हैलो दोस्तों thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी पुष्पा मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग story
चलिए देखते हैं क्या है आज की खास जानकारी।
दोस्तों मेडिसिन का पैकेट यानी दवाई का पता तो हम सब ने देखा ही होगा।
हमने यह भी देखा होगा कि पैकेज में दो टेबलेट की दूरी सामान्य से थोड़ी ज्यादा रखी जाती है यदि पैकेज में टेबलेट की संख्या कम हो तो भी तो भी पैकेज का साइज छोटा नहीं होता।
दवाइयों का पत्ता खरीदते समय आपने देखा होगा की एक गोली के लिए इतना बड़ा पत्ता होता है या फिर हर दवाई के बीच काफी गैप भी दे दिया जाता है। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है ऐसे क्यों होता है इसके बारे में आज हम आपको जानकारी देते है।
आखिर क्या कारण है कि टेबलेट का पत्ता सामान्यता से थोड़ा ज्यादा बड़ा होता है और ऐसी क्या बात है कि दो टेबलेट की दूरी सामान्य से थोड़ी ज्यादा रखी जाती है।
आइए समझने की कोशिश करते हैं दवाई के पैकेज का साइज बड़ा क्यों होता है।
दवाई की कंपनी में काम करने वाले सीनियर बताते हैं कि भारत की गाइड लाइन के अनुसार दवाई के पैकेज पर कुछ जानकारियों को प्रकाशित करना अनिवार्य है।
इनमें दवा के अंदर मौजूद रसायन से लेकर दवा बनाने वाली कंपनी की पूरी जानकारी होती है स्वभाविक है यहां पूरी जानकारी छोटे-छोटे अक्षरों में छपने पर भी काफी जगह घेर लेती है इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि पैकेज के अंदर एक टेबलेट हो या१० जानकारी पूरी छापनी पड़ती है।
इसलिए दवाई के पत्ते का साइज बड़ा होता है।
गिनती करने मे आसानी होती है. 50 दवा 5 इंच मे डाल दिया और 17 उसमे से हटा दिया. बड़ा प्रॉब्लम होगा भीड़ मे काउंट करने मे अगर स्पेस नहीं रहेगा तो।
दो टेबलेट के बीच में गैप क्यों होता है?
दोस्तों इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं एक तो यह है कि भारत सरकार के निर्देशानुसार टेबलेट में मौजूद रसायन और मनीफैक्चरिंग, व एक्सपायरी डेट लिखने के लिए थोड़ी जगह तो खर्च होती है इसलिए तो टेबलेट के पैकेज के बीच आपको ज्यादा दूरी दिखाई देती है।
दूसरी बात यह है कि दवाई का पता दरअसल दो हिस्सों के लिए बना होता है जिस पर आमतौर पर p v c प्लास्टिक होता है जिस पर उभार बनता है, और पीछे एलुमिनियम का बना फर्स्ट भाग होता है जिस पर दवाई से संबंधित सूचना होती है।
यह उभार एक गोल्डन सिलेंडर पर चिपका कर बनाए जाते हैं क्योंकि यह गोल लिपटकर ही बन पाता है। इसलिए स्वभाविक है 2 उभारो के बीच थोड़ा सा गैप आ ही जाता है।
यानी यह ब्लिस्टर या पत्ता बनाने की तकनीक से हो जाता है।उनके बीच कोई रासायनिक क्रिया नहीं होती क्योंकि दवा कंपनीया हर टेबलेट के उपर एक खास किस्म की कोटिंग करती है।
एब्नेट की कोटिंग उनके अंदर मौजूद रसायन को सुरक्षित रखती हैं कई बार यह कोटिंग दवाई को तापमान और प्रदूषण से भी बचाती हैं।
दवाइयों को पैकेट में और निर्धारित गाइडलाइन का पालन करके सुरक्षित रखना अनिवार्य है।
परंतु दो दवाइयों के बीच की दूरी इतनी होनी चाहिए और यह दूरी दवाइयों के प्रभाव को कम या ज्यादा तो नहीं कर देगी,
तरह के प्रश्नों से डरने की जरूरत नहीं है।
निष्कर्ष है:
दवाइयों के लिए कुछ कुछ दिशानिर्देश हैं। इसमें मैनुफैक्चरिंग, एक्सपायरी और बैच नंबर लिखना ज़रूरी है। इसके अलावा दवाइयों के वर्ग भी होते हैं जैसे एंटीबायोटिक, एन्टी सायकोटिक, नारकोटिक्स इत्यादि जिसका उल्लेख ज़रूरी होता है। इस सब के लिए स्थान की ज़रूरत होती है, इसीलिए एक गोली के लिए भी बड़ा पत्ता चाहिए होता है।
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आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।