का हेड क्वार्टर इजरायल के पील अभी शहर में है।
मोसाद यानी इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंट एंड स्पेशल ऑपरेशन इजरायल की नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी है।
मोसाद का गठन 13 दिसंबर 1949 को सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर को ऑर्डिनेशन के तौर पर हुआ था।
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद अपने दुश्मनों को विश्व के किसी भी कोने में मारने में सक्षम है।
और मोसाद ने कई ऑपरेशन विश्व के दूसरे देशों में जाकर किए हैं और अपने दुश्मनों को सजा दी है।
दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मोसाद ने कुछ ऐसे खतरनाक ऑपरेशन किए हैं जिसमें ऑपरेशन अटअंबे और ऑपरेशन थंडरबॉलट है।
समूचे विश्व में मोसाद की बहादुरी और शक्ति का प्रतीक बन गए।
ऑपरेशन अट अंबे के तहत इजरायल कमांडो वे सेना की टुकड़ी ने युगांडा के हवाई अड्डे में मैं बिना अनुमति के घुसकर युगांडा के चुंगल से अपने 54 नागरिकों को बचाकर समूचे विश्व में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करा दिया था।
इजराइल देश की आबादी बेहद कम है।
और इस देश में मात्र 8000000 लोग ही रहते हैं।
लेकिन इसराइल का प्रत्येक नागरिक ईमानदार और अपने देश पर मर मिटने के लिए हर पल तैयार रहता है।
मोसाद का प्रमुख रूप से काम विदेशों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाना और इजरायल के बहार दुश्मन को अंजाम देना है।
मोसाद में 1500 से लेकर 2000 तक कर्मचारी है।
जिसमें से करीब 500 अधिकारी स्तर के हैं।
एजनसी के नए स्टाफ मेंबर और पुराने स्टाफ मेंबर के बीच
बेसिक सेलरी में बहुत कम अंतर होता है।
लेकिन मोसाद और सिमवेद में कर्मचारी का चयन बहुत ही लंबी प्रशिक्षण के बाद होता है।
और उनकी सुरक्षा संबंधी कड़ी जांच होती है।
मोसाद और सिमवेद में करीब 1000 अधिकारी है।
जिनकी ईमानदारी और सच्चाई को कड़ाई से परखने के बाद ही उन्हें भर्ती किया जाता हैं।
इजराइल की स्थापना के तुरंत बाद वहा की तत्कालीन प्रथम प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन के संग मोसाद की नींव रखी गई थी।
जिसे इजरायल की आजादी के लिए ब्रिटिशफ्लिस्थान में संघर्ष
कर रही चार प्रमुख यहूदी उग्रवादी संगठनो को एक कर बनाया गया था।
3- 4 संगठनों को मिलकर मोसाद का संगठन किया गया था। वो थे हगाना हा, लेही, इवगुन, पालचम।
इन्हीं संगठनों में से जो समर्थ संगठन थे उन्हीं को लेकर मोसाद की स्थापना की गई।
मोसाद का गठन कर इसका पहला निर्देश खूंखार यहूदी सैनिक रोयन सिलो को बनाया गया ।
जिसने अपने कार्य से पहले ही यहूदियों में अपना नाम कमाया था ।
मोसाद का जिस काम के लिए गठन हुआ था मोसाद ने उसे अपने काम से साबित कर दिया था ।
यह मोसाद एजेंट्स का लगातार कठिन परीक्षण का परिणाम है जो आज मोसाद को खुफिया एजेंसी का कोर्ट माना जाता है ।
मोसाद की ताकत और उसके नेटवर्क का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज दुनिया के बड़े से बड़ा देश को खुफिया सेनाओं के लिए मोसाद की सहायता लेते हैं।
