बहुसंख्यकवाद व बहुमत और लोकसभा व राज्यसभा मे क्या अंतर है?

हैलो दोस्तों thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग।

तो चलिए देखते हैं क्या है आज के लिए खास,

सरकारें जब बहुमत से ही चलती है, तो बहुमत और बहुसंख्यकवाद में क्या अंतर है?

बहुसंख्यकवाद व बहुमत और लोकसभा व राज्यसभा मे क्या अंतर है?


बहुमत का मतलब है आधे से अधिक वोट प्राप्त करना। दूसरे शब्दों में, एक चुनाव में 50% से अधिक मत प्राप्त हो रहे हैं। यदि कुल 100 छात्रों के साथ वर्ग के कप्तान के पद के लिए चुनाव लड़ रहे दो उम्मीदवार हैं, तो यह स्पष्ट है कि 100 वोटों को उन दोनों के बीच विभाजित किया जाएगा और अधिक संख्या वाले उम्मीदवारों को वोट दिया जाएगा। विजेता। यहां, बहुमत को आधे से अधिक वोटों के रूप में वर्णित किया गया है। 

इस मामले में, यह संख्या 100/2 = 50 है, और 50 से अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार स्पष्ट रूप से बहुमत वाले हैं। इसलिए, अगर उनमें से एक को 51 मिलता है, और दूसरे को 49 मिलता है, तो 51 पाने वाले छात्र को विजेता के रूप में घोषित किया जाता है, और वह वह होता है, जिसे सबसे अधिक वोट मिलते हैं।

बहुसंख्यकवाद

यह मान्यता है कि अगर कोई समुदायबहुसंख्यक है तो वह मनचाहे ढंग से देश का शासन कर सकता है और इसकेलिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की आवश्यकताओं या इच्छाओं की अवहेलना कर सकता है।

इसके कुछ उदाहरण -

  • हिटलर का नाज़ीवाद, जो शुद्ध जर्मन आर्यन रक्त की अवधारणा पर आधारित था।
  • सावरकर का हिंदुत्व नस्लवाद, यानी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन ही हिंदू हैं, जिनकी मातृभूमि, पितृभूमि, पुण्यभूमि भारत है।
  • पाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब जैसे मुस्लिम राष्ट्र
  • अमेरिका में श्वेत वर्चस्व (व्हाइट सुप्रीमेसी)
  • श्रीलंका में तमिलों के प्रति भेदभाव करता हुआ सिंहला वर्चस्व, जो ज़्यादातर थेरावड़ा बौद्ध हैं।

बहुमत फैसला लेने का एक तरीका है जबकि बहुसंख्यकवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसमे बहुसंख्यक( चाहे वो भाषा आधारित हो ,क्षेत्र आधारित हो ,नस्ल आधारित हो या फिर धर्म आधारित हो) ये मानते हैं कि हमारी संख्या ज्यादा है लिहाजा समाज मे हमारी अहमियत ना सिर्फ ज्यादा हो बल्कि अल्पसंख्यक हमारे सामने दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रहे।

अब हम लोकसभा और राज्यसभा में डिफरेंस देखेंगे।

बेसिकली जो बिगनेर स्टूडेंट है जो कॉम्प्लिकेटेड एग्जाम की  कर रहे हैं या जिनको कॉन्पिटिटिव एग्जाम से कोई लेना देना नहीं है ऐसे लोगों को कन्फ्यूजन रहता है कि लोकसभा क्या है?
और राज्यसभा क्या है? आज हम बेसिक शब्दों में सरल भाषा में आपको समझाएंगे।

चलिए टू द प्वाइंट हम स्टार्ट करते हैं ,

तो देखिए दोस्तों सबसे पहले अगर लोकसभा की बात करें:

तो नाम से स्पष्ट है - लोग यानी जनता द्वारा चुना गया।

इसमें जो सांसद होता है वह आम जनता व्यस्त जनता  इलेक्शन द्वारा हम उसी चुनते हैं। इसकी जो प्रक्रिया है वह व्यस्त मतदान द्वारा होती है जबकि राज्यसभा जो विधानसभा है जो राज्य विधानसभा है वह राज्य के सदस्यों को चुनती है।

राज्यसभा के सदस्य है वो विधानसभा के द्वारा चुने जाते हैं।
जबकि लोकसभा के सदस्य हैं वो आम जनता द्वारा मतदान द्वारा चुने जाते हैं। 

ठीक है ना नेक्स्ट बात करें
 
जैसे कि जनता द्वारा चुना जाता है लोकसभा के सदस्यों को इसलिए इसको आम जनता का सदन कहते हैं इसे निचला सदन भी कहा जाता है।

