क्या मनुष्य सामाजिक प्राणी होते हुए भी अकेला रह सकता है या नही?

thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग।

तो चलिए देखते हैं क्या है आज के लिए खास,

सोशल मीडिया पर कनेक्ट करते-करते हम अपनों से डिस्कनेक्ट हो रहे हैं। व्हाट्सएप फेसबुक और इंस्टाग्राम के जमाने में लोग सोसली तो  कनेक्ट हो पाते हैं लेकिन क्या इमोशनली कनेक्शन रह गया है?

क्या मनुष्य सामाजिक प्राणी होते हुए भी अकेला रह सकता है या नही?

 

हम अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखते हैं जो सोशल मीडिया से तो जुड़े हुए हैं लेकिन रियल लाइफ में वे बिल्कुल अकेले हैं।

वहीं कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें सोशल कनेक्ट होना पसंद नहीं होता वे अपनी ही दुनिया में मगन रहते हैं।

ऐसे में अकेलापन एक गंभीर समस्या समझा जाता है।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है सोशल एनिमल है यानी वह अकेले जिंदगी नहीं गुजार सकता।

लोगों से घुलना मिलना उनके साथ टाइम स्पेंड करना पार्टी करना सेलिब्रेट करना हमारी फितरत भी है और जरूरत भी। 

लेकिन क्या वाकई अकेलापन बहुत खतरनाक है? इससे हमें बचना चाहिए?

इसका जवाब है नहीं।
कोई इंसान अपनी मर्जी से अकेला रहना चाहता हैं, खुद के साथ टाइम स्पेंड करना चाहता हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
अकेले रहने वाले लोगों में कुछ खासियत होती है जो उन्हें औरों से अलग बनाती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया और विल्मिंगटन कॉलेज की स्टडी के मुताबिक जो बच्चे अपनी मर्जी से अकेले रहना चाहते हैं। वह लाइफ को काफी बेहतर तरीके से समझ पाते हैं। लेकिन अगर बच्चे को अकेले रहने के लिए फोर्स किया जाए तो यह उनकी लाइफ पर ही गलत असर डालता है।

हालांकि कुछ स्टडी में यह दावा किया गया है कि अकेला व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।

क्या मनुष्य सामाजिक प्राणी होते हुए भी अकेला रह सकता है या नही?


अमेरिका की बफैलो यूनिवर्सिटी रिसर्च का कहना है कि लोग तीन वजहो से अकेले रहना पसंद करते हैं।
यह 3 वजह उनको दूसरे लोगों से घुलने मिलने से रोक सकती हैं।

कुछ लोग सर मिले होते हैं कुछ लोगों को भीड़ भाड़ पसंद नहीं आता वहीं कुछ लोग मिलनसार तो होते हैं। लेकिन अकेले रहना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की रिसर्च के मुताबिक एकांत में रहना भी एक कला है जो सीखनी पड़ती है।

हर इंसान को यह पता होना चाहिए कि कब उनको अकेले रहना है और कब उनको लोगों के साथ टाइम स्पेंड करना है।
इस स्टडी में अपने मन से और अपनी खुशी से अकेले रहने को प्राथमिकता दी गई है।

स्टडी में पता चला है कि जो लोग सोशल वर्क आउट की वजह से अकेले रहना पसंद करते हैं। उनमें स्ट्रस होना आम बात है।
ऐसे लोगों में डिप्रेशन होने के चांसेस भी ज्यादा होते हैं। वहीं अगर कोई इंसान अपनी मर्जी से अकेले रहना चाहता है वह अपनी लाइफ में हैप्पी और हेल्दी रहते हैं।

हिंदू से लेकर बौद्ध धर्म तक भी अलग-अलग धर्मों में ध्यान करने टेंपलेशन करने या अलग अलग चिंतन मनन करने की सलाह दी गई है। ऐसे में हमारा दिमाग शांत रहता है और कुछ बेहतर करने की क्षमता बढ़ जाती है।

