खुश रहने के मूल मंत्र क्या है?

खुश रहने के मूल मंत्र क्या है?


आपका इस लेख को पढ़ना ही यह बताता है कि आपको भी खुशी की तलाश है। वैसे सही कहा जाये तो खुशी पाना इतना कठिन नहीं है जितना हम लोगों को लगता है ,खुशियाँ तो आपके चारों ओर मौजूद है, जरुरत तो बस उन्हें पहचान कर गले लगाने की है। यदि खुशियाँ आपके पास नहीं आती तो क्या हुआ आप तो खुशियों के पास जा सकते हो।

ये हैं खुश रहने का मंत्र-


सदा खुश रहने का मंत्र है- प्रसन्न चेतसो ह्याशुः बुद्धिः पर्यवतिष्ठते। सदा खुश रहने के लिए ज्योतिषियों द्वारा इस मंत्र के जाप की सलाह दी जाती है।


हैलो दोस्तों thebetterlives.com में आपका स्वागत है।

मैं हूं आपकी पुष्पा और आपके लिए लेकर आई हूं आज खुश रहने के लिए कुछ टिप्स।

खुश रहना हर कोई चाहता है लेकिन अक्सर हम परेशान रहते हैं। चिंता और तनाव हर किसी की जिंदगी में आते है, जरूरी यह होता है कि हम उनसे कैसे निपटते हैं। आइए आज आपको खुश रहने के कुछ सरल टिप्स बताते हैं।

कई बार हम सोचते हैं और अपनी लाइफ के बारे में हमें समझ आता है कि मेरे से बुरा इंसान और कोई नहीं है। मेरे से दुखी इंसान पूरे ब्रह्मांड में कोई नहीं है। मेरा दोस्त भी खुश है। मेरा कजन भी खुश है, मेरा पड़ोसी भी खुश है, हर कोई खुश है बस मुझे छोड़ कर।

लेकिन आप टेंशन ना लो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं कुछ खुश रहने के लिए टिप्स जो आपकी आने वाली लाइफ को बिल्कुल चेंज कर दे गई।

सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलु है और हर इंसान को अपने जीवन में कभी ना कभी सुख और दुख रुपी सिक्के के दोनों पहलुओं का सामना करना ही पड़ता है। जीवन के सुखी पलों को इंसान हंसते-खेलते गुजार देता है लेकिन दुख में वहीं इंसान हताश, निराश और परेशान हो जाता है। कभी-कभी उसे अपने दुखों से बाहर आने का कोई रास्ता नज़र नहीं आता है। चाहे सुख हो या दुख हर व्यक्ति अपने तरीके से जिंदगी तो गुजार ही लेता है लेकिन दुख की घड़ी में भी खुश रहकर सफल जीवन जीने की कला हर किसी को नहीं आती है।

मैं आपको छोटी-छोटी ऐसी 5 टिप्स बताने वाली हूं ।इसके बाद आपकी लाइफ बिल्कुल परफेक्ट हो जाएगी और बहुत ही खुश मिजाज आप रहने लगोगे।

पहला काम जो आपको सबसे पहले करना है वह है एक्सरसाइज या योगा। तो आपको डेली एक्सरसाइज करनी शुरू कर देनी है। आपको यह रूटीन बना लेना है कि रोज आपको एक्सरसाइज करनी ही है। साइंस पता है क्या कहती है कि जब हम एक्सरसाइज करते हैं तो हमारा ब्लड सरकुलेशन बढ़ जाता है। अगर आपका ब्लड सरकुलेशन अच्छा होगा तो आपकी लाइफ भी अच्छी होगी।

पर आप कोशिश करो कि आप मॉर्निंग में एक्सरसाइज करो। एक्सरसाइज करने का सबसे बड़ा बेनिफिट पता है। क्या होगा की आपको रोज सुबह जल्दी उठना पड़ेगा?