 जबकि राज्यसभा को हम कहते हैं ऊपरी सदन या राज्यों की परीषद विधानसभा इन्हें चुन कर भेज रही है इसलिए इन्हें राज्यों की परिषद भी कहते हैं।

नेक्स्ट देखें कि लोक सभा का जो कार्यकाल है वह 5 वर्ष का होता है उनका कार्यकाल है जो वह केवल और केवल 5 वर्ष का होता है।

जबकि राज्यसभा क्या है एक स्थाई सदन है लोकसभा क्या था अस्थाई सदन है इसको बीच में कभी भी भंग किया जा सकता है लेकिन राज्यसभा एक स्थाई सदन है इसके जो एक तिहाई सदस्य हैं। वह प्रति 2 साल में बदल जाते हैं।

 इसका कार्यकाल जो है दोस्तों वह 6 वर्ष का होता है।
 जैसे लोकसभा का 5 वर्ष का था इसका 6 वर्ष का होता है।
 और प्रत्येक 2 साल के बाद एक तिहाई सदस्य इस से निकल जाते हैं और और नए एक तिहाई सदस्य चुने जाते हैं ठीक है ना। यही प्रक्रिया इसमें चलती रहती है।

नेक्स्ट है कि लॉकसभा की जो अधिकतर सदस्य संख्या है वह अधिकत्म कितनी हो सकती है।

यह संख्या लगभग 552 हो सकती हैं इसमें से 530 तो राज्यों से जनता के मतदान से चुनकर आते हैं बाकी 20 जो है वह केंद्र शासित प्रदेश से चुने जाते हैं। बाकी 2 बचे वो आन्गल भारतीय समुदाय द्वारा होती है।

राज्य सभा की अधिकतम सदस्य संख्या 250 होती है।

तो जैसा कि मैंने बताया यहां पर जो है भारतीय राष्ट्रपति सदन में दो आन्गल भारतीय समुदाय के सदस्यों को आमंत्रित कर सकते हैं।

2 सदस्य कैसे आते हैं?

आन्गल भारतीय समुदाय के सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं तो 2 सदस्य कहते ऐसे आते हैं उसमें आंग्ल भारतीय एंग्लो इंडियन सदस्य होते हैं उसमें।

जबकि राज्यसभा में 12 सदस्य वह होते हैं जो किसी कला शिक्षा समाज सेवा या खेल में एक विशेष योगदान रखते हैं
उससे संबंधित है ठीक है ना तो उनको जो है ना भारत के राष्ट्रपति द्वारा ही चुना जाता है।

नेक्स्ट है कि लोकसभा, अगर हम बात करें तो 25 वर्ष आयु है यहां पर न्यूनतम किसकी लोकसभा के सदस्य बनने की या लोकसभा सांसद बनने की लोकसभा सांसद बनने की 25 वर्ष आयु न्यूनतम होनी चाहिए।

और राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए जैसा कि हमने बताया लोकसभा क्या है निम्न सदन है इसलिए आयु कम है।

राज्यसभा एक उच्च सदन है इसलिए आयु अधिक है।
ठीक है ना आप ऐसे भी याद रख सकते हैं।

और बात करें लोकसभा के जो बैठक
 है। उस की अध्यक्षता कौन करता है उसके लिए एक अलग से लोकसभा स्पीकर या लोकसभा अध्यक्ष चुना जाता है।
 उन्हें संसद में से।

 और राज्यसभा की बात करें तो बाय डिफॉल्ट जो देश के उपराष्ट्रपति है वाइस प्रेसिडेंट है वही राज्य सभा की बैठकों के अध्यक्ष होते हैं।

धन विधायक की अगर बात की जाए तो धन विधायक लोकसभा में ही पेश किया जाता है कारण यह है कि जो लोकसभा है वह देश को चलाने के लिए देश का अनुशासन जो है वह धन आवंटन करता है और इसलिए धन विधायक पेश किया जाता है।

जबकि राज्यसभा का धन विधेयक से कोई खास लेना-देना नहीं है।

तो दोस्तों यह था जो मैंने बिल्कुल बेसिक तरीके से सरल भाषा में और बिल्कुल छोटे से लेख में मैंने आपको समझा दिया है।

उम्मीद करती हूं आपको समझ में आ गया होगा ।

ऐसी ही नई और रोचक जानकारी के साथ फिर से हाजिर होती हूं। तब तक अपना ख्याल रखना अपने आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें।

पुष्पा डाबोदिया

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