यहां तक कि कई देशों की खुफिया एजेंसी को भी मोसाद से ट्रेनिंग लेने के लिए इजरायल भेजा जाता है ।
मोसाद को जिस सबसे बड़ी खूबी के कारण जाना जाता है वह है फुलस फ्लेगऑपरेशन।
इस कार्य में मोसाद को महारत हासिल है।
वैसे तो इजराइल का हर व्यक्ति सैनिक है जिसे सैनिक ट्रेनिंग अनिवार्य होती है ।
लेकिन मोसाद में शामिल होने वाले जवान अलग से स्पेशल बेहद कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है।
और जब ट्रेनिंग का हर पड़ाव पार कर लेते हैं तब उसे मैदान में उतारा जाता है।
दुश्मन को चकमा देने की कला हो या मार कर गायब हो जाने वाली एलीन फली तकनीक को मोसाद एक एक्सपर्ट होते हैं।
एक मोसाद एजेंट कई सैनिकों के के बराबर होता है।
ना ही मात्र एक खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है बल्कि अपने दुश्मन के बड़े से बड़े ठिकाने को तबाह करने के लिए सक्षम होता है।
जिसके लिए बकायदा उसे इजराइल में ट्रेड कियाजाता है।
मोसाद को लेकर बहुत सारी किताबें लिखी गई है और इसमें से कई कई किताबे इसके ऑपरेशन पर हैं।
मोसाद में कुछ कारनामे ऐसे कर दिखाए हैं जिन्हें अकल्पनीय माना जा सकता है ।
साठ के दशक में देश के परमाणु कार्यक्रम को चलाने के लिए मोसाद एजेंटों ने अमेरिका की परमाणु कंपनी नियुमिक अपोलो प्लसनविनिया से 90 किलोग्राम यूरेनियम गायब कर दिया था।
इसके बाद ही अमेरिका को पता चला कि ये यूनियन अमेरिका के काम में लिया जा रहा है ईरान की क्रांति के बाद ईरान इजरायल का सबसे बड़ा शत्रु बन गया।
लेकिन इससे पहले सा रजजा पहलवीं के शासनकाल में इजरायल ईरान को हथियार भी बेचा करता था।
तकनीकी रूप से दोनों देश दुश्मन है लेकिन दोनों के बीच हथियारों और तेल की बिक्री होती रही थी।
मोसाद के एजेंटों ने पीएलओ और फिलिप टिं ऑर्गेनाइजेशन कि हत्यारों को निकारागुआ के निकॉन ट्रॉ विग्रोवो को बेचा था।
और बिक्री से मिले पैसों से अमेरिका की मदद भी कर दी थी।
मोसाद की आतंकवादियों के खिलाफ चलाई गई मुहिम का बेहतर उधारन म्यूनिख हत्याकांड है ।
पश्चिमी जर्मनी के म्यूनिख शहर में आयोजित 1972 की ओलंपिक के दौरान बंधक बनाए गए इजरायल खिलाड़ियों को छुड़वा कर 5 आतंकवादियों को मार गिराया।
फिलिप्स इन के आतंकवादी संगठन ब्लैक सितंबर के द्वारा अंजाम दिए गए इस आतंकी कारनामे में शामिल उन तमाम लोगों को मोशाद ने ढूंढ ढूंढ कर मार दिया।
जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस संगठन से जुड़े थे उन्होंने इसके लिए दूसरी दूसरे देशों में घुसकर कार्रवाई की।
यह एजेंसी आतंक का तब तक पीछा करती है जब तक वह उस की बुरी नजर को ध्वस्त ना कर दे।
दोस्तों आज के लेख में बस इतना ही उम्मीद करती हूं मेरी आज की जानकारी आपको बेहद पसंद आई होगी।
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दोस्तों आजकल मच्छर बहुत ज्यादा हो गए हैं और डेंगू बुखार बहुत तेजी से फैल रहा है। इसलिए अपने बच्चों को बचा कर रखें अपने बड़ों का अपने परिवार का ख्याल रखें।
धन्यवाद।
आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।