छात्रों को कितने तक ही बेहतर पढ़ाया जाना चाहिए?

 छात्रों को कितने तक ही बेहतर पढ़ाया जाना चाहिए?

EDUCATION 


यह तो मैं नहीं कह सकता कि बच्चों को कितने तक पढ़ाना चाहिए लेकिन अगर आप एक गरीब व्यक्ति हैं तो आप बच्चे को बारहवीं पास करा के सरकारी नौकरियों के फार्म भरवा सकते हैं और उसकी आगे पढ़ाई के लिए दूरस्थ कॉलेज शिक्षा में दाखिला करवा सकते हैं।

उसके साथ साथ बच्चा पढ़ भी लेगा लेकिन अगर आप अच्छा कमा रहे हैं और अपने बच्चे पर थोड़ा बहुत खर्च करना चाहते हैं तो आप उसे ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन या फिर पीएचडी तक पहुंचा सकते हैं।


अगर आप उसे एक प्रोफेसर बनाना चाहते हैं तो आप उसके लिए एक अच्छी फील्ड यूज कर सकते हैं साथ ही में कुछ अच्छे टिप्स आपके लिए लेकर आया हूं उम्मीद है आपको अच्छी लगेंगे।

बच्चों के पहले शिक्षक माता-पिता होते हैं- जन्म के बाद शिशु लगातार माता-पिता के साथ रहकर बोलना, खाना, पीना, खेलना, लिखना या अन्य गतिविधियां सम्पन्न करना सीखता है। छोटे बच्चे के लिए यह एक औपचारिक विद्यालय जैसा होता है। इसी तरह बच्चा जब थोड़ा बड़ा या युवा होता है तब वह घर में माता-पिता को एक दूसरे को सहयोग करते देखता है। पिता को घर के बाहर के कार्यों को निपटाते हुए माता का सहयोग करते देखकर बच्चों में मदद करने की भावना का निर्माण होता है। इससे बच्चे घर के कार्यों में माता की मदद करना सीखते हैं। वास्तव में किसी भी बच्चे के लिए यह पाठ सामाजीकरण का प्रथम चरण माना जाता है। इसलिए माता-पिता को घर में एक कोच जैसी भूमिका निर्वाह करनी चाहिए। आप घर में जो भी कार्य करें उसे पूरी तरह सुव्यवस्थित ढंग से करें। एक-दूसरे के साथ बातचीत में सम्मानसूचक शब्दों का इस्तेमाल करें। ऐसा व्यवहार करने की कोशिश करें जो घर में शांति स्थापित कर और शिशु के मानसपटल पर अच्छा प्रभाव डाले। शिशु को घर की बातों के साथ-साथ घर के बाहर होने वाली अच्छी बातों की सीख देने की कोशिश करें।

बच्चों के साथ समय बिताएं- बच्चे छोटे हों या बड़े, सभी माता-पिता से प्यार चाहते हैं। वास्तव में प्यार एक ऐसी दवा है जो बच्चों के साथ बड़ों की आदतों को भी अच्छा बना सकता है। प्यार बुराईयों को अच्छाई में बदलने की शक्ति रखता है। खासकर छोटे बच्चे को आप सिर्फ प्यार से ही कोई बात सिखा सकते हैं। इसलिए आप अपने कीमती समय में से कुछ पल निकालें जो सिर्फ आपके बच्चों के लिए ही हों। उन पलों में आप यह जानने की कोशिश करें कि आपका बच्चा आपसे क्या कहना चाहता है? उसके दिमाग में क्या चल रहा है? उसकी दैनिक क्रियाएं कैसी चल रही हैं? उसे क्या पसंद है? वह किस बात से नाराज है? आप रोज थोड़ा समय निकालकर अपने बच्चों की गतिविधियों को और बेहतर कर सकते हैं।


बच्चों के दिमाग को पढ़ने की कोशिश करें- सभी बच्चों की प्रकृति एक जैसी नहीं होती, इसलिए बच्चों के सीखने के तौर-तरीकों में अंतर होता है। कुछ बच्चे किसी बात को देखकर ही सीख जाते हैं तो कुछ बच्चे उस बात को स्वयं संपादित कर सीखते हैं। इसलिए अपने बच्चों के मस्तिष्क को पढ़ने की कोशिश करें। यह जानने की कोशिश करें कि आपका बच्चा चीजों को किस तरह से सीखता है। यदि उसके पास देखकर सीखने की शक्ति है तो सभी कार्यों को प्रेरणादायक बनाने की कोशिश करें ताकि आपका बच्चा देखकर सही चीज सीखे। यदि आपके बच्चे की शैली कार्यों को स्वयं संपादित कर सीखने की है तो आपको इस बात पर अधिक ध्यान देना होगा। ऐसी स्थिति में आपको स्वयं एक रोल मॉडल बनकर बच्चे के साथ उसके कार्यों को सही तरीके से सम्पन्न करने में उसकी मदद करनी चाहिए। आप बच्चे के कार्यों में भागीदार बनें और अपने प्रयासों से उसे सीखने का अवसर दें। आप चार्ट, मॉडल आदि कार्यों में अपनी भागीदारी निभाकर बच्चे की रूचि को समझा सकते हैं और कठिन विषय को सुलभ तरीके से उसे समझा भी सकते हैं।

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