आपको यह लगेगा कि यार ये तो टेंशन वाली बात हो गई। टेंशन वाली बात नहीं है भैया यह। क्या होता है ना कि सुबह जब हम जल्दी नहीं उठते लेट उठते हैं तो हमारी मम्मी भी डांट मार रही होती है।

भैया शुरुआत ही डांट से हुई है तो पूरा दिन खराब जाएगा। अब एक्सरसाइज में यह जरूरी नहीं कि आप दौड़े ही। ऐसा भी नहीं है कि आपको रोज कपालभाति करनी है या कोई और योग करना है। इतना भी प्रैक्टिकल मत हो। एक्सरसाइज का मतलब है कि आप कुछ भी करो लेकिन आपको इससे आपकी बॉडी में पेन महसूस होना चाहिए और आपके शरीर से पसीना निकलना चाहिए आपके शरीर को थोड़ा काम में लगाओ।

अगर मम्मी आप से कोई भी सब्जी या सामान मंगवा दी है पास वाली दुकान से तो यह भी एक एक्सरसाइज ही है। अगर आप थोड़ा चलोगे तो आपके पैरों में पेन होगा और आपके पैरों की एक्सरसाइज भी हो जाएगी इससे आपके पैरों में फुर्ती भी आ जाएगी।।

दूसरी चीज यहां पर आती है कि दुनिया में कोई भी चीज स्थाई नहीं है परमानेंट नहीं है। सबका एक साइकल है जैसे कि हर रोज दिन होता है, हर रोज रात होती है, हर रोज 24 घंटे पूरे होते हैं, हर रोज घड़ी 12:00 बजाती है। तो यह सब एक साइकल में बंधे हुए हैं और कुछ भी परमानेंट नहीं है। तो फिर आपके साथ कभी भी कुछ बुरा होता है। तो आप इसको परमानेंट क्यों मान लेते हो और दुखी क्यों हो जाते हो। सोच के क्यों बैठ जाते हो कि आज मेरे साथ बुरा हुआ है तो आने वाले समय में भी मेरे साथ बुरा ही होगा।

अगर आज कुछ अच्छा हो रहा है तो आगे आने वाले समय में आपके साथ बुरा भी हो सकता है। अगर आज बुरा चल रहा है तो कल अच्छा भी हो सकता है। तो यह सब परमानेंट नहीं है यह समय है और यह अच्छा बुरा चलता रहता है।

अगर आप दुखी होकर बैठ जाओगे हाथ पर हाथ धर के बैठ जाओगे तो इससे आपकी समस्या का कोई समाधान नहीं होगा। प्रॉब्लम यह नहीं है कि कुछ अच्छा नहीं हुआ प्रॉब्लम यह है कि कुछ बुरा हुआ और वह मेरे साथ ही हुआ।

अगर आपकी लाइफ में कभी भी कोई प्रॉब्लम आए तो थोड़ा रुको और उस प्रॉब्लम को पहले समझो फिर उसका समाधान निकालो और यह सोचो कि यह प्रॉब्लम आपको आने वाले समय में क्या और प्रॉब्लम क्रिएट कर सकती है। पिछले दो-तीन महीनों में आपके साथ कुछ भी बुरा हुआ होगा तो क्या उस प्रॉब्लम ने आप की आज की लाइफ को खराब कर रखा है। नहीं बिल्कुल नहीं आपको दो-तीन महीने पिछली प्रॉब्लम याद भी नहीं होगी।।

अगर आपको एक बार में सफलता नहीं मिलती तो दोबारा ट्राई करें। एक बार प्रयास करके नहीं छोड़े जैसे उदाहरण के लिए अगर आपसे कोई मैथ का प्रॉब्लम सॉल्व नहीं होता। तो आप उसे एक बार ट्राई करके ना छोड़े दोबारा ट्राई करें । अपनी कोशिश जारी रखें जब तक वह सॉल्व ना हो जाए और यकीनन वह पहले या दूसरे प्रयास में सॉल्व हो जाता है।

और तीसरी टिप्स यह है कि चीजों को एक्सपीरियंस करना सीखो बजाय उस को अपना बनाने के । कई बार खुशी उसे कंट्रोल करने पर नहीं मिलती जो आप उनसे एक्सपीरियंस या फील करके एन्जॉय करते हो।

उदाहरण के तौर पर जैसे कि एक प्यारा सा गुलाब का फूल है जो दिखने में बहुत ही अच्छा लग रहा है, सुगंध भी बहुत अच्छी है। जब आप किसी गुलाब को तोड़ लेते हो तो क्या उसमें वैसे ही सुगंध रह जाती है! वैसा ही सुंदर क्या हो दिख पाता है!

