क्या कोरोना जैविक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है?

क्या कोरोना जैविक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है?

चलिए दोस्तों बात करते हैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल कि जो कि इतना कि हमारे और तुम्हारे लिए बल्कि पूरी पृथ्वी के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्वेश्चन है और वह है की क्या कोविड-19 एक जैविक हथियार है जो कि चाइना के द्वारा तैयार किया गया है?

दोस्तों चाइना का एक रिसर्च पेपर लीक हो गया जो कि एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने एक रिपोर्ट जारी की है और इस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है की कोरोनावायरस चमगादड़ ने नहीं फैलाया बल्कि धोखे बाजो ने फैलाया है और इससे जैविक हथियार के रूप में बनाने की बात कहीं गई है।

तो दोस्तों इस ब्लॉग मे हम इन महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा करेंगे। क्या कोरोनावायरस एक जैविक हथियार है?
एक जैविक हथियार क्या होता है? और इसको रोकने के लिए क्या कोई संधि है पूरे विश्व में? या फिर किस आधार पर इसे चीन का जैविक हथियार कहा जा सकता है?

दोस्तों कुछ तथ्यों के आधार पर बात करेंगे जो कि दिए गए हैं मीडिया के द्वारा। तो आइए मैं आपको बताता हूं कि वह पॉइंट क्या है। सन् 2015 में चीन ने कोरोनावायरस को जैविक हथियार के रूप में उपयोग करने की मंशा बनाई थी।

दोस्तों चीन का जो वुहान शहर है उसमें पिछली बार इतनी बड़ी मात्रा में कोरोनावायरस था। लेकिन आज वहां पर दोस्तों कोई भी कोरोना का मरीज नहीं है तो दोस्तों इस ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जो पहला तथ्य है वह यह है कि जो वुहान है वहां पर आज कोई भी कोरोना का मरीज नहीं है। यहां पर उत्साह से त्यौहार मना रहे हैं और लोग आपस में खूब मिल रहे हैं। यह बात वहां की हो रही है जो कभी कोरोनावायरस का सेंटर हुआ करता था।

दूसरा तर्क यह है की मान लो वुहान में कोरोनावायरस पहला था लेकिन यह बताओ कि वह पहली बार में कोरोनावायरस वुहान के बाहर क्यों नहीं निकला। तो दोस्तों यह पूरे चीन में क्यों नहीं फैला जैसे की हम बात करें इटली की तो एक बार इटली में फैल गया तो वह पूरी इटली को अपने अंदर जकड़ लिया जैसे कि भारत में फैला तो पूरे भारत को कोरोनावायरस ने जकड़ लिया जैसे कि अमेरिका में फैला तो अमेरिका को पूरी तरह से अपने काबू में कर लिया लेकिन ऐसा चीन के मामले में क्यों नहीं हुआ।

पूरी दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों में बुरी तरह से कोरोनावायरस फैला लेकिन चीन में हर एक शहर में कोरोनावायरस क्यों नहीं फैला यह वुहान से बाहर क्यों नहीं निकला।

तीसरी जो बात है कि अगर कोरोनावायरस सच में ही फैला था तो इसे चीन ने काबू कैसे किया?
रिपोर्ट के अनुसार उसमें सीधा यह कहा गया है कि अगर यह प्राकृतिक रूप से फैला है तो उसका चीन ने कैसे बचाव कर लिया जबकि पूरी दुनिया उसमें नाकाम रही है।

चौथी बात दोस्तों की अगर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है तो चीन की अर्थव्यवस्था अभी भी इतनी स्थिर कैसे है और अभी भी आगे कैसे बढ़ रही है?

और पांचवी बात दोस्तों की मान लेते हैं कोरोनावायरस प्राकृतिक रूप से फैला है तो चीन की सरकार डब्ल्यूएचओ का सपोर्ट नहीं करती यह खोजने में कि यह प्राकृतिक रूप से फैला है या फिर जानी-मानी साजिश है क्यों डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों को चीन में नहीं जाने दिया जाता?

डोनाल्ड ट्रंप जिसे पूरी दुनिया पागल -पागल के नाम से जानती है उन्होंने पहले ही कह दिया था कि यह कोरोनावायरस नहीं, यह एक चाइना वायरस है और चमगादड़ को दोष मत दो। यह चीन का वायरस है और चीन ने अपनी लैब में बनाया है यह वायरस। यह बात डोनाल्ड ट्रंप ने चीख चीख कर गई थी तो यह झोल बहुत लंबा है।

तो सोचिए दोस्तों ऑस्ट्रेलिया ने यह बताने की, कहने की हिम्मत तो की अपनी रिपोर्ट के द्वारा। क्योंकि जो चाइना है वह दूसरी विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसके खिलाफ बोलना यह भी एक बड़ी बात हो जाती है।

अब बात आती है कि यह जैविक हथियार चीज क्या है?
जब किसी वायरस को या किसी जीवाणु को हथियार के रूप में उपयोग में लिया गया उसे ही जैविक हथियार कहते हैं। उस रिपोर्ट की एक भविष्यवाणी भी है कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा। यह भी उसी रिपोर्ट में कहा गया है। अगर यह सच हो जाता है तो यह बहुत बड़ी मात्रा में नरसंहार करेगा क्योंकि इसे देखा नहीं जा सकता।

एंथ्रेक्स जैविक हथियार आज तक उपयोग में आ चुका है और प्लेग यह भी विश्व के अंदर जब हथियार के रूप में उपयोग में आ चुके हैं।

रोकने के उपाय:
दोस्तों क्यों भारत को विश्व गुरु कहते हैं क्योंकि भारतीय कभी किसी की हानि नहीं करते और जैविक हथियारों को रोकने के लिए एक संधि होती है। जिसे जैविक हथियार कन्वेंशन कहते हैं और 1925 में एक जेनेवा प्रोटोकॉल में हुआ था। इसका उद्देश्य था जैविक हथियारों के उपयोग को रोकना।

क्योंकि दोस्तों पहले विश्व युद्ध में इसका उपयोग किया गया और कुछ दिन पहले सीरिया में भी इसका उपयोग किया गया। तो 1925 में कहा गया था कि इनका उपयोग रोकना चाहिए। लेकिन दोस्तों 1972 में इसकी स्थापना की गई जो लागू होता है-1975 से।

ऐसे जैविक हथियार कन्वेंशन कहते हैं और भारत 1973 में इसमें सदस्य बन गया।

क्योंकि दोस्तों जैविक हथियार नरसंहार करते हैं और इसीलिए इनके ऊपर बैन लगाना अति महत्वपूर्ण है। लेकिन दोस्तों क्या केवल संधि से काम चल जाएगा। नही चलेगा दोस्तों क्योंकि कोरोनावायरस जैसी आपदा फिर से ना आए उसके लिए कुछ ना कुछ प्रबंध तो करना होगा।

अंत में चीन को कुछ गालियों के साथ छोड़ जाता हूं और वह गालियां मेरे मन में ही आ रही है यहां लिखने का कोई फायदा नहीं है। अगर आप भी चाइना को गाली देना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं। आपके लिए सब कुछ खुला है।

इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। यहां तक पहुंचने के लिए भी आपका धन्यवाद।
आते रहिएगा।

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for writing back

और नया पुराने