अलोन पीपल की एक यूनिक पर्सनैलिटी होती है। हर इंसान में कुछ न कुछ खासियत होती है और उस खासियत को पहचानने के लिए खुद के साथ टाइम स्पेंड करना जरूरी हो जाता है।

कुछ लोग होते हैं जो बाहर की दुनिया में इतने ज्यादा खो जाते हैं कि उनको खुद के एडजेस्टमेंट का पता ही नहीं चल पाता। इन्हें अपने अंदर की पर्सनैलिटी और अंदर की काबिलियत का पता ही नहीं होती।

वही अलोन पीपल अपनी पर्सनैलिटी को निखार पाते हैं और उनकी एक डिफरेंट इमेज होती है। वह अपनी लाइफ खुद के हिसाब से जीते हैं ना कि दूसरों को देखकर।
अलोन पीपल के अंदर पॉजिटिव एटीट्यूड होता है।

जब आप लोगों के बीच होते हैं और दूसरों को खुद से बेहतर देखते हैं तो नेगेटिव थिंकिंग डिवेलप होने लगती हैं।

आप सोचने लगते हैं कि वैसी क्वालिटी आप में क्यों नहीं है।
और उस चक्कर में हम अपनी बेस्ट क्वालिटी को ढूंढ नहीं पाते लेकिन जब आप अकेले रहते हैं तो खुद की  खासियत को ढूंढ पाते हैं।

लोग अकेले रहते हैं वह क्रिएटिव और प्रोटेक्टिव होते हैं।
डिस्टर्बेस नहीं होने की वजह से काम अच्छा कर पाते हैं और ओरो से अच्छी तरह से कर लेते हैं।

अलोन पीपल ज्यादा लोगों से मिलते जुलते नहीं है और ना ही किसी से बहस करते हैं। अकेले रहने वाले लोग आत्मनिर्भर रहते हैं। अकेले रहने वाले लोग मेंटली इमोशनली स्ट्रांग होते हैं। क्योंकि उनको पता होता है कि उनकी लाइफ में आने वाली हर तरह की परेशानी से उन्हें अकेले ही बाहर निकलना है।

ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं है जिसे आप अकेले रहकर सॉल्व नहीं कर सकते। अकेले रहने वाले लोगों का सेक्सस  रेट भी  ज्यादा होता है। खुद के लिए टाइम निकाल कर वह सही प्लानिंग कर पाते हैं जिससे उन्हें सेक्सेस मिलने में काफी हेल्प होती है।

आपको बता दें कि अकेले रहने का यह मतलब बिल्कुल नहीं होता कि आप अपनों को त्याग दें।

आपको बता दें कि अकेले रहने का यह मतलब बिल्कुल नहीं होता कि आप अपनों से दूर हो जाए। इसका मतलब यह है कि आप नेगेटिव थिंकिंग वाले लोग टाइम वेस्ट करने वाले लोगों से दूर रहे।

खुद के लिए टाइम निकालें कुछ बेहतर सोचे। अच्छी किताबें पढ़ें अपनी लाइफ के रूल्स खुद बनाएं। सोशल मीडिया के बाहर भी एक दुनिया है। जहां पर आपके अपने हैं पॉजिटिव पीपल भी हैं। उन से कनेक्ट करें अपनी प्रॉब्लम अपने करीबी लोगों से जरूर शेयर करें और खुद को एक बेहतर इंसान बनाने की ओर कदम उठाए।

ऐसा करने से ना आप पॉजिटिव फील करेंगे बल्कि आपके अंदर सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा।
  
तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको बहुत पसंद आई होगी ।

तो आप अकेले रहने के पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट  समझ गए होंगे इसी उम्मीद के साथ नमस्कार।

ऐसी मोटिवेशनल महत्वपूर्ण पोस्ट पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट पर आए। मिलते हैं एक नई और इंटरेस्टिंग
जानकारी के साथ धन्यवाद।

अपना ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।

आपकी दोस्त 
पुष्पा डाबोदिया।।

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for writing back

और नया पुराने