नहीं बिल्कुल भी नहीं वह बिल्कुल मुरझा जाता है बेजान दिखने लगता है और उसकी खुशबू भी गायब हो जाती है आपने उस फूल से एक्सपीरियंस नहीं लिया। उसकी खुशबू महसूस नहीं की बजाय इसके आपने उसको तोड़ लिया और उसको अपना बनाना चाहा।

अगर आपको बहुत तेज भूख लगी है और आप किसी रेस्टोरेंट में जाकर वहां से आप लाते हो नान मखन।

ऐसी ही कुछ डिस आप लाते हो जिसका स्वाद गजब का होता है। लेकिन बस थोड़े टाइम के लिए क्या इससे आपकी भूख शांत हो जाएगी? मात्र उसको अपना बना लेने से आपको खुशी नहीं मिलेगी। आपका पेट नहीं भरेगा। बल्कि आपका पेट तब भरेगा जब आप उसको खाओगे उसको फील करोगे उससे एक्सपीरियंस लोगे।

दुनिया में जितनी भी चीजें हैं उनको अपना बनाने की कोशिश में मत लगो उन सब चीजों से एक्सपीरियंस लो ,फील करो तभी आपको खुशी मिलेगी।

कई बार हम किसी अच्छी जगह पर घूमने जाते हैं कोई सुंदर सा प्लेस होता है या जगह होती है वहां आसमान बिल्कुल साफ़ होता है, हवा चल रही होती है , पंछी उड़ते है , आस पास हरियाली होती है, एकदम कूल हवा आपको फील होती है। तो आप इस नजारे को कैद करना चाहते हो किसी कैमरे में या फोन में।

आप उस नजारे को कैमरे में कैद करने से सोचते हो कि आपको दोबारा यही खुशी मिलेगी । लेकिन ऐसा नहीं होता कैमरे में कैद करने से कभी कोई फीलिंग नहीं होती जो आपको उस सीन को देख कर हुई थी । जो आपने वहां एक्सपीरियंस किया था।।

आपको असली खुशी तब मिलती जब आप उसको कैमरे में क़ैद करने कि बजाए उसको अनुभव करते।।

अब चौथा टिप्स यह है की डोंट कंपेयर योरसेल्फ। अपने आप को कभी किसी से तुलना मत करो। यह बहुत ही बुरी आदत है। जैसे बचपन में हमारे दिमाग में यह बैठा दिया जाता है कि अरे उसको लड़का हुआ ,अरे उसको लड़की हुई ,था पर जिसको लड़की हुई उसके लिए सिंपैथी दिखाएंगे की कोई नहीं कर लेंगे गुजारा बेचारे ।

जब बच्चा बड़ा हो रहा होता है तो कहते हैं कि अरे उसके लड़के ने तो बड़ी जल्दी चलना सीख लिया और हमारे लड़के ने तो बिल्कुल भी चलना ही नहीं सीखा है । हमारा लड़का तो ऐसा है वैसा है। आगे चलकर जब और बड़ा हो जाता है तो कहते हैं कि हमारा लड़का तो बिल्कुल पढ़ता ही नहीं है। लेकिन पड़ोसी का लड़का इतना ज्यादा पड़ता है। हमारा लड़का तो नालायक है या लड़की नालायक हैं। उनकी लड़की तो इतनी पढ़ती है, इतनी होशियार है। तू भी उससे कुछ सीख ले थोड़ा पढ़ना शुरू कर दे बिल्कुल नालायक है। उनका लड़का इतना कमाता है तू क्यों नहीं कमाता।

छोड़ो इन सब बातों का कंपैरिजन कर करके, हम इतने कमजोर हो जाते हैं ।कि खुद का सेल्फ कॉन्फिडेंस खो बैठते हैं और वह नहीं कर पाते जो हम करना चाहते हैं।

