चलती नदी में पिल्लर कैसे बनाते है?

हैलो दोस्तों thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग 
तो चलिए देखते हैं क्या है आज के लिए खास।

ब्रिज ,हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है
बहुत से लोगों ने ऐसे ब्रिज देखे होंगे जो नदियों के ऊपर समुद्रों के ऊपर होते हैं और ऐसे ब्रिज जो नदियों के ऊपर होते हैं पानी के ऊपर होते हैं उन्हें सपोर्ट देने के लिए उनके नीचे पिलर लगाए जाते हैं।

चलती नदी में पिल्लर कैसे बनाते है?


लेकिन यह पिलर पानी के अंदर होते हैं तो आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि इससे चलती हुई नदी पानी के बहाव के अंदर कैसे इंजीनियर इन पिल्लर को खड़ा करते होंगे कैसे इंस्टाल करते होंगें?

चलिए जानते हैं, दोस्तों तेज बहाव वाली नदियों के अंदर इंजीनियर स्ट्रेक्चर बनाते हैं जिसे बोलते हैं कोफरडैम,
और कोफर डैम जो होता है इसे अलाइन किया जाता है कभी सर्कल के रूप में कभी शुक्वेयर के रूप में भी डिपेंड करता रहता है तो यह शकील के छोटे-छोटे स्टेकचर इसके अंदर फिट कर दिए जाते हैं।

कोफरडम - चलती नदी में पिल्लर कैसे बनाते है?


और इससे एक सर्कुलर का रूप दे दिया जाता है जिसे हम बोलते हैं कोफरडम जब यह सर्कुलर बन जाता है तो एक ट्यूब की तरह हो जाता है तो इसे क्रेन के जरिए उठाकर इसे पानी के अंदर डाला जाता है और जब यह पानी के अंदर डाल दिया जाता है तो जहां हमें इसे लगाना था वहां हमने क्रेन की मदद से इसको फिट कर दिया है।

और स्टीलके स्ट्रेक्चर को विशालकाय क्रेन की मदद से बारी बारी से नीचे की ओर दबाया जाता है जिससे यह जमीन के अंदर धंस पाए अच्छी तरह से।

आप हमें कमेंट करके बताएंगे कि हावड़ा ब्रिज कहां पर पाया जाता है वरना स्टोरी के अंत में तो आपको पता चल ही जाएगा यह कहां पर पाया जाता है,

मोटर और पंप से इसके अंदर का जो पानी है वह बाहर निकाल देते हैं इसके अंदर जो है वह सुखी खाली जगह बच जाती है यहां पर हमें ऐसी जगह मिल गई है जहां से हम अपना से सट्रैक्चर बनाना शुरु कर सकते हैं।

यहीं से हम अपना पिलर बनाना शुरू कर सकते हैं।

तो पिल्लर के लिए हमें जमीन मिल जाती है इसके अलावा एक और तरीका है इसे बनाने का तो जब नदिया काफी गहरी होती है या कंडीशन कुछ अलग होती है तो आप उस तरह से काम नहीं कर सकते तो इंजीनियर वहां पर बहुत सारा पत्थर और मलवा डाल देते हैं।

चलती नदी में पिल्लर कैसे बनाते है?



उसको डालने के बाद वहां पर एक स्टेक्चर बना लेते हैं और इस सटेक्चर को ऊपर तक भर जाता है और जब यह ऊपर तक भर जाता है तो इसके अंदर वही स्टील की रोड और सीटस लगा दी जाती हैं वह सीट सर्कुलर शेप में लगा देते हैं। ताकि एक ट्यूब का आकार बोल दे सके। जैसे पानी निकाला था वहां पर यहां पर क्या काम करते हैं कि उस मलबे को बाहर निकालकर जाते हैं बाहर निकालते जाते हैं और अंदर हमें एक टयूब की संरचना मिल जाती है।

चलती नदी में पिल्लर कैसे बनाते है?


ऐसा करते करते हम जमीन तक पहुंच जाते हैं और अंदर हमें  सूखी जमीन मिल जाती है और इस जमीन पर हम अपना आगे का असल स्ट्रक्चर बनाना शुरु कर सकते हैं।

स्टैबलिश कर सकते हैं कॉफ़रडम को आप किसी भी तरीके से बना सकते हैं। अगर वह ज्यादा हल्का है या ज्यादा भारी है तो आप किसी और की हेल्प ले सकते हैं। किसी मशीन की और जब भी यह स्ट्रक्चर खड़ा हो जाता है और सूख जाता है तो इसे हटा लिया जाता है। कॉपरडम एक टेंपरेरी स्ट्रक्चर है इसे हटा लेते हैं कॉफ्रेडेम आप कई तरह से स्टेबलिस कर सकते हैं या तो ज्यादा हल्का है या ज्यादा भारी नहीं है तो आप उसे डायरेक्ट ट्रेन से उठाकर भी डाल सकते हैं।

चलती नदी में पिल्लर कैसे बनाते है?


या फिर बहुत बड़ा स्ट्रक्चर बनाना है बहुत बड़ा कॉफ़रडम है या फिर नदी बहुत गहरी है इस कंडीशन में इंजीनियर इस कॉफ़रडम के नीचे लोहे के बड़े-बड़े रोड डाल देते हैं और उसके ऊपर से रोटेट करा कर उसे नदी में उतार देते हैं।

चलती नदी में पिल्लर कैसे बनाते है?


और कहीं दूर ले जाना होता है तो इसे थोड़ा फ्लेटिंग बना देते हैं कुछ ऐसा मैटेरियल लगा देते हैं इसके नीचे जिससे इसे ब्वॉइल प्रवाईटी हो और इसको तैरने में आसानी हो और फिर दूसरे शिफ्ट की मदद से इसे उस जगह पर ले जाते हैं और इसे नीचे जमीन में लगा दिया जाता है।

दोस्तों जब भी कलकत्ता की बात आती है तो एक बृज की इमेज आती है और वह ब्रिज है हावड़ा तो अब आप समझ गए होंगे कि हावड़ा ब्रिज कहां पर है वह है कोलकाता में।

उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी मिलते हैं एक और इंटरेस्टिंग जानकारी के साथ तब तक अपना ख्याल रखना।

आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया

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