कंपैरिजन करने से दो बातें होती है या तो मैं उससे अच्छा निकलूंगा या मैं उससे खराब हो जाऊंगा। जैसा कि मैं अब अगर उससे ज्यादा अच्छा हो जाऊंगा, तो मेरे अंदर घमंड आ जाएगा, कि मेरे से ज्यादा तो कोई होशियार है ही नहीं। अगर मैं बेकार निकला तो मेरे से बुरी आफत की पुड़िया हूं।

मेरे से बड़ी प्रोब्लेम तो कोई है ही नहीं यह सारी बातें हम सोचते हैं तो मैं यहां पर आपको सजेस्ट करुंगी कि आप अपना कंपैरिजन दूसरों से करना छोड़ दें और खुद को पहचाने ताकि आप सिर्फ मोटिवेट रहे हर समय और कोई भी आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस न हटा पाए यही सबसे जरूरी चीज होती है।

अंत में पांचवी टिप्स है की अडजस्ट करना सीखो हर सिचुएशन में। हर समय सब कुछ आपके हिसाब से नहीं चलने वाला। भैया एडजस्ट तो करना सीखना ही पड़ेगा। दुखों का सबसे बड़ा कारण यही है कि सब कुछ हमारे हिसाब से नहीं चलता सारी चीजें हमारे हिसाब से नहीं होती।।

उदाहरणार्थ आप किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे होते हैं और आप उन्हीं क्वेश्चंस को याद कर लेते हैं जो आपको लगता है कि ये एग्जाम में आएंगे। लेकिन जब आप एग्जाम हॉल में जाते हैं पेपर देने बैठते हैं तो आपको पता लगता है कि जो क्वेश्चंस आपने याद किए थे वह नहीं आए हैं। इसके बजाय और दूसरे क्वेश्चन आ गए हैं। लेकिन उनमें से कुछ आपको आते हैं और कुछ नहीं आते। लेकिन आपको जो क्वेश्चन आते हैं उनको भी आप अटेम्पट नहीं करते। क्योंकि आपको लगता है कि वह आपको नहीं आएंगे। इस चक्कर में आप जो क्वेश्चन आते हैं उनको भी छोड़ कर आ जाते हो और पूरा पेपर खाली रह जाता है।

इसके बजाय अगर आप यह सोचो कि जो मेरे को आते हैं वह क्वेश्चन तो मुझे करने चाहिए और आप उन क्वेश्चंस को कर आते हो।। तो एग्जामिनर को आपके दिए हुए आंसर पसंद आ जाते है और हो सकता है कि वह आपको पास कर दे ।।

मैं यहां पर आपको यह बताने का प्रयास कर रही हूं कि आपको हर सिचुएशन में पॉजिटिव रहना है ताकि आपका आने वाला भविष्य अच्छा बना रहे। जिंदगी भी बिल्कुल एक पेपर की तरह है जिसमें आपको कुछ क्वेश्चन आएंगे और कुछ नहीं कई बार आप टॉप मार सकते हो और कई बार क्वेश्चंस आउट ऑफ द सिलेबस भी हो जाते हैं। जिससे आप की परसेंटेज कम हो जाती है। 

लेकिन कुछ क्वेश्चंस ऐसे सिलेबस से मिलते जुलते आते हैं तो आपको लगता है कि आपको पासिंग मार्क्स मिल सकते हैं। अगर आप इन क्वेश्चंस को अपने हिसाब से अटेंड करोगे। जितना आपको याद होगा उस टाइम अगर आप खाली पेपर दे आए तो इसे आप के नंबर नहीं लगेंगे। इससे अच्छा यह हुआ होगा कि आप कुछ ना कुछ लिख कर आओ। अगर अच्छा एडजेस्टमेंट मिला तो मार्क्स अच्छे मिल सकते हैं और इससे आपको खुशी बहुत होगी, अगर आप वहां पर एडजस्ट नहीं कर पाए और खाली बैठ गए केवल पेन हाथ में लिए तो आप पर फैल का धब्बा लग जाता है।।

इस लेख में आपको सबसे अच्छी बात क्या लगी वह हमें जरूर बताना और आपको मेरी सजेशन कैसी लगी यह जरूर कमेंट करना।

लेखक: पुष्पा डाबोदिया

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